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Monsoon in Bihar: दशकों बाद खरीफ फसल की खेती से पहले खुश दिख रहे किसान, ये है वजह - farming of Kharif crop in Gaya

गया में लगातार हो रही बारिश से किसानों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है. जिले में किसानों ने खरीफ फसल (Kharif Crop) की खेती शुरू कर दी है. उन्होंने कहा है कि इस साल बारिश हो जाने से उम्मीद है कि पूरे फसल का पटवन बारिश के पानी से हो जाएगा. पढ़ें पूरी खबर....

Farmers started farming of Kharif crop in Gaya
Farmers started farming of Kharif crop in Gaya
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Published : Jun 26, 2021, 10:26 AM IST

Updated : Jun 26, 2021, 12:01 PM IST

गया: बिहार में मानसून (Monsoon in Bihar) के जल्द दस्तक देने से गया जिले के किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. धान की खेती (Paddy Farming) के लिए मानसून का समय पर आना अच्छा संकेत माना जाता है. गया में पिछले सप्ताह से प्रतिदिन मूसलाधार बारिश (Rain) हो रही है. जिसके बाद किसानों ने खरीफ फसल (Kharif Crop) की खेती शुरू कर दी है.

यह भी पढ़ें - मधुर गीतों के साथ की जा रही धान की रोपनी, भगवान इंद्र को प्रसन्न कर रहीं महिला किसान

बता दें कि जून माह में यहां पेयजल संकट गहराया रहता था, लेकिन इस साल मानसून की बारिश ने सभी जलस्त्रोत को चालू कर दिया है. पिछले 12 दिनों से कभी मध्यम और कभी तेज बारिश हो रही है. सालों सूखे नहर, पोखर और तालाब पानी से लबालब भर गए हैं. किसानों ने धान की खेती की तैयारी शुरू कर दी है.

खरीफ फसल की बुआई
दरअसल, धान की अच्छी पैदावार (paddy crop) के लिए समय पर खेती करना आवश्यक है. ऐसे में चक्रवाती तूफान (yass cylone) से आयी बारिश से खेतों में पानी आ जाने से किसानों को खेती करने में और भी आसानी हो गई है. सभी किसान खेतों में बिचड़ा डालने में जुट गये हैं.

देखें वीडियो

यह भी पढ़ें - Yaas Impact: रोहिणी नक्षत्र में हुई बारिश से खिले किसानों के चेहरे, खेतों में बिचड़ा डालने की तैयारी

"मेरी याद में पहली बार बिचड़ा देने के दौरान इतनी बारिश हुई है. बिजली या डीजल पंप सेट से पटवन कर बिचड़ा से मोरी निकालते थे. आधा से ज्यादा पैसा इसी में लग जाता था. लेकिन इस साल बारिश हो जाने से उम्मीद है कि पूरे फसल का पटवन बारिश के पानी से हो जाएगा. जिससे लोगों की सिंचाई में खर्च होने वाले काफी पैसों की बचत हो जाएगी."- श्याम देव यादव, किसान

वहीं, टिकारी प्रखंड के किसान जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार मानसून पहले से मजबूत आया है. हर दिन बारिश हो रही है. बोये बिचड़ा के खेत से अब पानी निकालना पड़ रहा है. हमलोग इस बारिश से खुश हैं. इतनी बारिश हुई है कि सभी पोखर और नहर भर गए हैं.

"धान का बीज विभाग द्वारा अनुदानित दर पर दिया जा रहा है. कृषि विभाग के अनुसार, अब तक जिले में 50 फीसदी बीज वितरण कर दिए गए हैं. वहीं, टिकारी प्रखंड में 80 फीसदी बीज का वितरण कर दिया गया है."- गोपाल रंजन, प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी

बिचड़े की तौयारी में जुटे किसान
टिकारी के प्रखंड कृषि पदाधिकारी गोपाल रंजन ने बताया कि इस बार अच्छी बारिश से धान की खेती ठीक-ठाक हो रही है. आहर, पोखर में पानी आने से किसानों को सिंचाई में सुविधा हो रही है. बिचड़ा का विकास इस पानी से अच्छे से होगा. 21 दिन के बाद भी बिचड़ा रोपने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, उम्मीद है कि जुलाई के पहले हफ्ते में पूरे जिले में रोपनी शुरू हो जाएगी.

comming mansoon happy farmer
बारिश की पानी से किसान खुश

धान की रिकार्ड खरीद
सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा था कि इस साल 35.58 लाख मीट्रिक टन धान की रिकार्ड अधिप्राप्ति की गई और किसानों को 6737 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

नीतीश कुमार ने ट्वीट कर लिखा कि 'बिहार में धान एवं गेहूं की विकेन्द्रीकृत अधिप्राप्ति से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिला है. इस वर्ष 35.58 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की गई और किसानों को 6736 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है.

'पहले बिहार में गेहूं की खरीद नाम मात्र की होती थी. 12 जून की समीक्षा बैठक के बाद लगा कि 15 जून 2021 तक 3.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की अधिप्राप्ति हो जाएगी. परन्तु यह हर्ष का विषय है कि 15 जून 2021 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार, 4 लाख 56 हजार मीट्रिक टन गेहूं की रिकार्ड खरीद की गई है.'- नीतीश कुमार, सीएम

MSP से कीमत पर गेहूं की खरीद
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार ने इस रबी सीजन में गेहूं के लिए एमएसपी 1,975 रूपये प्रति क्विंटल की दर पर घोषित कर रखा था. लेकिन किसान इसे 1600 से 1700 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचने के लिए मजबूर हैं.

सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से खुलासा होता है कि बिहार में देश के कुल गेहूं के उत्पादन का 5.7% हिस्सा है. इस साल किसानों ने 2,33,000 हेक्टेयर से अधिक की कृषि भूमि पर गेहूं की खेती की है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल 12 करोड़ की आबादी का तकरीबन दो-तिहाई हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. इनमे से अधिकांश छोटे और सीमान्त किसान हैं. इसके अलावा, कृषि गतिविधियों से संबंधित करीब-करीब दो-तिहाई हिस्सा बरसात पर निर्भर है.

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कैसे होगी धान की खेती? भारी बारिश के कारण पानी में डूबा बिचड़ा, किसानों को फसल खराब होने का डर

गया: बिहार में मानसून (Monsoon in Bihar) के जल्द दस्तक देने से गया जिले के किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. धान की खेती (Paddy Farming) के लिए मानसून का समय पर आना अच्छा संकेत माना जाता है. गया में पिछले सप्ताह से प्रतिदिन मूसलाधार बारिश (Rain) हो रही है. जिसके बाद किसानों ने खरीफ फसल (Kharif Crop) की खेती शुरू कर दी है.

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बता दें कि जून माह में यहां पेयजल संकट गहराया रहता था, लेकिन इस साल मानसून की बारिश ने सभी जलस्त्रोत को चालू कर दिया है. पिछले 12 दिनों से कभी मध्यम और कभी तेज बारिश हो रही है. सालों सूखे नहर, पोखर और तालाब पानी से लबालब भर गए हैं. किसानों ने धान की खेती की तैयारी शुरू कर दी है.

खरीफ फसल की बुआई
दरअसल, धान की अच्छी पैदावार (paddy crop) के लिए समय पर खेती करना आवश्यक है. ऐसे में चक्रवाती तूफान (yass cylone) से आयी बारिश से खेतों में पानी आ जाने से किसानों को खेती करने में और भी आसानी हो गई है. सभी किसान खेतों में बिचड़ा डालने में जुट गये हैं.

देखें वीडियो

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"मेरी याद में पहली बार बिचड़ा देने के दौरान इतनी बारिश हुई है. बिजली या डीजल पंप सेट से पटवन कर बिचड़ा से मोरी निकालते थे. आधा से ज्यादा पैसा इसी में लग जाता था. लेकिन इस साल बारिश हो जाने से उम्मीद है कि पूरे फसल का पटवन बारिश के पानी से हो जाएगा. जिससे लोगों की सिंचाई में खर्च होने वाले काफी पैसों की बचत हो जाएगी."- श्याम देव यादव, किसान

वहीं, टिकारी प्रखंड के किसान जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार मानसून पहले से मजबूत आया है. हर दिन बारिश हो रही है. बोये बिचड़ा के खेत से अब पानी निकालना पड़ रहा है. हमलोग इस बारिश से खुश हैं. इतनी बारिश हुई है कि सभी पोखर और नहर भर गए हैं.

"धान का बीज विभाग द्वारा अनुदानित दर पर दिया जा रहा है. कृषि विभाग के अनुसार, अब तक जिले में 50 फीसदी बीज वितरण कर दिए गए हैं. वहीं, टिकारी प्रखंड में 80 फीसदी बीज का वितरण कर दिया गया है."- गोपाल रंजन, प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी

बिचड़े की तौयारी में जुटे किसान
टिकारी के प्रखंड कृषि पदाधिकारी गोपाल रंजन ने बताया कि इस बार अच्छी बारिश से धान की खेती ठीक-ठाक हो रही है. आहर, पोखर में पानी आने से किसानों को सिंचाई में सुविधा हो रही है. बिचड़ा का विकास इस पानी से अच्छे से होगा. 21 दिन के बाद भी बिचड़ा रोपने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, उम्मीद है कि जुलाई के पहले हफ्ते में पूरे जिले में रोपनी शुरू हो जाएगी.

comming mansoon happy farmer
बारिश की पानी से किसान खुश

धान की रिकार्ड खरीद
सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा था कि इस साल 35.58 लाख मीट्रिक टन धान की रिकार्ड अधिप्राप्ति की गई और किसानों को 6737 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

नीतीश कुमार ने ट्वीट कर लिखा कि 'बिहार में धान एवं गेहूं की विकेन्द्रीकृत अधिप्राप्ति से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिला है. इस वर्ष 35.58 लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति की गई और किसानों को 6736 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है.

'पहले बिहार में गेहूं की खरीद नाम मात्र की होती थी. 12 जून की समीक्षा बैठक के बाद लगा कि 15 जून 2021 तक 3.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की अधिप्राप्ति हो जाएगी. परन्तु यह हर्ष का विषय है कि 15 जून 2021 के अंतिम आंकड़ों के अनुसार, 4 लाख 56 हजार मीट्रिक टन गेहूं की रिकार्ड खरीद की गई है.'- नीतीश कुमार, सीएम

MSP से कीमत पर गेहूं की खरीद
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्य सरकार ने इस रबी सीजन में गेहूं के लिए एमएसपी 1,975 रूपये प्रति क्विंटल की दर पर घोषित कर रखा था. लेकिन किसान इसे 1600 से 1700 रूपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचने के लिए मजबूर हैं.

सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से खुलासा होता है कि बिहार में देश के कुल गेहूं के उत्पादन का 5.7% हिस्सा है. इस साल किसानों ने 2,33,000 हेक्टेयर से अधिक की कृषि भूमि पर गेहूं की खेती की है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल 12 करोड़ की आबादी का तकरीबन दो-तिहाई हिस्सा अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. इनमे से अधिकांश छोटे और सीमान्त किसान हैं. इसके अलावा, कृषि गतिविधियों से संबंधित करीब-करीब दो-तिहाई हिस्सा बरसात पर निर्भर है.

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Last Updated : Jun 26, 2021, 12:01 PM IST
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