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जिसकी जितनी जनसंख्या भारी, मिले उसे उतनी हिस्सेदारी: मांझी - जातीय जनगणना

बिहार के गया में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 6वें स्थापना दिवस (Foundation day) समारोह में जातिगत जनगणना की मांग की और धर्मांतरण पर भी बोले.

जीतन राम मांझी
जीतन राम मांझी
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Published : Jul 25, 2021, 4:00 AM IST

गया: हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के 6वें स्थापना दिवस पर बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (Hindustan Awam Morcha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jeetan Ram Manjhi) ने जातीय जनगणना की मांग की. उन्होंने कहा कि जिसकी जितनी जनसंख्या भारी, उसको उतनी हिस्सेदारी मिले. सिर्फ अनुसूचित जाति, जनजाति की संख्या की गिनती नही हो बल्कि सभी जातियों की जनगणना होनी चाहिए. ताकि जनसंख्या के अनुसार लोगों को लाभ मिले. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना की मांग वे वर्षों से करते आ रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी

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वहीं, धर्मांतरण के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम हिन्दू हैं तो हमें भी समान दर्जा मिलनी चाहिए. लेकिन यहां ऊंच-नीच, जाति-पाति और छुआछूत सब कुछ व्याप्त है. हम अम्बेडकरवादी हैं, जिन्होंने बहुत प्रयास किया था भेदभाव मिटाने का. लेकिन वे सफल नही हुये और अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया. बौद्ध धर्मं मे जाति-पाति नही है.

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उन्होंने कहा कि जब तक जाति-पाति का बंधन नही टूटेगा तब तक ऊंच-नीच खत्म नही होगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में जिन लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया है. वे जीवन में खूब तरक्की किये हैं. आईएएस और आईपीएस तक बने. लेकिन जो हिन्दू धर्म में ही रह गए वे ज्यों के त्यों रह गए.

गया: हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के 6वें स्थापना दिवस पर बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (Hindustan Awam Morcha) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jeetan Ram Manjhi) ने जातीय जनगणना की मांग की. उन्होंने कहा कि जिसकी जितनी जनसंख्या भारी, उसको उतनी हिस्सेदारी मिले. सिर्फ अनुसूचित जाति, जनजाति की संख्या की गिनती नही हो बल्कि सभी जातियों की जनगणना होनी चाहिए. ताकि जनसंख्या के अनुसार लोगों को लाभ मिले. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना की मांग वे वर्षों से करते आ रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी

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वहीं, धर्मांतरण के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम हिन्दू हैं तो हमें भी समान दर्जा मिलनी चाहिए. लेकिन यहां ऊंच-नीच, जाति-पाति और छुआछूत सब कुछ व्याप्त है. हम अम्बेडकरवादी हैं, जिन्होंने बहुत प्रयास किया था भेदभाव मिटाने का. लेकिन वे सफल नही हुये और अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया. बौद्ध धर्मं मे जाति-पाति नही है.

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उन्होंने कहा कि जब तक जाति-पाति का बंधन नही टूटेगा तब तक ऊंच-नीच खत्म नही होगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में जिन लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया है. वे जीवन में खूब तरक्की किये हैं. आईएएस और आईपीएस तक बने. लेकिन जो हिन्दू धर्म में ही रह गए वे ज्यों के त्यों रह गए.

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