ETV Bharat / state

Gaya News : गया के महादलित परिवारों का दशकों से यही हाल, कैसे मिले योजनाओं का लाभ? - Gaya News

Nitish Government Land Scheme बिहार के गया में कई ऐसे महादलित टोले हैं, जहां के लोगों को आज भी सरकारी योजनाओं का लाभ मयस्सर नहीं हो सका है. गुरारू प्रखंड अंतर्गत मलपा पंचायत के मलपा गांव में है. इस गांव में दर्जनों महादलित परिवार रहते करते हैं. धूप हो या बरसात या फिर ठंड हर मौसम में खानाबदोश की जिंदगी जी रहे हैं. कई दशकों से इनकी ऐसी ही स्थिति है. पढ़ें पूरी खबर

गया के महादलित परिवारों का दशकों से यही हाल
गया के महादलित परिवारों का दशकों से यही हाल
author img

By

Published : May 20, 2023, 1:55 PM IST

गया: बिहार के गया जिले के गुरारू प्रखंड अंतर्गत मलपा पंचायत के मलपा गांव के महादलित टोला की स्थिति (Mahadalit Families in Gaya) काफी दयनीय है. टोले के लोगों को पक्का सरकारी आवास आज तक मुहैया नहीं कराया जा सका है. सर ढकने के लिए एक छत का इन्हें आज भी इंतजार है. इस स्थिति के बीच यह महादलित परिवार किसी तरह अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे है.

ये भी पढ़ें: 'जान दे देंगे जमीन नहीं छोड़ेंगे, अतिक्रमण के नाम पर हटाने से नाराज महादलित बस्ती के लोगों का प्रदर्शन

महादलित परिवार, सालों से यही हाल : जानवरों के बखोर की तरह प्लास्टिक, कपड़े और बांस की मदद से ठिकाना बना कर किसी तरह गुजर बसर कर रहे. हर मौसम की मार इन्हें झेलनी पड़ती है. टोले में दर्जनों महादलित परिवार रहते हैं. इसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग शामिल हैं, लेकिन उनके चेहरे की शिकन बताती है कि उनके लिए सरकारी योजनाएं आज तक सहारा नहीं बन सकी है.

मलपा गांव का महादलित टोला
मलपा गांव का महादलित टोला

कब मिलेगा पक्का मकान.. इंतजार है : महादलित टोले के रहने वाले राजेश मांझी बताते हैं, कि पिछले कई दशकों से उनका परिवार इसी तरह से रह रहा है. कई पूर्वज इसी तरह की जिंदगी को काटते हुए गुजर गए, लेकिन हमारी दशा नहीं बदली. हमें आज भी एक पक्के मकान का इंतजार है. किंतु कोई भी प्रतिनिधि या प्रशासन हमारी टोह नहीं ले रहा है. हमलोग गुहार लगाते-लगाते थक गए. लेकन कोई फायदा नहीं हुआ. हमें किसी प्रकार की योजना का लाभ नहीं मिलता है.

3 डिसमिल जमीन का लाभ नहीं मिला : वही टोले की उषा देवी बताती है, कि गर्मी में तेज धूप तो बरसात में पानी के कारण निकलना मुश्किल हो जाता है, इसी प्रकार मौसम की मार ठंड में भी झेलनी पड़ती है. उनकी ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. सरकार की ओर से भूमिहीन महादलित परिवार को दी जाने वाली 3 डिसमिल जमीन का भी लाभ नहीं मिला. हमारे पास अपनी तक जमीन नहीं है.

मलपा गांव का महादलित टोला
मलपा गांव का महादलित टोला

''किसी भी प्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की, नतीजतन कई दशकों से हमारी स्थिति दयनीय बनी हुई है. बच्चे कुपोषित हो रहे हैं. स्कूल नहीं जाते हैं. वही हमारे परिवार को मजदूरी भी नहीं मिलती है. इधर उधर भटक कर किसी तरह मजदूरी की तलाश करते हैं और घर बमुश्किल से चल पाता है. दो सांझ की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती है. लकड़ी चुनकर और मजदूरी कर घर को किसी तरह से चलाते हैं.'' - उषा देवी, स्थानीय, महादलित टोला

20 साल शादी के हो गए.. नहीं मिला योजना का लाभ: मलपा गांव में सटे महादलित टोले के लोगों की भी यही शिकायत है. वीरेंद्र कुमार बताते हैं, कि उनके टोले में एक भी पक्का मकान नहीं है. उसकी शादी को 20 साल हो गए, लेकिन आज तक आवास योजना का लाभ नहीं मिला. सरकार की तरफ से कुछ योजना का लाभ मिल रहा हैं, लेकिन आवास योजना का लाभ आज तक नहीं मिल सका है. हमाके पास पक्का मकान नहीं है, टूटी फूटी झोपड़ी में रहने को विवश हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें भी आवास समेत अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाए.

सीओ ने दिया भरोसा, दिया जाएगा लाभ : इस संबंध में गुरारू के अंचलाधिकारी संजीव कुमार त्रिवेदी ने बताया कि ''इस तरह का मामला संज्ञान में आया है. दर्जन भर परिवार इस तरह से पीड़ित हैं, इसकी जानकारी मिली है. मामले में पूरी जानकारी ली जाएगी और वंचित लोगों को योजना का लाभ दिया जाएगा.''

क्या है तीन डिसमिल जमीन की योजना? : बिहार सरकार ने अनुसूचित जाति, पिछड़े एंव अति पिछड़ा वर्ग के वैसे लोगों को तीन डिसमिल जमीन देने का निर्णय लिया था, जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं है. बता दें कि एक सरकारी आंकडे के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष में ऐसे पिछड़े वर्ग के परिवार वालों की संख्या लगभग 10165 थी और अति पिछड़ा वर्ग के 18778 परिवार थे जिनके पास आवास के लिए जमीन नहीं थी.

गया: बिहार के गया जिले के गुरारू प्रखंड अंतर्गत मलपा पंचायत के मलपा गांव के महादलित टोला की स्थिति (Mahadalit Families in Gaya) काफी दयनीय है. टोले के लोगों को पक्का सरकारी आवास आज तक मुहैया नहीं कराया जा सका है. सर ढकने के लिए एक छत का इन्हें आज भी इंतजार है. इस स्थिति के बीच यह महादलित परिवार किसी तरह अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे है.

ये भी पढ़ें: 'जान दे देंगे जमीन नहीं छोड़ेंगे, अतिक्रमण के नाम पर हटाने से नाराज महादलित बस्ती के लोगों का प्रदर्शन

महादलित परिवार, सालों से यही हाल : जानवरों के बखोर की तरह प्लास्टिक, कपड़े और बांस की मदद से ठिकाना बना कर किसी तरह गुजर बसर कर रहे. हर मौसम की मार इन्हें झेलनी पड़ती है. टोले में दर्जनों महादलित परिवार रहते हैं. इसमें बच्चे से लेकर बुजुर्ग शामिल हैं, लेकिन उनके चेहरे की शिकन बताती है कि उनके लिए सरकारी योजनाएं आज तक सहारा नहीं बन सकी है.

मलपा गांव का महादलित टोला
मलपा गांव का महादलित टोला

कब मिलेगा पक्का मकान.. इंतजार है : महादलित टोले के रहने वाले राजेश मांझी बताते हैं, कि पिछले कई दशकों से उनका परिवार इसी तरह से रह रहा है. कई पूर्वज इसी तरह की जिंदगी को काटते हुए गुजर गए, लेकिन हमारी दशा नहीं बदली. हमें आज भी एक पक्के मकान का इंतजार है. किंतु कोई भी प्रतिनिधि या प्रशासन हमारी टोह नहीं ले रहा है. हमलोग गुहार लगाते-लगाते थक गए. लेकन कोई फायदा नहीं हुआ. हमें किसी प्रकार की योजना का लाभ नहीं मिलता है.

3 डिसमिल जमीन का लाभ नहीं मिला : वही टोले की उषा देवी बताती है, कि गर्मी में तेज धूप तो बरसात में पानी के कारण निकलना मुश्किल हो जाता है, इसी प्रकार मौसम की मार ठंड में भी झेलनी पड़ती है. उनकी ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. सरकार की ओर से भूमिहीन महादलित परिवार को दी जाने वाली 3 डिसमिल जमीन का भी लाभ नहीं मिला. हमारे पास अपनी तक जमीन नहीं है.

मलपा गांव का महादलित टोला
मलपा गांव का महादलित टोला

''किसी भी प्रतिनिधि ने कोई पहल नहीं की, नतीजतन कई दशकों से हमारी स्थिति दयनीय बनी हुई है. बच्चे कुपोषित हो रहे हैं. स्कूल नहीं जाते हैं. वही हमारे परिवार को मजदूरी भी नहीं मिलती है. इधर उधर भटक कर किसी तरह मजदूरी की तलाश करते हैं और घर बमुश्किल से चल पाता है. दो सांझ की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिल पाती है. लकड़ी चुनकर और मजदूरी कर घर को किसी तरह से चलाते हैं.'' - उषा देवी, स्थानीय, महादलित टोला

20 साल शादी के हो गए.. नहीं मिला योजना का लाभ: मलपा गांव में सटे महादलित टोले के लोगों की भी यही शिकायत है. वीरेंद्र कुमार बताते हैं, कि उनके टोले में एक भी पक्का मकान नहीं है. उसकी शादी को 20 साल हो गए, लेकिन आज तक आवास योजना का लाभ नहीं मिला. सरकार की तरफ से कुछ योजना का लाभ मिल रहा हैं, लेकिन आवास योजना का लाभ आज तक नहीं मिल सका है. हमाके पास पक्का मकान नहीं है, टूटी फूटी झोपड़ी में रहने को विवश हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें भी आवास समेत अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाए.

सीओ ने दिया भरोसा, दिया जाएगा लाभ : इस संबंध में गुरारू के अंचलाधिकारी संजीव कुमार त्रिवेदी ने बताया कि ''इस तरह का मामला संज्ञान में आया है. दर्जन भर परिवार इस तरह से पीड़ित हैं, इसकी जानकारी मिली है. मामले में पूरी जानकारी ली जाएगी और वंचित लोगों को योजना का लाभ दिया जाएगा.''

क्या है तीन डिसमिल जमीन की योजना? : बिहार सरकार ने अनुसूचित जाति, पिछड़े एंव अति पिछड़ा वर्ग के वैसे लोगों को तीन डिसमिल जमीन देने का निर्णय लिया था, जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं है. बता दें कि एक सरकारी आंकडे के मुताबिक पिछले वित्तीय वर्ष में ऐसे पिछड़े वर्ग के परिवार वालों की संख्या लगभग 10165 थी और अति पिछड़ा वर्ग के 18778 परिवार थे जिनके पास आवास के लिए जमीन नहीं थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.