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अनोखा डिवाइस: इधर-उधर कचरा फेंका तो डस्टबिन कहेगी-'Please use me' - गुवाहटी में नेशनल प्रदर्शनी

बिहार के गया में सरकारी स्कूल के बच्चों ने कमाल कर दिया है. यहां के छात्रों ने एक ऐसे प्रोजेक्ट को तैयार किया है जिसका चयन नेशनल प्रदर्शनी के लिए किया गया है. प्रोजेक्ट का नाम 'मैन लर्निंग मशीन' (man learning machine) है. यह सेंसर युक्त डस्टबिन है. नेशनल प्रदर्शनी में यदि select हुआ तो यह प्रोजेक्ट जापान तक जाएगा.

सेंसर युक्त डस्टबिन डस्टबिन
सेंसर युक्त डस्टबिन
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Published : Nov 9, 2022, 7:09 PM IST

Updated : Nov 9, 2022, 7:56 PM IST

गया: एक कहावत है, 'होनहार बिरवान के होत चिकने पात'. इसे गया जिले के सरकारी विद्यालय जिला स्कूल के बच्चों ने चरितार्थ कर दिखाया है. आमतौर पर यही माना जाता है, कि सरकारी विद्यालयों के बच्चे प्रतिभावान नहीं होते. किंतु गया के जिला स्कूल के एक छात्र ने एक ऐसे प्रोजेक्ट (Gaya zila School Childrens Project) को तैयार किया है जिसका चयन नेशनल प्रदर्शनी के लिए हुआ है. प्रोजेक्ट का नाम 'मैन लर्निंग मशीन' है. जिला स्कूल के दसवीं के छात्र आदित्य कुमार और अनुराग कुमार ने शिक्षक देवेंद्र सिंह की देख-रेख में इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है.

इसे भी पढ़ेंः पटना IIT के छात्रों ने बनाई अनोखी मशीन, 3 सेकेंड में कोरोना वायरस कर देगी खत्म

कूड़ेदान में कचरा नहीं फेंकने वालों को पकड़ेगी मशीन: सेंसर युक्त डस्टबिन (sensor dustbin) की खासियत यह है कि इसके आस पास 5 से 10 मीटर के रेडियस में कोई कचरा फेंकता है, तो मशीन अल्टीमेटम देगी. कहेगी-प्लीज यूज मी. यदि बार-बार इस तरह की गलती दोहराएंगे तो यह सेंसर युक्त डस्टबिन (man learning machine) यानी यह डिवाइस उसे तीन बार चेतावनी देगी और चौथी बार उसे पकड़ (डिटेक्ट) लेगी. साथ ही उस शख्स का फोटो खींच कर नगर पालिका को भेज देगी. दरअसल, कूड़ेदान में कचरा नहीं फेंकने वालों को मशीन पकड़ेगी. मशीन को ब्लूटूथ के साथ फोन से कनेक्ट करने के बाद उस तस्वीर काे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा.

कैसे काम करेगी डस्टबिन .
कैसे काम करेगी डस्टबिन .



गंदगी पर किया जा सकेगा कंट्रोलः गया के सरकारी स्कूल जिला स्कूल के बच्चों के द्वारा बनाए गए इस प्रोजेक्ट को नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के द्वारा चयनित कर लिया गया है. राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में इसे आमंत्रित किया गया है. यह प्रदर्शनी आगामी 22 से 27 नवंबर 2022 तक शंकरदेव पंचावारी गुवाहाटी में हो रही है. इस प्रोजेक्ट को बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले छात्र आदित्य कुमार बताते हैं, कि महज 600 से 800 की राशि में मैकेनिकल टूल्स के सहारे इस प्रोजेक्ट को तैयार कर लिया गया है. इस प्रोजेक्ट के सफल होने पर गंदगी पर कंट्रोल किया जा सकेगा.


एटीएल इंचार्ज देवेंद्र सिंह बताते हैं कि यहां के बच्चों के द्वारा कई प्रोजेक्ट पूर्व में भी तैयार किए गए हैं. फिलहाल मैन लर्निंग मशीन तैयार की गयी है. इसमें प्रोग्रामिंग और सेंसर का इस्तेमाल किया गया है. नेशनल स्तर पर चयनित होता है, तो इस प्रोजेक्ट का प्रदर्शन जापान में किया जाएगा. मैन लर्निंग मशीन प्रोजेक्ट स्वच्छता के लिए जरूरी है. यदि इस प्रोजेक्ट को सरकार आजमाती है तो यह देश में ही नहीं विदेश के लिए भी एक मिसाल होगा. हेल्थ एंड वेलनेस विषय पर चयनित यह प्रोजेक्ट बिहार का एकलौता प्रोजेक्ट माना जा रहा है. बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में देश भर से 143 बाल वैज्ञानिकों के प्रोजेक्ट का चयन हुआ है. देवेंद्र सिंह बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट भारत के सभी शहरों में अमल में लाया जाएगा.

"आमतौर पर लोग सोचते हैं कि सरकारी स्कूलों में प्रतिभा नहीं होती है. किंतु ऐसा नहीं है. सरकारी स्कूल के बच्चे भी काफी प्रतिभावान होते हैं और तैयार किया गया यह प्रोजेक्ट यही बता रहा है." -देवेंद्र सिंह, शिक्षक

हज 600 से 800 की राशि से मैकेनिकल टूल्स के सहारे इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया है. इस प्रोजेक्ट के सफल होने पर गंदगी पर कंट्रोल किया जा सकेगा. 22 से 27 नवंबर तक शंकरदेव पंचावारी गुवाहाटी में हो रही प्रदर्शनी के लिये इसका चयन किया गया है." - आदित्य कुमार, छात्र

गया: एक कहावत है, 'होनहार बिरवान के होत चिकने पात'. इसे गया जिले के सरकारी विद्यालय जिला स्कूल के बच्चों ने चरितार्थ कर दिखाया है. आमतौर पर यही माना जाता है, कि सरकारी विद्यालयों के बच्चे प्रतिभावान नहीं होते. किंतु गया के जिला स्कूल के एक छात्र ने एक ऐसे प्रोजेक्ट (Gaya zila School Childrens Project) को तैयार किया है जिसका चयन नेशनल प्रदर्शनी के लिए हुआ है. प्रोजेक्ट का नाम 'मैन लर्निंग मशीन' है. जिला स्कूल के दसवीं के छात्र आदित्य कुमार और अनुराग कुमार ने शिक्षक देवेंद्र सिंह की देख-रेख में इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है.

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कूड़ेदान में कचरा नहीं फेंकने वालों को पकड़ेगी मशीन: सेंसर युक्त डस्टबिन (sensor dustbin) की खासियत यह है कि इसके आस पास 5 से 10 मीटर के रेडियस में कोई कचरा फेंकता है, तो मशीन अल्टीमेटम देगी. कहेगी-प्लीज यूज मी. यदि बार-बार इस तरह की गलती दोहराएंगे तो यह सेंसर युक्त डस्टबिन (man learning machine) यानी यह डिवाइस उसे तीन बार चेतावनी देगी और चौथी बार उसे पकड़ (डिटेक्ट) लेगी. साथ ही उस शख्स का फोटो खींच कर नगर पालिका को भेज देगी. दरअसल, कूड़ेदान में कचरा नहीं फेंकने वालों को मशीन पकड़ेगी. मशीन को ब्लूटूथ के साथ फोन से कनेक्ट करने के बाद उस तस्वीर काे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा.

कैसे काम करेगी डस्टबिन .
कैसे काम करेगी डस्टबिन .



गंदगी पर किया जा सकेगा कंट्रोलः गया के सरकारी स्कूल जिला स्कूल के बच्चों के द्वारा बनाए गए इस प्रोजेक्ट को नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग के द्वारा चयनित कर लिया गया है. राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में इसे आमंत्रित किया गया है. यह प्रदर्शनी आगामी 22 से 27 नवंबर 2022 तक शंकरदेव पंचावारी गुवाहाटी में हो रही है. इस प्रोजेक्ट को बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले छात्र आदित्य कुमार बताते हैं, कि महज 600 से 800 की राशि में मैकेनिकल टूल्स के सहारे इस प्रोजेक्ट को तैयार कर लिया गया है. इस प्रोजेक्ट के सफल होने पर गंदगी पर कंट्रोल किया जा सकेगा.


एटीएल इंचार्ज देवेंद्र सिंह बताते हैं कि यहां के बच्चों के द्वारा कई प्रोजेक्ट पूर्व में भी तैयार किए गए हैं. फिलहाल मैन लर्निंग मशीन तैयार की गयी है. इसमें प्रोग्रामिंग और सेंसर का इस्तेमाल किया गया है. नेशनल स्तर पर चयनित होता है, तो इस प्रोजेक्ट का प्रदर्शन जापान में किया जाएगा. मैन लर्निंग मशीन प्रोजेक्ट स्वच्छता के लिए जरूरी है. यदि इस प्रोजेक्ट को सरकार आजमाती है तो यह देश में ही नहीं विदेश के लिए भी एक मिसाल होगा. हेल्थ एंड वेलनेस विषय पर चयनित यह प्रोजेक्ट बिहार का एकलौता प्रोजेक्ट माना जा रहा है. बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में देश भर से 143 बाल वैज्ञानिकों के प्रोजेक्ट का चयन हुआ है. देवेंद्र सिंह बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट भारत के सभी शहरों में अमल में लाया जाएगा.

"आमतौर पर लोग सोचते हैं कि सरकारी स्कूलों में प्रतिभा नहीं होती है. किंतु ऐसा नहीं है. सरकारी स्कूल के बच्चे भी काफी प्रतिभावान होते हैं और तैयार किया गया यह प्रोजेक्ट यही बता रहा है." -देवेंद्र सिंह, शिक्षक

हज 600 से 800 की राशि से मैकेनिकल टूल्स के सहारे इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया है. इस प्रोजेक्ट के सफल होने पर गंदगी पर कंट्रोल किया जा सकेगा. 22 से 27 नवंबर तक शंकरदेव पंचावारी गुवाहाटी में हो रही प्रदर्शनी के लिये इसका चयन किया गया है." - आदित्य कुमार, छात्र

Last Updated : Nov 9, 2022, 7:56 PM IST
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