गया: गया शहर में स्थित कुष्ठ आश्रम सह अस्पताल को अचानक से अगर कोई देख ले तो डर जाय.. समझना मुश्किल हो जाता है कि ये अस्पताल है या भूत बंगला. इस अस्पताल में ना तो बेड है ना मरीजों के रहने के लिए व्यवस्था ही है. यहां तक की कुष्ठ मरीजों के लिए एक शौचालय तक नहीं है. पूरे अस्पताल के लिए सिर्फ एक डॉक्टर ही है.
![gaya hospital became Bhoot Bungalow](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10237139_1079_10237139_1610613408474.png)
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अस्पताल बना भूत बंगला
गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम गया के छोटकी नवादा के पास 12 एकड़ के कैंपस में बना है. सन 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध के समय एडवर्ड द सेवेंथ मेमोरियल के नाम पर लेपर एसाइलम के नाम से इस अस्पताल को बनाया गया था. अंग्रेजों के समय मे इस अस्पताल में 300 के करीब मरीजों के रहने का क्षमता थी. इस अस्पताल में अंग्रेजों के समय सारी सुविधाएं भी थी. लेकिन अब ये भूत बंगला बन चुका है.
![gaya hospital became Bhoot Bungalow](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10237139_828_10237139_1610613529328.png)
बदहाल अस्पताल, बेहाल मरीज
1956 में बिहार सरकार के अधीन आने के बाद इस अस्पताल की दशा बदलने लगी. 1956 से लेकर आज तक ये अस्पताल बदहाली का आलम झेल रहा है.इस अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है. मगध प्रमंडल का एकमात्र गौतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम सह अस्पताल काफी जर्जर है. शाम होते ही यह अस्पताल भूत बंगला में तब्दील हो जाता है. अस्पताल के सारे भवन में लगे खिड़की के लोहे के सरिया तक नहीं है.
![gaya hospital became Bhoot Bungalow](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10237139_714_10237139_1610613436227.png)
कुष्ठ रोगियों का दर्द
रहने की जगह नहीं है. अस्पताल जर्जर अवस्था में है, कब गिरेगा पता नहीं. हमलोग जहां तहां रह रहे हैं. पाया हिल रहा है, कोई साधन नहीं है. हमारे रहने की कोई व्यवस्था नहीं है- उमेश यादव, कुष्ठ रोगी
कोई सामान नहीं है. कर्मचारी भी कुछ नहीं देखता है. कुछ बोलने से डर लगता है. बोलने पर नाम काटकर भगाने लगता है. समय काट रहे हैं. भगवती प्रसाद, मरीज
रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. सब चोर कबाड़कर ले गये. घर पर रहते हैं इलाज के लिए आते हैं. इलाज तो कराना पड़ेगा नहीं तो कैसे चलेंगे. भीख मांगकर गुजारा करते हैं. जानकी देवी,कुष्ठ रोगी
भगवान भरोसे इलाज
अंग्रेजों के समय 300 मरीज रहते थे उसके बाद इसकी क्षमता 170 बेड की गई और अभी 50 बेड का अस्पताल है जहां 36 मरीज इलाजरत हैं. इस अस्पताल में 13 वार्ड भवन है लेकिन सारे भवन जर्जर हैं.
![gaya hospital became Bhoot Bungalow](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10237139_827_10237139_1610613469329.png)
सिविल सर्जन का कहना है..
30 से 35 मरीज रहते हैं. सभी गरीब हैं. 14 भवन की हालत जर्जर है. कुछ कमरे ठीक हैं जिसमें सभी रहते हैं. हमारी तरफ से जरूरत का सामान भिजवाया गया है. और इन सभी के लिए उचित व्यवस्था करने को कहा गया है ताकि आगे ऐसी शिकायत ना आये.- डॉ.के.के.रॉय, सिविल सर्जन ,गया