गया : बिहार के गया में पितृपक्ष मेला का आज 15 वां दिन है. पितृपक्ष मेले के 15 वें दिन काफी संख्या में तीर्थ यात्रियों ने पिंडदान किया. इस क्रम में जर्मनी से आई महिलाओं की गया जी में पिंडदान की आस्था देखते ही बनी. यह विदेशी महिलाएं 676 सीढियां चढ़कर प्रेतशिला की चोटी पर पहुंच गई और वहां पिंडदान कर्मकांड किया. इस दौरान पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर सत्तू भी उड़ाए.
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बुधवार को फल्गु के तट पर किया था पिंडदान : बुधवार को जर्मनी की 11 महिलाओं और एक पुरुष ने विष्णुपद फल्गु के तट पर पिंडदान का कर्मकांड किया था. फल्गु में तर्पण करने के बाद यह जर्मनी की महिलाएं 11 महिलाएं और एक पुरुष विष्णुपद मंदिर दर्शन करने पहुंचे थे और वहां भगवान श्री हरि के चरण के दर्शन किए थे. वहीं गदाधर भगवान की प्रतिमा के भी दर्शन किए.
प्रेतशिला की 676 सीढियां चढ़ी जर्मनी की महिलाएं : वहीं, गुरुवार को प्रेतशिला की 676 सीढियां जर्मनी की 11 महिलाएं और एक पुरुष चढ़े. इन्होंने अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर 676 सीढियां चढ़कर प्रेतशिला पर्वत पर पहुंची और वहां सत्तू उड़ा कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना की. प्रेत शिला में मान्यता है कि यहां अकाल मृत्यु, असमय दुर्घटना में मरने वालों के लिए पिंडदान करने पर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. ऐसे में प्रेतशिला की चोटी पर पहुंच कर जर्मन की महिलाओं ने गया जी के प्रति और पिंडदान के प्रति गहरी आस्था दिखाई.
जर्मनी, रूस, यूक्रेन की महिलाएं पहुंची हैं पिंडदान करने : जानकारी हो कि जर्मनी, रूस और यूक्रेन की महिलाएं गया में पिंडदान करने के लिए पहुंची है. इस तरह गया जी का पितृपक्ष मेले में विदेशियों का आगमन और उनकी पिंडदान के प्रति आस्था देखते ही बन रही है. गौरतलब हो कि प्रेतशिला की 676 सीढियां चढ़ने में काफी कठिनाइयां होती है, लेकिन इन विदेशी जर्मन महिलाओं ने यह कर दिखाया और प्रेतशिला की चोटी पर पहुंचकर न सिर्फ पिंडदान किया, बल्कि पितरों की मोक्ष की कामना को लेकर सत्तू भी उड़ाए.
''प्रेतशिला की चोटी पर पहुंचकर जर्मन महिलाओं ने पिंडदान किया है. यह विदेशी महिलाएं बुधवार को फल्गु तट पर देवघाट पर पिंडदान किया था. विदेशियों की आस्था बताती है कि उनमें पिंडदान और हिंदू धर्म संस्कृति के प्रति गहरी आस्था और रुझान बढ़ा है. यही वजह है, कि जर्मनी के अलावे रूस, यूक्रेन समेत अन्य देशों से विदेशी महिलाएं पिंडदान के लिए गयाजी आ रही हैं.''- लोकनाथ गौड़, इस्कॉन प्रचारक सह विदेशियों के पुजारी