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गया में अब होगी प्रदूषण मुक्त अंत्येष्टि, गोबर से बने कंडे पर होगा अंतिम संस्कार - Agriculture Minister Prem Kumar

गया स्थित गौरक्षणि गौशाला से बना गोबर के कंडो से आने वाले दिनों में विष्णु श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसके लिए यहां एक काउंटर भी बनाया जाएगा.

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Published : Nov 28, 2019, 11:34 AM IST

गया: पूरे देश के लिए प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है. हिन्दू धर्म में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार से भी काफी वायु प्रदूषण होता है. इसको लेकर गया में एक अच्छी पहल की गई है. यहां स्थित गौशाला में गोबर से कंडा तैयार किया जा रहा है. इसका उपयोग अंत्योष्टि के दौरान किया जाएगा.

गया के मानपुर स्थित गौरक्षणि गौशाला में गोबर से कंडा तैयार किया जा रहा है. इसको लिए एक विशेष मशीन पंजाब से खरीद कर लाई गई है. इस मशीन से बने कंडों का उपयोग पूजा पाठ के साथ-साथ अंतिम संस्कार में भी किया जाएगा. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. साथ ही पेड़ों की कटाई में कमी आएगी. जो पर्यावरण के हित में है.

गौशाला के व्यवस्थापक और कृषि मंत्री प्रेम कुमार का बयान

'प्रचार की है कमी'
गौरक्षणि गौशाला के व्यवस्थापक उपेंद्र नाथ उपाध्याय ने बताया ये गौशाला छह एकड़ में फैली हुई है. यहां 280 गायों की सेवा की जाती है. इससे यहां काफी गोबर का उत्पादन होता है. प्रत्यक्ष रूप से गोबर की बिक्री कम होती है. कृषि मंत्री के सुझाव के बाद यहां पंजाब से एक मशीन खरीदी गई. इससे गोबर से लकड़ी बनाया जा रहा है. यह जलावन के लिए बेहतर है. लेकिन प्रचार के अभाव में इसकी बिक्री नहीं हो रही है और न ही इसका अभी तक मूल्य तय किया गया है.

गया
मशीन से बनाते गोबर के कंडे

'सभी गौशाला में होगी इसकी शुरुआत'
वहीं, कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने बताया गौशाला महोत्सव के दौरान गौरक्षणि गौशाला में गया था. गौशाला के विकास के लिए 20 लाख की राशि भी दी गई. वहां एक मशीन लाया गया, जिससे गोबर से कंडो का निर्माण किया जा रहा है. उस कंडो का इस्तेमाल अंत्योष्टि में की जाएगी. इससे कई फायदें और गोबर का खपत भी होगा. गौशाला का आय भी बढ़ेगा और वायु प्रदूषण में कमी आएगी. अभी यहां पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत की गई है. उसके बाद प्रदेश के करीब 84 गौशालाओं में इसकी शुरुआत की जाएगी.

गया
गोबर से बने कंडे

घाटों पर बनाया जाएगा काउंटर
बता दें कि गया में गोबर से बना कंडो का जरूरत और महत्व भी है. गया जी में विष्णुपद मंदिर के समीप विष्णु श्मशान घा टहै. यहां पूरे मगध क्षेत्र के लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. हिन्दू धर्म में इस घाट की काफी महत्ता बताई गई है. गौरक्षणि गौशाला से बना कंडो से आने वाले दिनों में विष्णु श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसके लिए यहां एक काउंटर भी बनाया जाएगा. जहाँ लोग इसकी खरीददारी कर सकेंगे.

गया: पूरे देश के लिए प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है. हिन्दू धर्म में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार से भी काफी वायु प्रदूषण होता है. इसको लेकर गया में एक अच्छी पहल की गई है. यहां स्थित गौशाला में गोबर से कंडा तैयार किया जा रहा है. इसका उपयोग अंत्योष्टि के दौरान किया जाएगा.

गया के मानपुर स्थित गौरक्षणि गौशाला में गोबर से कंडा तैयार किया जा रहा है. इसको लिए एक विशेष मशीन पंजाब से खरीद कर लाई गई है. इस मशीन से बने कंडों का उपयोग पूजा पाठ के साथ-साथ अंतिम संस्कार में भी किया जाएगा. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. साथ ही पेड़ों की कटाई में कमी आएगी. जो पर्यावरण के हित में है.

गौशाला के व्यवस्थापक और कृषि मंत्री प्रेम कुमार का बयान

'प्रचार की है कमी'
गौरक्षणि गौशाला के व्यवस्थापक उपेंद्र नाथ उपाध्याय ने बताया ये गौशाला छह एकड़ में फैली हुई है. यहां 280 गायों की सेवा की जाती है. इससे यहां काफी गोबर का उत्पादन होता है. प्रत्यक्ष रूप से गोबर की बिक्री कम होती है. कृषि मंत्री के सुझाव के बाद यहां पंजाब से एक मशीन खरीदी गई. इससे गोबर से लकड़ी बनाया जा रहा है. यह जलावन के लिए बेहतर है. लेकिन प्रचार के अभाव में इसकी बिक्री नहीं हो रही है और न ही इसका अभी तक मूल्य तय किया गया है.

गया
मशीन से बनाते गोबर के कंडे

'सभी गौशाला में होगी इसकी शुरुआत'
वहीं, कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने बताया गौशाला महोत्सव के दौरान गौरक्षणि गौशाला में गया था. गौशाला के विकास के लिए 20 लाख की राशि भी दी गई. वहां एक मशीन लाया गया, जिससे गोबर से कंडो का निर्माण किया जा रहा है. उस कंडो का इस्तेमाल अंत्योष्टि में की जाएगी. इससे कई फायदें और गोबर का खपत भी होगा. गौशाला का आय भी बढ़ेगा और वायु प्रदूषण में कमी आएगी. अभी यहां पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत की गई है. उसके बाद प्रदेश के करीब 84 गौशालाओं में इसकी शुरुआत की जाएगी.

गया
गोबर से बने कंडे

घाटों पर बनाया जाएगा काउंटर
बता दें कि गया में गोबर से बना कंडो का जरूरत और महत्व भी है. गया जी में विष्णुपद मंदिर के समीप विष्णु श्मशान घा टहै. यहां पूरे मगध क्षेत्र के लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं. हिन्दू धर्म में इस घाट की काफी महत्ता बताई गई है. गौरक्षणि गौशाला से बना कंडो से आने वाले दिनों में विष्णु श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. इसके लिए यहां एक काउंटर भी बनाया जाएगा. जहाँ लोग इसकी खरीददारी कर सकेंगे.

Intro:देश मे वायु प्रदूषण के कारण लोगों का जीना मुहाल हो गया है वायु प्रदूषण होने के कई कारण हैं उसमें से एक कारण सनातन धर्म के अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल की जानेवाली लकड़ी का जलना भी है। अब कुछ दिनों में अंत्योष्टि में उपयोग होने वाली लड़की के जगह गोबर के बने कंडो का उपयोग होगा, जिससे लकड़ी का जरूरत नही पड़ेगा और प्रदूषण भी नही फैलेगा। गोबर से कंडो बनाने का काम बिहार में पहली बार गया के मानपुर में स्थित गौरक्षणि गौशाला में पंजाब से खरीदकर लायी गयी मशीन से बनाया जा रहा है।


Body:गाय और गोबर ये दो शब्द आज से वर्षो पहले बहुत महत्व रखता था।हर घर मे गाय होता था उसके गोबर से जलावन यानी उपला तैयार किया जाता था। धीरे धीरे आधुनिक युग और शहरीकरण के दौर में जनजीवन में अब देखने को नही मिलता है। लेकिन गया के गौरक्षणि गौशाला ने एक मशीन द्वारा गोबर से कंडो बनाकर गोबर की महत्ता आज भी बरकरार रखने का काम कर रहा है। अब इन कंडो से पूजा पाठ और अंतिम संस्कार में उपयोग होनेवाला लकड़ी के जगह उपयोग किया जाएगा। जिससे घटते हुए वन क्षेत्र जहाँ लकड़ी की कटाई होती वो रुक जाएगा और वायु को प्रदूषित भी नही करेगा।

गया में गोबर से बना कंडो का बड़ा जरूरत और महत्व है। गया जी मे विष्णुपद मंदिर के समीप विष्णु श्मशान घाट है। जहां मगध क्षेत्र के लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। यहां की महत्ता यहां दाह संस्कार करने से सीधे विष्णुलोक की प्राप्ति होती हैं। इसलिए लोग ज्यादातर इस श्मशान घाट पर आता है। गौरक्षणि गौशाला से बना कंडो से आनेवाले दिनों में अंतिम संस्कार विष्णु श्मशान घाट पर होगा जहां एक काउंटर बनाया जाएगा जहाँ लोग इसके खरीददारी कर सकेंगे।

उपेंद्र नाथ उपाध्याय, व्यवस्थापक ने बताया ये श्री गौशाला छः एकड़ में फैला हुआ है। यहां 280 गयो का सेवा की जाती है। ज्यादातर गाय खरीदी गयी है कुछ गाय जिसको लोग छोड़ देते हैं उसका सेवा यहां किया जाता है। इतनी ज्यादा संख्या में गाय उनके बच्चे होने से गोबर का टाल लग जाता है। इतनी गोबर की बिक्री हर रोज नही होता था। गोबर का टाल देख पितृपक्ष मेला के दौरान कुछ यात्री ने गोबर से लकड़ी बनाने का सुझाव दिया था उसके बाद कृषि सह पशु मंत्री ने इस गौशाला का निरीक्षण किया था उन्होंने इस मशीन के बारे में बताए कहा इसे जल्द शुरू किया जाए उनके आदेशानुसार मशीन की खरीदारी पंजाब से 20 हजार रुपया में किया गया। इस मशीन को चलाने के लिए दो लोगो की आवश्यकता है लेकिन अभी चार से पांच लोग लग रहे है। ये मशीन बिजली से चलता है। मशीन में देशी है गोबर से लकड़ी बनाने के लिए हल्का गीला गोबर और थोड़ी से भुसा की जरूरत पड़ती है और इसमें किसी चीज की जरूरत नही है। अभी इसका प्रचार नही हुआ है ना ही मूल्य तय हुआ है। अभी प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है।

कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने बताया गौशाला महोत्सव के दौरान गौरक्षणि गौशाला में गया था, गौशाला के विकास के लिए 20 लाख की राशि भी दी गयी है। वहा एक मशीन लाया गया जिसे गोबर से कंडो का निर्माण किया जाएगा उस कंडो से अंत्योष्टि में इस्तेमाल की जाएगा। इसके कई फायदा गोबर का खपत हो जाएगा, गौशाला का आय बढ़ेगा , वायु प्रदूषण नही होगा और लकड़ी की जरूरत अंतिम संस्कार के लिए नही पड़ेगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत गया के गौरक्षणी गौशाला में कंडे बनाने का योजना शुरू किया गया है। आगे प्रदेश के करीब 84 गौशालाओं में इस तरह की योजना को शुरू कर गोबर से कंडे बनाया जाएगा।


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