गया: ज्ञान की भूमि गया में किसान अब नए किस्म के गेहूं का इजाद कर खुद से अपनी तकदीर लिख रहे हैं. दरअसल, देश भर में ब्लैक राइस की बहुतायात में खेती होती है. इसके कई औषधीय गुण भी होते हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए जिले के टिकारी प्रखंड के किसान नया प्रयोग करते हुए ब्लैक, ब्लू और पर्पल रंग के गेंहू की विशेष किस्म की खेती कर रहे हैं.
वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ कर रहे खेती
जिले में इस तरह की नई किस्म के फसल की खेती करने वाले किसान आशीष कुमार ने ईटीवी भारत संवादादता से बात करते हुए बताया कि वे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़ विशेष प्रजाति के तीन रंगों के गेंहू की खेती कर रहे हैं. इस गेंहू में सामान्य गेंहू से ज्यादा औषधीय गुण होते हैं. प्रायोगिक खेती के तौर पर की जा रही इस खेती की चर्चा काफी बढ़ गई है, जिस वजह से आसपास के लोग इस फसल को देखने को आ रहे है.
'कम मेहनत में ज्यादा आय'
आशीष कुमार ने बताया कि संपन्न जीवन छोड़कर किसानी में आया हूं, गांव-घर के लोगों से मिल रहा हूं. उन्होंने कहा कि पिताजी एयरफोर्स से रिटायर होकर आए, उन्होंने खेती को चुना. मेरे दादाजी भी बीजों और फसलों पर रिसर्च किया करते थे. अपने पुरखों को देखकर मैंने फैसला किया मुझे खेती करनी है. इस खेती में पारंपरिक गेहूं के मुकाबले उतनी ही लागत और मेहनत में ज्यादा आय वाली खेती कर रहा हूं. बरसात के समय में काले रंग के चावल की खेत की थी. इस बार तीन विभिन्न रंगों के गेंहू की खेती कर रहा हूं, जो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.
1 किलो बीज की लागत 2 सौ रुपये
काले गेंहू की खेती करने वाले किसान आशीष कुमार बताते हैं कि फिलहाल प्रयोगिक तौर पर 5 बीधा जमीन में गेहूं लगाया हूं. इसके बीज की लागत प्रति किलो 2 सौ रूपये है. उन्होंने बताया कि इससे बनने वाला आटा मार्केट में 80 रुपये किलो है. इसका उपयोग अब ब्लैक नूडल्स और ब्लैक ब्रेड बनाने में किया जाने लगा है. ये काफी औषधीय होता है, इसमें सामान्य गेंहू से एंथोसायनिन और आयरन की मात्रा 60 प्रतिशत तक पाई जाती है. जो मानव स्वास्थ्य के लिए काफी उपयोगी है.
पंजाब के मोहाली में हुआ है बीज का इजाद
बताया जाता है कि काले रंग के गेंहू का बीज फिलहाल बाजार में नहीं मिलता है. इस बीज का इजाद पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के डॉ मोनिका गर्ग ने किया है. हालांकि आशीष कुमार को ये बीज मध्यप्रदेश के किसानों से उपलब्ध हुआ.
गौरतलब है कि जिले में पहली बार पारंपरिक गेहूं से हटकर खेती की जा रही है. जिसके लिए किसान आशीष जैविक आधार पर इस विशेष किस्म की फसल की खेती कर रहे हैं. इस खेती को देखकर जिले के कृषि पदाधिकारी भी काफी खुश हैं, इस बाबत समय-समय पर किसान आशीष को तकनीकी रूप से मदद कर रहे हैं.