गयाः पितृपक्ष मेला 2019 का नाजारा महाकुंभ जैसा दिख रहा है. प्रमुख पिंडवेदी स्थल दुल्हन की तरह सजा है. सफाई के लिए सैकड़ों मजदूर लगे हुए हैं. जगह-जगह पुलिस बल, स्वास्थ्य शिविर लगे हुए हैं. लेकिन ये नजारा पहले कभी नहीं था. ऐसा यहां पिछले पांच सालों से हुआ है, जब 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पितृपक्ष मेला को राजकीय मेला घोषित किया. तब से इसका रूप रंग बदल गया.
पूर्व सीएम से ईटीवी भारत की खास बातचीत
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में मेले के लिए कई काम किए. अभी पितृपक्ष मेला चल रहा है, मेला को राजकीय दर्जा कैसे दिया गया और अभी इसकी क्या व्यवस्था है, इसे लेकर ईटीवी भारत ने जीतन राम मांझी से खास बातचीत की.
'2014 के पहले मेले का कोई अस्तित्व नहीं था'
जीतनराम मांझी ने बताया कि उन्होंने बिहार में आस्था और देश- विदेश से जुड़े दो मेले पितृपक्ष मेला और सोनपुर मेला को राजकीय मेला घोषित किया. 2014 के पहले की सरकारों ने इन मेले को क्यों नहीं राजकीय घोषित किया यह मैं नहीं जानता, उनका मामला है. राजकीय दर्जा मिलने के पहले मेला का कोई अस्तित्व नहीं था.
'गंदगी से परेशान रहते थे श्रद्धालु'
देश-विदेश से आये श्रद्धालु गंदगी से परेशान रहते थे, लोग नाक सिकड़ोते थे. हमने सोचा इतने ख्याति प्राप्त मेला से लोग नाक सिकोड़कर जा रहे हैं, इससे बिहार की बदनामी हो रही है. यह सोचकर मेला को राजकीय मेला का दर्जा दिया कि कुछ फंड मिलेगा, इसकी व्यवस्था सुधरेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और कुछ दल इस मेला को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा देने की बात कर रहे हैं, उसमें मैं साथ हूं. लेकिन उससे पहले फल्गु में पानी लाने के लिए संघर्ष करना होगा.
'ट्रैफिक व्यवस्था सही नहीं है'
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी मेला में ट्रैफिक व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं. ईटीवी भारत के माध्यम से उन्होंने सरकार से कहा कि व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करें. मेले के वर्तमान व्यवस्था के बारे में उतना नहीं बता सकते हैं, क्योंकि मैं आज ही शाम को आया हूं. लेकिन मेले में मुझे कमी दिखी. यात्री पिछले साल से कम आ रहे हैं. लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था भी सही नहीं है. मैं खुद जाम में फंसा रहा.
मेले की सुरक्षा बढ़ाने की मांग
जीतनराम मांझी ने कहा कि गया के करमोनी और मानपुर इलाके से आतंकवादी गिरफ्तार हुए थे. बोधगया में आतंकी हमला हो चुका है. फिर भी उस स्तर की सुरक्षा यहां नहीं दिख रही है. सुनने में आ रहा है कि कई जगहों के सीसीटीवी कैमरे बन्द पड़े हैं. ये मेला भी आंतकियों के निशाने पर है. मैं आपके माध्यम से सरकार को आगाह करना चाहता हूं कि इस मेला में सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाया जाए.