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गया में सूखे की मार, हथिया नक्षत्र में आसमान की तरफ देख रहे किसान

गया में किसान वर्षा नहीं होने से चिंतित हैं. भूमिगत जल स्रोत भी सिचांई के लिए साथ नही दे रहा है. जिससे बोए हुए धान की फसल सूख रही है और जमीनों में दरारें पड़ गई हैं.

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Published : Sep 12, 2019, 2:17 PM IST

गया में सूखे की मार

गयाः जिले की भौगोलिक स्थिति सामान्य नहीं है, यहां का अधिकांश क्षेत्र पथरीला है. यहां खेती के लिए उपजाऊ जमीन भी सीमित हैं. इस बार यहां पिछले साल से भी कम बारिश हुई है. खेतों में धान के फसल लगे हैं. लेकिन पानी नहीं मिलने की वजह से वे सभी सूख रहे हैं. किसान और कृषि विभाग दोनों हथिया नक्षत्र में होने वाली बारिश पर आस लगाए बैठे हैं.

gaya
हथिया नक्षत्र में किसान देख रहे आसमान

हथिया नक्षत्र से आस लगाए किसान
गया में किसान वर्षा नहीं होने से चिंतित हैं. भूमिगत जल स्रोत भी सिचांई के लिए साथ नहीं दे रहा है. जिससे बोया हुआ धान का फसल सूख रहा है और जमीनों में दरारें पड़ रही हैं. अब तक गया जिले में 62 फीसदी धान की फसल लगाई गई है. जबकि पिछले वर्ष इस समय 92 फीसदी फसल लग गई थी. किसान अभी भी बारिश के आखिर में हथिया नक्षत्र में पानी होने की उम्मीद में बैठे हैं. वहीं, गांव के किसान का कहना है कि बड़ी लालसा से फसल की बुआई की थी, लेकिन बारिश नहीं होने से पटवन नहीं हो पाया. जिससे फसल सूख गई है और जमीनों में दरार पड़ गई है. 27 सितंबर को हथिया नक्षत्र आ रहा है, यदि उसमें बारिश हुई तो खाने और बोने तक उपज हो जाएगा.

gaya
सूखा पड़ने से जमीनों में पड़ गई है दरार

भगवान भरोसे बैठे किसान
जिले के बोधगया प्रखंड नावा पंचायत के कई गांवों में ईटीवी ने सुखाड़ की पड़ताल की, सभी गांवों में हालात एक समान था. सभी जगह पटवन बिना फसलें सूख रही हैं. संपन्न किसान ईंधन से संचालित मोटर से पटवन कर रहे हैं, लेकिन जो किसान गरीब हैं, वो भगवान भरोसे बैठे हैं.

गया में सूखे की मार

एक दिन ही हुई बारिश
जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष और इस वर्ष के सुखाड़ में अंतर है. अंतर यह है कि गत वर्ष जब बारिश हुई थी, तो लगतार 2 दिन, 3 दिन बारिश होती रही, जिससे रोपनी होती गई. हम लोग पिछले वर्ष 92% तक चले गए थे ,लेकिन इस वर्ष एक दिन ही बारिश हुई. उसके बाद बारिश नहीं हुई. नतीजा यह हुआ कि खेत में पानी जमा नहीं हुआ. जिसके चलते रोपनी बहुत बाधित हुआ है. एक सप्ताह के अंदर अगर बारिश नहीं हुई, तो फसल होने की संभावना बहुत कम है.

गयाः जिले की भौगोलिक स्थिति सामान्य नहीं है, यहां का अधिकांश क्षेत्र पथरीला है. यहां खेती के लिए उपजाऊ जमीन भी सीमित हैं. इस बार यहां पिछले साल से भी कम बारिश हुई है. खेतों में धान के फसल लगे हैं. लेकिन पानी नहीं मिलने की वजह से वे सभी सूख रहे हैं. किसान और कृषि विभाग दोनों हथिया नक्षत्र में होने वाली बारिश पर आस लगाए बैठे हैं.

gaya
हथिया नक्षत्र में किसान देख रहे आसमान

हथिया नक्षत्र से आस लगाए किसान
गया में किसान वर्षा नहीं होने से चिंतित हैं. भूमिगत जल स्रोत भी सिचांई के लिए साथ नहीं दे रहा है. जिससे बोया हुआ धान का फसल सूख रहा है और जमीनों में दरारें पड़ रही हैं. अब तक गया जिले में 62 फीसदी धान की फसल लगाई गई है. जबकि पिछले वर्ष इस समय 92 फीसदी फसल लग गई थी. किसान अभी भी बारिश के आखिर में हथिया नक्षत्र में पानी होने की उम्मीद में बैठे हैं. वहीं, गांव के किसान का कहना है कि बड़ी लालसा से फसल की बुआई की थी, लेकिन बारिश नहीं होने से पटवन नहीं हो पाया. जिससे फसल सूख गई है और जमीनों में दरार पड़ गई है. 27 सितंबर को हथिया नक्षत्र आ रहा है, यदि उसमें बारिश हुई तो खाने और बोने तक उपज हो जाएगा.

gaya
सूखा पड़ने से जमीनों में पड़ गई है दरार

भगवान भरोसे बैठे किसान
जिले के बोधगया प्रखंड नावा पंचायत के कई गांवों में ईटीवी ने सुखाड़ की पड़ताल की, सभी गांवों में हालात एक समान था. सभी जगह पटवन बिना फसलें सूख रही हैं. संपन्न किसान ईंधन से संचालित मोटर से पटवन कर रहे हैं, लेकिन जो किसान गरीब हैं, वो भगवान भरोसे बैठे हैं.

गया में सूखे की मार

एक दिन ही हुई बारिश
जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष और इस वर्ष के सुखाड़ में अंतर है. अंतर यह है कि गत वर्ष जब बारिश हुई थी, तो लगतार 2 दिन, 3 दिन बारिश होती रही, जिससे रोपनी होती गई. हम लोग पिछले वर्ष 92% तक चले गए थे ,लेकिन इस वर्ष एक दिन ही बारिश हुई. उसके बाद बारिश नहीं हुई. नतीजा यह हुआ कि खेत में पानी जमा नहीं हुआ. जिसके चलते रोपनी बहुत बाधित हुआ है. एक सप्ताह के अंदर अगर बारिश नहीं हुई, तो फसल होने की संभावना बहुत कम है.

Intro:गया के भौगोलिक स्थिति सामान्य नही है, अधिकांश क्षेत्र पथरीला है। खेती के लिए उपजाऊ जमीन भी सीमित है और पटवन के लिए बारिश के पानी और भूमीगत जलस्त्रोत हैं। इस वर्ष गत वर्ष से भी बारिश कम हुआ है। खेत मे धान के फसल लगे हैं लेकिन पानी नही मिलने के वजह से फसल सुख रहे हैं औऱ जमीन में दरार फट रहा है। किसान और कृषि विभाग दोनो हथिया नक्षत्र में होनेवाले बारिश पर आस लगाए हैं।


Body:गया में किसान वर्षा नहीं होने से चिंतित हैं भूमिगत जल स्रोत भी पटवन के लिए साथ नही दे रहा है। बोया हुआ धान का फसल अब सुख रहा है, जमीन में दरार पड़ रहा है। बारिश के आखिर नक्षत्र हथिया में पानी पड़ने का उम्मीद में किसान हैं। अब तक गया जिला 62 फीसदी धान का फसल लगाया गया है। पिछले वर्ष इस समय 92 फीसदी फसल लग गया था।

गया जिला के बोधगया प्रखंड नावा पंचायत के कई गांवों में ईटीवी ने सुखाड़ का पड़ताल किया। सभी गांवो में हालात एक सामान था। सभी जगह पटवन बिना फसल सुख रहा था। संपन्न किसान ईंधन से संचालित मोटर से पटवन कर रहे थे लेकिन जो किसान गरीब हैं। वो भगवान भरोसे बैठे हैं।

जेतीय गांव के किसानों ने बताया बड़ी लालसा से फसल का बुआई किये थे। थोड़ा - बहुत बारिश हुआ और पटवन करके रोपणी हुआ है। रोपणी के बाद बारिश नही हुआ। पटवन के लिए भूमिगत जलस्रोत हैं जो पीने तक ही निकलता है उसे पटवन नही होता हैं। पानी नही मिलने से फसल सुख गया और जमीन में दरार पड़ गया है। 27 सितंबर को हथिया नक्षत्र आ रहा है उस मे बारिश हुआ तो खाने और बोने तक उपज हो जाएगा।

जिला कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया गत वर्ष और इस वर्ष की सुखाड़ में अंतर है अंतर यह है कि गत वर्ष जब बारिश हो रही थी तो लगतार 2 दिन, 3 दिन बारिश होते गया, जिससे रोपनी होते गया। हम लोग पिछले वर्ष 92% तक चले गए थे ,लेकिन इस वर्ष जो पानी हुआ है एक दिन पानी हुआ। उसके बाद पानी नहीं हुआ नतीजा यह हुआ कि खेत में पानी जमा नहीं हुआ जिसके चलते रोपणी बहुत बाधित हुआ है।अंतिम में कुछ दिनों में पानी हुआ है जिसके चलते हम लोग 62 फीसदी तक पहुंचे हैं जबकि पिछले साल हम लोग 92 फीसदी तक पहुँच गए थे। एक सप्ताह के अंदर अगर पानी नहीं पड़ता है तो फसल होने की संभावना बहुत कम हैं। जिले के सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र अगर देखे तो दो प्रखंड ज्यादा प्रभावित वजीरगंज और मोहनपुर प्रखंड और पंचायत लेवल पर बात करें तो आमस प्रखंड के चार पंचायत में 20 फ़ीसदी से भी कम रोपणी हुआ है अब तो हथिया नक्षत्र पर उम्मीद है अगर हथिया नक्षत्र में पानी हुआ तो बहुत अच्छा होगा और नहीं हुआ तो बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ सकता है।


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