गया: आजादी से पूर्व वर्ष 1936 में जमींदारी उन्मूलन प्रथा चलाया गया था. इसका एक बड़ा केंद्र बिहार के गया जिला (Gaya District) स्थित बेलागंज प्रखंड का सहवाजपुर गांव रहा है. अमेरिकी दूतावास में राजनीतिक सलाहकार रहे और स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम बिहटा के वरीय सदस्य डॉ. कैलाश चन्द्र झा (Dr Kailash Chandra Jha) ने बुधवार को आंदोलन स्थल का दौरा किया. जहां उन्होंने नेयामतपुर आश्रम जाकर स्वतंत्रता सेनानी सह किसानों के चहेते नेता पंडित यदुनंदन शर्मा के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया. उसके उपरांत डॉ. कैलाश रेवड़ा किसान सत्याग्रह (Revda Kisan Satyagraha) के गवाह रहा बेलागंज के सहबाजपुर गांव (Sahbazpur village) पहुंचे.
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सहबाजपुर गांव में उन्होंने सत्याग्रह में शामिल रहे वयोवृद्ध ग्रामीण रामजनम सिंह से मुलाकात की. औपचारिक मुलाकात के दौरान डॉ. कैलाश चन्द्र झा ने रामजनम सिंह को एक तस्वीर भेंट की. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज मेरे लिए काफी खुशी का दिन है. महान स्वतंत्रता सेनानी सह किसानों के चहेते नेता पंडित यदुनंदन शर्मा के द्वारा 31 जनवरी 1936 में सहबाजपुर गांव से जमींदारी उन्मूलन के खिलाफ शुरू किए गए ऐतिहासिक रेवड़ा आंदोलन की वह तस्वीर मुझे पुनः प्राप्त हुआ.
डॉ. कैलाश चन्द्र झा ने कहा कि इस तस्वीर को 36 साल पूर्व किसी विदेशी रिसर्चर ने मुझ से मांग कर ले गए थे जो लौटा नहीं था. उस तस्वीर के जाने का बहुत अफसोस रहता था. लेकिन पर पंडित यदुनंदन शर्मा सेवा आश्रम ट्रस्ट के पहल ने मुझे पुनः इस तस्वीर को वापस ला दिया. इसके बाद डॉ. कैलाश चन्द्र झा सत्याग्रही रामजनम सिंह और ट्रस्ट के सदस्यों के साथ उस ऐतिहासिक स्थल पर गए. जहां पर रेवड़ा किसान सत्याग्रह का शुरुआत हुआ था.
यहां रामजन्म सिंह ने डॉ. कैलाश चन्द्र झा को बताया कि उस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिला, यहां तक कि गर्भवती महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई थी. महिलाओं के उग्र रूप को देखकर जमींदार के सिपाहियों को पीछे हटना पड़ा और जमींदार के खलिहानों पर कब्जा जमाया. यहीं से पंडित यदुनंदन शर्मा को जमींदारी उन्मूलन की पहली सफलता मिली थी.
वहीं, डॉ. कैलाश चन्द्र झा उनकी बातों को सुन भावुक हो उठे और कहा कि जिस घटना को किताब में पड़ा आज उस ऐतिहासिक स्थल पर आना गर्व महसूस हो रहा है. यह जगह ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. बता दें कि सहबाजपुर में यदुनंदन शर्मा का प्रतिमा और संग्रहालय बनाने के लिए 10 डिसमिल जमीन भी चिन्हित किया गया है.
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