गया: मशरूम की खेती आधुनिक युग की नई फसल है, जो वर्तमान में खेती का बेहतर विकल्प है. ऐसे में बिहार के गया जिले के बीहड़ों और जंगलों में कीमती मशरूम (Mushroom) मिला है. गया के विभिन्न क्षेत्रों में यह कीमती मशरूम उपजा है. इसकी पहचान मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) के जंतु विज्ञान विभाग के शोध के छात्र मोहम्मद दानिश मंसूर ने किया है. उन्होंने बताया कि इस मशरूम को गैनोडर्मा मशरूम (Ganoderma mushroom) के नाम से जाना जाता है.
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छात्र मंसूर ने गया शहर से लेकर बराबर पहाड़ की तलहटी तक इस मशरूम को स्वस्थ हालत में उपजा देखा है. बता दें कि चीन में पाये जाने वाला यह मशरूम सात हजार रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है. दरअसल, मशरूम को हम अपने आसपास दो से तीन रंगों और प्रकार में देखते हैं लेकिन विश्व में मशरूम के कई प्रकार हैं. कई मशरूम की प्रजाति काफी महंगी बिकती है. उसी महंगी बिकने वाले प्रजाति का मशरूम गया जिले के बीहड़ों और पहाड़ों में उपजा दिखा है.
"यह गैनोडर्मा मशरूम (Ganoderma mushroom) है. इस मशरूम की कीमत 3 हजार से लेकर 7 हजार रुपये तक प्रति किलोग्राम है. इसकी मुख्य रूप से चीन में खेती की जाती है. इस मशरूम का उपयोग आयुवर्धक दवाईयां बनाने के लिए किया जाता है. गया के वातावरण में यह बहुत सारी जगहों पर स्वस्थ हालात में पाया गया है. यह बहुत कीमती मशरूम है अगर इसकी खेती की जाए तो कृषक को अधिक मुनाफा मिलेगा."- मोहम्मद दानिश मंसूर, शोध छात्र, मगध विश्वविद्यालय
मगध विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद दानिश मंसूर ने बताया कि इस मशरूम की खेती करने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं करना पड़ता है. जिस तरह से सामान्य मशरूम की खेती करते हैं ठीक उसी तरह की खेती करनी पड़ती है. हम लोग विभाग की तरफ से नेचर वॉक किया था. बराबर पहाड़ की तलहटी में भारी तादाद में यह मशरूम उपजा हुआ मिला है. इन मशरूम को उपजना यह साबित करता है कि चीन की तरह यहां भी इसका खेती कर कम दिनों अधिक मुनाफा कमाए.
बात दें कि गैनोडर्मा ल्यूसिडम को 'दुर्लभ ऋषि मशरूम' (Rare Reishi Mushroom) भी कहा जाता है. जानकारी के अनुसार, पड़ोसी देश चीन में लोग ऋषि मशरूम को महौषधि और रसायन के बराबर मानते हैं. वहीं, रोम में इसे ईश्वर का आहार मानते हैं. बताते चलें कि भारत, चीन, मलेशिया समेत अन्य एशियाई देशों में अमर मशरूम के रूप में इसका इस्तेमाल होता है.
बिहार के गया जिले में यह मशरूम को देखा गया है. ऐसे में गैनोडर्मा मशरूम को हाथों हाथ कई कंपनियां खरीद लेगी. कंपनियां इस मशरूम से कई दवाईयां बनाते हैं. इसके टानिक और टेबलेट बाजार में उपलब्ध हैं. इसमें पालीसैकेराइड्स, ट्राइटरपीनायड्स, एडिनोसिन, आर्गेनिक जर्मेनियम जैसे प्रमुख रासायनिक तत्व होते हैं. ये रासायनिक तत्व रक्तचाप, रक्त शर्करा, ट्यूमर, कैंसर समेत दूसरे रोगों से लड़ने की क्षमता रखते हैं. साथ ही इस मशरूम की खेती देश में बहुत कम होती है, अगर बिहार के गया में होने लगे तो यहां की बेरोजगारी काफी कम हो जाएगा.
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