गया : बिहार के गया का एक युवक पंछियों की चिंता करता है. जब गर्मी झुलसा रही है, तो ऐसे में यह युवक पंछियों के लिए जमीन से सैकड़ों फीट ऊंचे पहाड़ों पर दाना-पानी की जुगत में अपने पसीने रोजाना बहा रहा है. पक्षियों के संरक्षण के लिए इसकी यह पहल 'मील का पत्थर' के समान है. इस युवक ने पिछले 7 सालों से 'दाना-पानी लगाओ-पंछियों को बचाओ' का अभियान चला रखा है.
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आमलोग भी अभियान से जुड़ने लगे हैं : रंजन कुमार के इस अभियान को देख लोगों में भी जागरुकता आई है और उसके इस अभियान से जुड़ने भी लगे हैं. हालांकि इस पंछी प्रेमी युवक की तरह वे पहाड़ों पर तो नहीं, लेकिन अपने घरों की छतों पर खुला पिंजरा लगाने लगे हैं. वैसे रामशिला पहाड़ी पर खुला पिंजरा लगाए जाने से पंछियों से यह स्थान गुलजार है और यहां पंछियों का आना ज्यादा होता है. पंछी यहां आकर पेड़ों पर टांगे गए खुले पिंजरे में पहुंच अपनी प्यास बुझाते हैं. दाना चुगते हैं, स्नान करते हैं और झूले का भी आनंद लेते हैं.
7 सालों से इस तरह के अभियान से जुड़ा है रंजन कुमार : गया शहर के बागेश्वरी मोहल्ले का रहने वाला युवक रंजन कुमार पिछले 7 सालों से इस तरह का अभियान चला रहा है. उसके द्वारा पंछियों के संरक्षण के लिए इस भीषण गर्मी में रामशिला पहाड़ वह अन्य स्थानों पर दाना पानी लगाओ पंछियों को बचाओ का अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत खुले पिंजड़े लगाए जाते हैं. इस युवक के द्वारा अब तक करीब 100 से अधिक खुले पिंजड़े लगाए गए हैं. खास बात यह है, कि इस तरह के खुले पिंजरे पहाड़ों पर लगाए गए हैं. इन खुले पिंजरे में आकर पंछी अपनी प्यास बुझाते हैं और दाना भी चुंगते हैं.
पक्षियों के लिए खुले पिंजड़े में झूला भी : रंजन के द्वारा पहाड़ के अलावे मैदानी भागों पर भी खुले पिंजरे लगाने का काम किया जा रहा है. वहीं, आम लोगों के लिए प्याऊ की भी व्यवस्था कर रखी है. रंजन कुमार की पहचान आज पंछियों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाले शख्स के रूप में होने लगी है. इसके द्वारा भीषण गर्मी को देखते हुए पहाड़ों पर दर्जनों खुले पिंजड़े लगाए गए हैं.
क्या है पिंजड़े की खासियत : खुले पिंजरों को टीन से बनाया गया है. टीन को तीन ओर से काटा जाता है, जिस पर चावल आदि अनाज रखे जाते हैं. वहीं बीच वाले भाग में पानी रखा जाता है. इस बार पंछियों के लिए पिंजरे में झूले भी लगाए गए हैं, जो कि लकड़ी और पतले तार की मदद से बनाया गया है. इस तरह खुले पिंजरे में आकर पंछी अपनी प्यास बुझाते हैं. दाना चुंगते हैं, स्नान करते हैं और अब खुले पिंजरे में झूले भी झूल कर चले जाते हैं. इस तरह खुले पिजड़े लगाए जाने से पंछी लगातार आते-जाते रहते हैं. वहीं, इसके द्वारा पहाड़ की चोटी पर कुछ सकोरा भी बनाए गए हैं, जिसमें पानी 2-3 दिनों तक जमा रहता है.
''रामशिला एक बड़ी पहाड़ी है. इसका एरिया काफी फैला हुआ है. किंतु इस पहाड़ पर पानी की व्यवस्था नहीं है. इससे पंछी प्यासे रह जाते हैं या फिर इधर-उधर भटकते हैं. मुझे पंछियों से काफी प्रेम है और पंछियों को दाना पानी की कमी न हो, इसे लेकर दाना पानी लगाओ पंछियों को बचाओ का अभियान पिछले 7 सालों से चला रहा हूं. इस अभियान के तहत दर्जनों खुले पिंजरे रामशिला पहाड़ पर लगा चुका हूं. रामशिला पहाड़ जमीन से सैकड़ों फीट ऊंचाई पर है. किंतु फिर भी रोज पहाड़ पर चढ़कर पंछियों के लिए पेड़ों पर टांगे गए खुले पिंजरे में पानी और अनाज डालता हूं, ताकि पंछियों को पानी मिल सके.''- रंजन कुमार, पंछी संरक्षण, गया
पंछियों के संरक्षण के लिए खर्च करता है रुपया : रंजन कुमार की पहचान 'पंछी प्रेमी' के रूप में भी है. वह पंछियों के संरक्षण के लिए काम करता है. किंतु किसी से इसके लिए रुपया नहीं मांगता, बल्कि वह मवेशियों को सुई देने का काम करता है और बच्चों को पढ़ाने का भी, उसी में से जो आमदनी होती है, उसके कुछ हिस्से काटकर वह पक्षियों के संरक्षण के लिए पिछले 7 सालों से काम कर रहा है.
पंछियों का संरक्षण पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी : रंजन बताता है कि पर्यावरण के लिए पंछी काफी जरूरी है और यह पर्यावरण को संतुलित करने का काम करते हैं. ऐसे में पंछियों का संरक्षण बेहद जरूरी है. वह बताता है कि पर्यावरण असंतुलित होने का ही नतीजा है कि आज हमारे घरों के आंगन से गोरैया, मैना और कौवा लुप्त होते जा रहे हैं. पहले घरों के आंगन में यह इस तरह के पंछी आया करते थे, लेकिन अब यह धीरे-धीरे दूर हो गए हैं. ऐसे में इस तरह के अभियान चलाकर पंछियों के संरक्षण के लिए काम किया जा सकता है. उसके द्वारा लगाए गए खुले पिंजरे में पंछियों के अलावे छोटे-छोटे पशु गिलहरी आदि भी आते हैं और वह भी दाना पानी लेते हैं.
पंछियों को बचाने की यह बड़ी है मुहिम : स्थानीय अशोक कुमार गुप्ता बताते हैं कि पंछियों को बचाने की यह बड़ी मुहिम है. गया के बागेश्वरी के युवक रंजन कुमार के द्वारा पंछियों के संरक्षण की दिशा में पानी दाना लगाओ पंछियों को बचाओ का अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत रामशिला पहाड़ के पेड़ों पर दर्जनों खुले पिंजरे लगाए गए हैं. यह एक बड़ी पहल है. उसकी इस तरह के अभियान का नतीजा है कि अब हम लोगों के द्वारा भी घरों की छतों पर खुला पिंजरा लगाया जा रहा है, ताकि पंछी अपनी प्यास और भूख मिटा सकें.