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गया: हाथों में धान का बिचड़ा लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन - Gaya latest news

धरना में शामिल किसानों ने टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की. सर्वदलीय संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

हाथों में धान का बिचड़ा लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन
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Published : Sep 26, 2019, 11:12 PM IST

गया: जिले के कई प्रखंड में सुखाड़ की स्थिति से किसान परेशान हैं. इससे फसल बर्बाद हो गई है, जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी क्रम में टनकुप्पा प्रखंड कार्यालय के प्रांगण में सैकड़ों किसानों ने एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया.

Gaya latest news
बारिश न होने से सुखे पड़े खेत

टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग
धरना में शामिल किसानों ने टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की. यह सर्वदलीय संघर्ष समिति के बैनर तले किया गया. इसमें सैकड़ों महिला-पुरुष किसानों ने हाथ में धान का बिचड़ा लेकर सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

Gaya latest news
हाथ में धान का बिचड़ा लिए किसान

15 से 20 प्रतिशत ही हुई धान की रोपनी
सर्वदलीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष नंदलाल मांझी ने कहा कि प्रशासन ने जिले के 24 प्रखंडों में से 14 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित किया है. जिसमें टनकुप्पा को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया. यहां मात्र 25 प्रतिशत बारिश हुई है. जिससे 15 से 20 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है. जो धान के बिचड़े खेतों में बोए गए थे सब बारिश के अभाव में अब जलने लगे हैं. जिससे किसानों की स्थिति दयनीय हो गई है.

हाथों में धान का बिचड़ा लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन

कृषि मंत्री के आवास पर जाकर करेंगे मांग
नंदलाल मांझी ने कहा कि अगर हमारी मांगें पूरी नहीं की गई तो वे लोग कृषि मंत्री के आवास पर जाकर इसकी मांग करेंगे. स्थानीय किसानों ने बताया कि बारिश न होने की वजह से धान की रोपनी नहीं हो पाई है. जिससे रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं.

गया: जिले के कई प्रखंड में सुखाड़ की स्थिति से किसान परेशान हैं. इससे फसल बर्बाद हो गई है, जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी क्रम में टनकुप्पा प्रखंड कार्यालय के प्रांगण में सैकड़ों किसानों ने एकदिवसीय धरना प्रदर्शन किया.

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बारिश न होने से सुखे पड़े खेत

टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग
धरना में शामिल किसानों ने टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की. यह सर्वदलीय संघर्ष समिति के बैनर तले किया गया. इसमें सैकड़ों महिला-पुरुष किसानों ने हाथ में धान का बिचड़ा लेकर सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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हाथ में धान का बिचड़ा लिए किसान

15 से 20 प्रतिशत ही हुई धान की रोपनी
सर्वदलीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष नंदलाल मांझी ने कहा कि प्रशासन ने जिले के 24 प्रखंडों में से 14 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित किया है. जिसमें टनकुप्पा को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया. यहां मात्र 25 प्रतिशत बारिश हुई है. जिससे 15 से 20 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है. जो धान के बिचड़े खेतों में बोए गए थे सब बारिश के अभाव में अब जलने लगे हैं. जिससे किसानों की स्थिति दयनीय हो गई है.

हाथों में धान का बिचड़ा लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन

कृषि मंत्री के आवास पर जाकर करेंगे मांग
नंदलाल मांझी ने कहा कि अगर हमारी मांगें पूरी नहीं की गई तो वे लोग कृषि मंत्री के आवास पर जाकर इसकी मांग करेंगे. स्थानीय किसानों ने बताया कि बारिश न होने की वजह से धान की रोपनी नहीं हो पाई है. जिससे रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं.

Intro:टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में किसानों ने दिया धरना,
हाथों में धान का बिचड़ा लेकर किया प्रदर्शन,
सरकार के खिलाफ जमकर की नारेबाजी।


Body:गया: जिले के टनकुप्पा प्रखंड कार्यालय के प्रांगण में सैकड़ों की संख्या में रहे किसानों ने एकदिवसीय धरना दिया। धरना में शामिल किसान टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग कर रहे थे। यह धरना सर्वदलीय संघर्ष समिति के बैनर तले दिया गया। इस धरना में सैकड़ों की संख्या में शामिल महिला-पुरुष किसानो ने हाथों में धान का बिचड़ा लेकर प्रदर्शन किया। साथ ही सरकार एवं स्थानीय जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
धरना में शामिल सर्वदलीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष नंदलाल मांझी ने कहा कि प्रशासन द्वारा जिले के 24 प्रखंडों में से 14 प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। जबकि टनकुप्पा प्रखंड को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया। यहां बारिश बहुत ही कम हुई है। मात्र 25 प्रतिशत ही बारिश हो सकी है। जिस कारण 15 से 20 प्रतिशत धान की रोपनी हो पाई है ।जो धान के बिचड़े खेतों में बोए गए थे। बारिश के अभाव में अब जलने लगे हैं। टनकुप्पा प्रखंड पहाड़ों से घिरा हुआ है। क्षेत्र में एक भी आहार,पईन नहीं है। इसकी भौगोलिक स्थिति भी पथरीली है। बारिश ना होने की वजह से क्षेत्र में सुखाड़ की स्थिति है। लेकिन स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया। जिस कारण किसानों की स्थिति दयनीय हो गई है। टनकुप्पा प्रखंड सूखाग्रस्तके सारे मापदंड को पूरा करता है। उन्होंने कहा कि आज धान के बिचड़ा को हाथों में लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये दिखाना चाहते हैं कि धान का बिचड़ा बोया गया। लेकिन फसल तैयार नहीं हो सकी। बारिश ना होने की वजह से प्रखंड के हजारों हेक्टेयर भूमि सूखी पड़ी है। खेतों में दरारें पड़ गई है। खेत सूखे पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार भी गया जिला के रहने वाले हैं। बावजूद इसके टनकुप्पा को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो सैकड़ों की संख्या में किसान कृषि मंत्री के आवास पर जाकर सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग करेंगे। इसके बावजूद भी मांग पूरी नहीं होती है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का घेराव किया जाएगा।
वही क्षेत्र के अन्य किसानों ने बताया कि बारिश ना होने की वजह से धान की रोपनी नहीं हो पाई है। पिछले साल भी काफी कम बारिश हुई थी। इस बार भी वही स्थिति है। अब समझ में नहीं आता क्या करें ? रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। बाहर जाने पर कहीं काम भी नहीं मिलता है। हमारे सामने बहुत विकट स्थिति हो गई है। जो पुरानी आहार-पइन थी वो वर्षो पहले सुख चुकी हैं। अगर सरकार उन्हें भी पुनर्जीवित करती है तो पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है।

बाइट- नंदलाल मांझी, अध्यक्ष, सर्वदलीय संघर्ष समिति, टनकुप्पा।
बाइट- दिलीप कुमार, स्थानीय ग्रामीण।
बाइट- सूरज दास, स्थानीय ग्रामीण।

रिपोर्ट- प्रदीप कुमार सिंह
गया



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