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गया में हो रही है ब्लैक, ब्लू और पर्पल रंग के गेंहू की खेती, दूर-दूर से देखने आ रहे हैं किसान - नेशनल एग्री बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट

जिले में पहली बार पारंपरिक गेहूं से हटकर खेती की जा रही है. जिसके लिए किसान आशीष जैविक आधार पर इस विशेष किस्म की फसल की खेती कर रहे हैं. इस खेती को देखकर जिले के कृषि पदाधिकारी भी काफी खुश हैं, इस बाबत समय-समय पर किसान आशीष को तकनीकी रूप से मदद कर रहे हैं.

3 रंगों की गेंहू की खेती
3 रंगों की गेंहू की खेती
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Published : Jan 12, 2020, 10:06 AM IST

गया: ज्ञान की भूमि गया में किसान अब नए किस्म के गेहूं का इजाद कर खुद से अपनी तकदीर लिख रहे हैं. दरअसल, देश भर में ब्लैक राइस की बहुतायात में खेती होती है. इसके कई औषधीय गुण भी होते हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए जिले के टिकारी प्रखंड के किसान नया प्रयोग करते हुए ब्लैक, ब्लू और पर्पल रंग के गेंहू की विशेष किस्म की खेती कर रहे हैं.

वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ कर रहे खेती
जिले में इस तरह की नई किस्म के फसल की खेती करने वाले किसान आशीष कुमार ने ईटीवी भारत संवादादता से बात करते हुए बताया कि वे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ विशेष प्रजाति के तीन रंगों के गेंहू की खेती कर रहे हैं. इस गेंहू में सामान्य गेंहू से ज्यादा औषधीय गुण होते हैं. प्रायोगिक खेती के तौर पर की जा रही इस खेती की चर्चा काफी बढ़ गई है, जिस वजह से आसपास के लोग इस फसल को देखने को आ रहे है.

फसल को देखते हुए किसान
फसल को देखते हुए किसान

'कम मेहनत में ज्यादा आय'
आशीष कुमार ने बताया कि संपन्न जीवन छोड़कर किसानी में आया हूं, गांव-घर के लोगों से मिल रहा हूं. उन्होंने कहा कि पिताजी एयरफोर्स से रिटायर होकर आए, उन्होंने खेती को चुना. मेरे दादाजी भी बीजों और फसलों पर रिसर्च किया करते थे. अपने पुरखों को देखकर मैंने फैसला किया मुझे खेती करनी है. इस खेती में पारंपरिक गेहूं के मुकाबले उतनी ही लागत और मेहनत में ज्यादा आय वाली खेती कर रहा हूं. बरसात के समय में काले रंग के चावल की खेत की थी. इस बार तीन विभिन्न रंगों के गेंहू की खेती कर रहा हूं, जो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.

3 रंगों की गेंहू की फसल
3 रंगों की गेंहू की फसल

1 किलो बीज की लागत 2 सौ रुपये
काले गेंहू की खेती करने वाले किसान आशीष कुमार बताते हैं कि फिलहाल प्रयोगिक तौर पर 5 बीधा जमीन में गेहूं लगाया हूं. इसके बीज की लागत प्रति किलो 2 सौ रूपये है. उन्होंने बताया कि इससे बनने वाला आटा मार्केट में 80 रुपये किलो है. इसका उपयोग अब ब्लैक नूडल्स और ब्लैक ब्रेड बनाने में किया जाने लगा है. ये काफी औषधीय होता है, इसमें सामान्य गेंहू से एंथोसायनिन और आयरन की मात्रा 60 प्रतिशत तक पाई जाती है. जो मानव स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

पंजाब के मोहाली में हुआ है बीज का इजाद
बताया जाता है कि काले रंग के गेंहू का बीज फिलहाल बाजार में नहीं मिलता है. इस बीज का इजाद पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉ मोनिका गर्ग ने किया है. हालांकि आशीष कुमार को ये बीज मध्यप्रदेश के किसानों से उपलब्ध हुआ.

गौरतलब है कि जिले में पहली बार पारंपरिक गेहूं से हटकर खेती की जा रही है. जिसके लिए किसान आशीष जैविक आधार पर इस विशेष किस्म की फसल की खेती कर रहे हैं. इस खेती को देखकर जिले के कृषि पदाधिकारी भी काफी खुश हैं, इस बाबत समय-समय पर किसान आशीष को तकनीकी रूप से मदद कर रहे हैं.

गया: ज्ञान की भूमि गया में किसान अब नए किस्म के गेहूं का इजाद कर खुद से अपनी तकदीर लिख रहे हैं. दरअसल, देश भर में ब्लैक राइस की बहुतायात में खेती होती है. इसके कई औषधीय गुण भी होते हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए जिले के टिकारी प्रखंड के किसान नया प्रयोग करते हुए ब्लैक, ब्लू और पर्पल रंग के गेंहू की विशेष किस्म की खेती कर रहे हैं.

वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ कर रहे खेती
जिले में इस तरह की नई किस्म के फसल की खेती करने वाले किसान आशीष कुमार ने ईटीवी भारत संवादादता से बात करते हुए बताया कि वे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ विशेष प्रजाति के तीन रंगों के गेंहू की खेती कर रहे हैं. इस गेंहू में सामान्य गेंहू से ज्यादा औषधीय गुण होते हैं. प्रायोगिक खेती के तौर पर की जा रही इस खेती की चर्चा काफी बढ़ गई है, जिस वजह से आसपास के लोग इस फसल को देखने को आ रहे है.

फसल को देखते हुए किसान
फसल को देखते हुए किसान

'कम मेहनत में ज्यादा आय'
आशीष कुमार ने बताया कि संपन्न जीवन छोड़कर किसानी में आया हूं, गांव-घर के लोगों से मिल रहा हूं. उन्होंने कहा कि पिताजी एयरफोर्स से रिटायर होकर आए, उन्होंने खेती को चुना. मेरे दादाजी भी बीजों और फसलों पर रिसर्च किया करते थे. अपने पुरखों को देखकर मैंने फैसला किया मुझे खेती करनी है. इस खेती में पारंपरिक गेहूं के मुकाबले उतनी ही लागत और मेहनत में ज्यादा आय वाली खेती कर रहा हूं. बरसात के समय में काले रंग के चावल की खेत की थी. इस बार तीन विभिन्न रंगों के गेंहू की खेती कर रहा हूं, जो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.

3 रंगों की गेंहू की फसल
3 रंगों की गेंहू की फसल

1 किलो बीज की लागत 2 सौ रुपये
काले गेंहू की खेती करने वाले किसान आशीष कुमार बताते हैं कि फिलहाल प्रयोगिक तौर पर 5 बीधा जमीन में गेहूं लगाया हूं. इसके बीज की लागत प्रति किलो 2 सौ रूपये है. उन्होंने बताया कि इससे बनने वाला आटा मार्केट में 80 रुपये किलो है. इसका उपयोग अब ब्लैक नूडल्स और ब्लैक ब्रेड बनाने में किया जाने लगा है. ये काफी औषधीय होता है, इसमें सामान्य गेंहू से एंथोसायनिन और आयरन की मात्रा 60 प्रतिशत तक पाई जाती है. जो मानव स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

पंजाब के मोहाली में हुआ है बीज का इजाद
बताया जाता है कि काले रंग के गेंहू का बीज फिलहाल बाजार में नहीं मिलता है. इस बीज का इजाद पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉ मोनिका गर्ग ने किया है. हालांकि आशीष कुमार को ये बीज मध्यप्रदेश के किसानों से उपलब्ध हुआ.

गौरतलब है कि जिले में पहली बार पारंपरिक गेहूं से हटकर खेती की जा रही है. जिसके लिए किसान आशीष जैविक आधार पर इस विशेष किस्म की फसल की खेती कर रहे हैं. इस खेती को देखकर जिले के कृषि पदाधिकारी भी काफी खुश हैं, इस बाबत समय-समय पर किसान आशीष को तकनीकी रूप से मदद कर रहे हैं.

Intro:ज्ञान की भूमि गया में किसान ने गेंहू के फसल में नया प्रयोग कर रहे है, जिले के टिकारी प्रखंड के गुलारियाचक के ग्रामीण इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसीपल का नौकरी छोड़कर गेंहू के तीन रंगों काला, ब्लू और पर्पल में कर रहे हैं। प्रयोगिक तरह से गेंहू के खेती की लोकप्रियता इतनी बढ़ गईं , आसपास लोग गेंहू का फसल देखने आते हैं।


Body:देश भर में ब्लैक राइस का खेती खूब होने लगा है लेकिन काला गेंहू का खेती कम लोग ही करते हैं। गया जिला में पहली बार छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज के वाइस प्रिंसीपल की नौकरी छोड़कर विशेष प्रजाति के तीन रंगों के गेंहू का खेती कर रहे हैं। इस गेंहू के बारे में कहा जाता है सामान्य गेंहू से ज्यादा इसमें औषधीय गुण होता हैं ।

आप सुनकर जरूर हैरत के होंगे तीन तरह के गेंहू का उपज भी होता है लेकिन ये सच है पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉ मोनिका गर्ग ने काले गेंहू,बैगनी और ब्लू गेंहू पर रिसर्च कर किसानों के बीच पहुँचाया। गया के किसान आशीष को मध्यप्रदेश के किसान से बीज उपलब्ध हुआ। मोहाली के नाभी द्वारा बाजारों में अभी तक बीज नही दिया गया है।

ईटीवी भारत से बात करते हुए आशीष कुमार ने कहा संपन्न जीवन छोड़कर किसानी में आया घर के लोगो से मिला। मेरे दादाजी भी खाफी बीजो और फसलों पर रिसर्च करते थे,पिता एयरफोर्स से रिटायर होकर आए उन्होंने ने खेती को चुना , फिर मैं भी फैसला किया मुझे खेती करना है। मैं खेती तो कर रहा हूँ मैं उसी जमीन में उतने लागत और मेहनत में ज्यादा आय वाला खेती कर रहा हूँ। मैं बरसात के मौसम में काला चावल का खेती किया अब तीन विभिन्न रंगों का गेंहू का खेती कर रहा हूँ।

आगे उन्होंने ने बताया एक कट्टा में एक किलो बीज डाला हु, एक किलो बीज लाने में 200 रुपया लागत लगा है। अपने गांव में पैतृक गांव में पांच बीघे में गेहूं का फसल लगाया है। उन्होंने बताया ये काला गेंहू का आटा मार्केट में 80 रुपये किलो बिकता हैं। इसका उपयोग अब ब्लैक नूडल्स और ब्लैक ब्रेड बनाने में लोग करने लगे हैं। ये काफी औषधीय होता हैं सामान्य गेंहू से काले गेंहू में एंथोसायनिन ज्यादा पाया जाता है। काले गेंहू में आयरन की मात्रा 60 प्रतिशत होता हैं।

बाईट- आशीष कुमार,काला गेंहू के खेती करनेवाला किसान

गया जिला में तीन रंगों के गेंहू के फसल देखने आसपास के लोग भी पहुँच रहे हैं टिकारी प्रखण्ड एक गांव से फसल देखने आए किसान ने बताया हमलोग के बीच काफी इसका चर्चा होता है हमलोग को बीज मिले तो हमलोग भी काला गेंहू का खेती करेगे।

बाईट- गौतम कुमार, किसान


Conclusion:आपको बता दे काला गेंहू का बीज बाजार में नही मिलता इसके लिए किसान आशीष का मणिपुर राज्य जैसा प्लान है। ऐमज़ॉन और फ्लिपकार्ट के माध्यम से फसल होने के बाद मदर सीड बाजारों में पहुचाये गए जिससे हजारो किसान इसका खेती कर कम लागत,सीमित भूमि और कम पानी मे खेती कर ज्यादा मुनाफा कमाए।

किसान आशीष काला गेंहू का खेती पूर्ण रूप से जैविक आधार पर कर रहे हैं। जिसमे इफको का सिर्फ बैक्टीरिया दिया गया। इसका खेती सामान्य गेंहू के खेती जैसा करना होता हैं। गया जिला कृषि पदाधिकारी भी काला गेंहू के खेती होने से काफी खुशी है समय समय पर जाकर किसान आशीष तकनीकी रूप से मदद कर रहे हैं ।
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