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गयाः दुर्गाबाड़ी मंदिर में 88 सालों से बंगाली पद्धति से हो रही है पूजा, 10 हजार लोग पाते हैं प्रसाद - gaya latest news

आयोजकों ने बताया कि यहां सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिन प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाया जाता है. इसमें 3 दिनों में लगभग दस हजार लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं.

गया
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Published : Oct 6, 2019, 12:00 AM IST

गया: शहर के दुर्गाबाड़ी मोहल्ले में स्थित दुर्गा बाड़ी मंदिर में नवरात्रि में बंगाली पद्धति पूजा की जाती है. विगत 88 सालों से यह पूजा अनवरत चली आ रही है. खास बात यह है कि नवरात्रि के दौरान भक्तों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाने की परंपरा है. वहीं, यहां की प्रतिमा में बंगाली टच होता है. इसके लिए कलाकार बंगाल से बुलाए जाते हैं.

पेश है रिपोर्ट

बंगाली विधि-विधान से पूजा
दुर्गाबाड़ी समिति के कोषाध्यक्ष दीपक मित्रा ने बताया कि यहां पर बंगाली समाज के लोग 88 सालों से बंगाली विधि-विधान से पूजा करते आ रहे हैं. जबकि प्रतिमा को सजाने के लिए बंगाल से सामग्री मंगाई जाती है. हालांकि पूजा में बिहारी समाज के लोग भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. पूजा की तैयारी से लेकर प्रतिमा के विसर्जन तक इनका भरपूर सहयोग मिलता है.

गया
प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाने की है परंपरा

मिट्टी के बर्तन में दिया जाता है प्रसाद
दीपक मित्रा के मुताबिक मां के प्रसाद के रूप में लोगों को खिचड़ी खिलाई जाती है. 3 दिनों में लगभग दस हजार लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. यहां सभी समुदाय के लोग पूजा में हिस्सा लेते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके अलावे लोग परिवार के सदस्य परम्परा के मुताबिक मिट्टी के बर्तन में प्रसाद अपने घर ले जाते हैं.

गया: शहर के दुर्गाबाड़ी मोहल्ले में स्थित दुर्गा बाड़ी मंदिर में नवरात्रि में बंगाली पद्धति पूजा की जाती है. विगत 88 सालों से यह पूजा अनवरत चली आ रही है. खास बात यह है कि नवरात्रि के दौरान भक्तों को प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाने की परंपरा है. वहीं, यहां की प्रतिमा में बंगाली टच होता है. इसके लिए कलाकार बंगाल से बुलाए जाते हैं.

पेश है रिपोर्ट

बंगाली विधि-विधान से पूजा
दुर्गाबाड़ी समिति के कोषाध्यक्ष दीपक मित्रा ने बताया कि यहां पर बंगाली समाज के लोग 88 सालों से बंगाली विधि-विधान से पूजा करते आ रहे हैं. जबकि प्रतिमा को सजाने के लिए बंगाल से सामग्री मंगाई जाती है. हालांकि पूजा में बिहारी समाज के लोग भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. पूजा की तैयारी से लेकर प्रतिमा के विसर्जन तक इनका भरपूर सहयोग मिलता है.

गया
प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाने की है परंपरा

मिट्टी के बर्तन में दिया जाता है प्रसाद
दीपक मित्रा के मुताबिक मां के प्रसाद के रूप में लोगों को खिचड़ी खिलाई जाती है. 3 दिनों में लगभग दस हजार लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं. यहां सभी समुदाय के लोग पूजा में हिस्सा लेते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके अलावे लोग परिवार के सदस्य परम्परा के मुताबिक मिट्टी के बर्तन में प्रसाद अपने घर ले जाते हैं.

Intro:88 वर्षों से दुर्गाबाड़ी मंदिर में मां दुर्गा की बंगाली परंपरा से की जाती है पूजा,
नवरात्र के समउ 3 दिनों तक शहरवासियों को खिलाया जाता है खिचड़ी का भोग,
बंगाली समाज के अलावा अन्य समुदाय के लोग भी होते हैं शामिल।


Body:गया: शहर के दुर्गाबाड़ी मोहल्ले में स्थित दुर्गा बाड़ी मंदिर के प्रांगण में मां दुर्गा की पूजा बंगाली परंपरा के अनुसार नवरात्र के समय की जाती है। यह पूजा विगत 88 वर्षों से बंगाली समाज के लोगों के द्वारा अनवरत जारी है। इस पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को 3 दिनों तक खिचड़ी का भोग प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है। दुर्गा बाड़ी मंदिर के अंदर मां दुर्गा की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। जहां बंगाली समाज के लोग विधिवत बंगाली परंपरा के अनुसार पूजा पाठ करते हैं।
दुर्गा बाड़ी समिति के कोषाध्यक्ष दीपक मित्रा ने बताया कि बंगाली समाज के द्वारा विगत 88 वर्षों से लगातार दुर्गा बाड़ी मंदिर के प्रांगण में नवरात्र के समय मां दुर्गा की बंगाली परंपरा के अनुसार विधिवत पूजा की जाती है। मंदिर के पुरोहित भी पश्चिम बंगाल से आते हैं। मां के साज-सजावट की सभी चीजें भी बंगाल से मंगाई जाती है। शारदीय नवरात्र के दौरान सप्तमी, अष्टमी और नवमी 3 दिनों तक मां का भोग लगाया जाता है। भोग का प्रसाद शहरवासियों के बीच परोसा जाता है। जिसमें मुख्य रुप से खिचड़ी होती है। इसके साथ अन्य व्यंजन भी होते हैं। तीन दिनों तक लगभग 10 हजार से भी ज्यादा लोग खिचड़ी का भोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने बताया कि बंगाली समाज के अलावा गया शहर के अन्य समुदाय के लोग भी इस 3 दिनों तक चलने वाली पूजा में शामिल होते हैं। पूरी निष्ठा और बंगाली परंपरा के अनुसार नवरात्र के समय मां दुर्गा की पूजा होती है।
वही दुर्गाबाड़ी समिति के पुराने सदस्य प्रदीप सेन गुप्ता बताते हैं कि विगत 88 वर्षों से मां दुर्गा की बंगाली परंपरा के अनुसार पूजा हो रही है। जो आज तक चली चली आ रही है। बंगाली समाज के सदस्यों का इसमें बहुत बड़ा सहयोग होता है। इसके अलावा शहर के लोग भी अपनी क्षमता के अनुसार सहयोग देते हैं। सबसे खास बात यह होती है कि बंगाली समाज के अलावा गया शहर के विभिन्न समुदाय के लोग भी 3 दिनों तक चलने वाली इस पूजा में शामिल होते हैं और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करते हैं। कई लोग खिचड़ी का प्रसाद मिट्टी की हांडी में अपने परिजनों के लिए भी घर लेकर जाते हैं।

बाइट- दीपक मित्रा, कोषाध्यक्ष, दुर्गाबाड़ी समिति।
बाइट- प्रदीप सेन गुप्ता, सदस्य दुर्गा बाड़ी समिति।

रिपोर्ट- प्रदीप कुमार सिंह
गया



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