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गयाजी में है एकमात्र ऐसा श्मशान जिसे कहते हैं 'विष्णु मसान', जानें क्या है कहानी... - गया में पिंडदान

कहा जाता है कि इस श्मशान घाट का निर्माण भगवान विष्णु के तथास्तु कहने पर हुआ. यहां स्थित विष्णु मसान का संबंध भगवान विष्णु और गयासुर से है.

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Published : Sep 16, 2019, 10:20 AM IST

गया: विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू हो चुका है. मोक्षधाम गयाजी का अलग ही धार्मिक महत्व है. गयाजी में विष्णुपद मंदिर के निकट श्मशान घाट है. इस श्मशान घाट को 'विष्णु मसान' कहा जाता है. आमतौर पर पूरे देशभर के श्मशान घाटों में भगवान शंकर के रूप में मसान बाबा रहते हैं. गयाजी के श्मशान घाट पर इसे विष्णु मसान कहा जाता है.

मोक्षदायिनी फल्गु नदी के तट पर स्थित श्मशान घाट का महत्ता काशी के श्मशान घाट से कम नहीं है. कहा जाता है कि इस श्मशान घाट का निर्माण भगवान विष्णु के तथास्तु कहने पर हुआ. यहां स्थित विष्णु मसान का संबंध भगवान विष्णु और गयासुर से है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

यह है मान्यता
मान्यता के अनुसार इस श्मशान की एक कथा है. वहां मौजूद श्रद्धालु बताते हैं कि ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने के लिए गयासुर का शरीर मांगा था. गयासुर ने सहर्ष अपना शरीर यज्ञ के लिए दे दिया. सभी देवता उनके शरीर पर यज्ञ करने लगे. यज्ञ के दौरान देवतागण गयासुर के छाती पर धर्मशीला रखकर उसे मारना चाहते थे. लेकिन, वो नहीं मरा.

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श्मशान घाट के पास बना मंदिर

भगवान विष्णु ने पूछी अंतिम इच्छा
तब भगवान विष्णु खुद प्रकट होकर उस शिला को दबाते हैं. लेकिन, उससे पहले उन्होंने गयासुर की अंतिम इच्छा पूछी. तब गयासुर ने जवाब दिया था कि वह इस शिला में समाहित होना चाहते हैं. साथ ही भगवान विष्णु के चरण इस शिला पर विराजमान हों. इस शिला पर आकर पिंडदान करेगा उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी. तब भगवान विष्णु ने उसे तथास्तु कहा.

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दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

रोज एक पिंड और मुंड दान की रखी शर्त
गयासुर ने भगवान विष्णु के सामने एक और शर्त रखी थी. उसने कहा था कि उसे हर रोज एक पिंड और मुंड चाहिए. अगर उसे विष्णुपद में पिंड नहीं पड़ा और मसान घाट पर मुंड नहीं दिया गया तो इस नगर का अस्तित्व मिट जाएगा. फिर भगवान विष्णु तथास्तु कहकर चले गए. स्थानीय लोग कहते है कि उसके बाद से हर रोज गया के विष्णुपद में पिंडदान दिया जाने लगा हैं. वहीं, विष्णुपद के बगल में विष्णु मसान में मुंड यानी एक शवदाह किया जाने लगा.

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रोजाना होता है मुंडदान

भैरव बाबा को शराब चढ़ाने की भी है परंपरा
बता दें कि विष्णु मसान घाट पर भगवान शंकर के रूप मसान बाबा का मंदिर है. इस मंदिर में मसान बाबा, काल भैरव और अन्य देवी देवता हैं. पूरे देशभर में यह एकमात्र ऐसा श्मशान स्थित मसान बाबा मंदिर है, जहां पर तुलसी और दूध चढ़ाया जाता है. अन्य कहीं भी तुलसी और दूध नहीं चढ़ता है. विष्णु के आस्तित्व के कारण इसे 'विष्णु मसान' कहते हैं. इस मंदिर में अन्य मसान बाबा के मंदिरों की तरह नारियल, बकरा, मुर्गा और अंडे की बलि दी जाती है. यहां भैरव बाबा को शराब चढ़ाने की भी परंपरा है. हर शनिवार को इस मंदिर में अपार भीड़ लगती है.

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श्मशान की है कहानी

लोगों में है खासी आस्था
गौरतलब है कि मोक्षदायिनी फल्गू के रूप में खुद भगवान विष्णु यहां अवतरित हुए थे. उसी फल्गु के तट पर और विष्णुपद के निकट श्मशान घाट का महत्व बहुत ज्यादा है. जैसे लोग को एक इच्छा होती है मरणोपरांत मेरा दाहसंस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाए, जिससे बैकुंठ की प्राप्ति हो. ठीक उसी तरह इस घाट का महत्व है. दक्षिणी बिहार के लोगों की इच्छा होती है कि मरने के बाद उनका दाह संस्कार मोक्षदायिनी फल्गु नदी के तट पर स्थित विष्णु मसान पर हो, ताकि उन्हें मोक्ष मिले.

गया: विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू हो चुका है. मोक्षधाम गयाजी का अलग ही धार्मिक महत्व है. गयाजी में विष्णुपद मंदिर के निकट श्मशान घाट है. इस श्मशान घाट को 'विष्णु मसान' कहा जाता है. आमतौर पर पूरे देशभर के श्मशान घाटों में भगवान शंकर के रूप में मसान बाबा रहते हैं. गयाजी के श्मशान घाट पर इसे विष्णु मसान कहा जाता है.

मोक्षदायिनी फल्गु नदी के तट पर स्थित श्मशान घाट का महत्ता काशी के श्मशान घाट से कम नहीं है. कहा जाता है कि इस श्मशान घाट का निर्माण भगवान विष्णु के तथास्तु कहने पर हुआ. यहां स्थित विष्णु मसान का संबंध भगवान विष्णु और गयासुर से है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

यह है मान्यता
मान्यता के अनुसार इस श्मशान की एक कथा है. वहां मौजूद श्रद्धालु बताते हैं कि ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने के लिए गयासुर का शरीर मांगा था. गयासुर ने सहर्ष अपना शरीर यज्ञ के लिए दे दिया. सभी देवता उनके शरीर पर यज्ञ करने लगे. यज्ञ के दौरान देवतागण गयासुर के छाती पर धर्मशीला रखकर उसे मारना चाहते थे. लेकिन, वो नहीं मरा.

gaya
श्मशान घाट के पास बना मंदिर

भगवान विष्णु ने पूछी अंतिम इच्छा
तब भगवान विष्णु खुद प्रकट होकर उस शिला को दबाते हैं. लेकिन, उससे पहले उन्होंने गयासुर की अंतिम इच्छा पूछी. तब गयासुर ने जवाब दिया था कि वह इस शिला में समाहित होना चाहते हैं. साथ ही भगवान विष्णु के चरण इस शिला पर विराजमान हों. इस शिला पर आकर पिंडदान करेगा उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी. तब भगवान विष्णु ने उसे तथास्तु कहा.

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दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

रोज एक पिंड और मुंड दान की रखी शर्त
गयासुर ने भगवान विष्णु के सामने एक और शर्त रखी थी. उसने कहा था कि उसे हर रोज एक पिंड और मुंड चाहिए. अगर उसे विष्णुपद में पिंड नहीं पड़ा और मसान घाट पर मुंड नहीं दिया गया तो इस नगर का अस्तित्व मिट जाएगा. फिर भगवान विष्णु तथास्तु कहकर चले गए. स्थानीय लोग कहते है कि उसके बाद से हर रोज गया के विष्णुपद में पिंडदान दिया जाने लगा हैं. वहीं, विष्णुपद के बगल में विष्णु मसान में मुंड यानी एक शवदाह किया जाने लगा.

gaya
रोजाना होता है मुंडदान

भैरव बाबा को शराब चढ़ाने की भी है परंपरा
बता दें कि विष्णु मसान घाट पर भगवान शंकर के रूप मसान बाबा का मंदिर है. इस मंदिर में मसान बाबा, काल भैरव और अन्य देवी देवता हैं. पूरे देशभर में यह एकमात्र ऐसा श्मशान स्थित मसान बाबा मंदिर है, जहां पर तुलसी और दूध चढ़ाया जाता है. अन्य कहीं भी तुलसी और दूध नहीं चढ़ता है. विष्णु के आस्तित्व के कारण इसे 'विष्णु मसान' कहते हैं. इस मंदिर में अन्य मसान बाबा के मंदिरों की तरह नारियल, बकरा, मुर्गा और अंडे की बलि दी जाती है. यहां भैरव बाबा को शराब चढ़ाने की भी परंपरा है. हर शनिवार को इस मंदिर में अपार भीड़ लगती है.

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श्मशान की है कहानी

लोगों में है खासी आस्था
गौरतलब है कि मोक्षदायिनी फल्गू के रूप में खुद भगवान विष्णु यहां अवतरित हुए थे. उसी फल्गु के तट पर और विष्णुपद के निकट श्मशान घाट का महत्व बहुत ज्यादा है. जैसे लोग को एक इच्छा होती है मरणोपरांत मेरा दाहसंस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाए, जिससे बैकुंठ की प्राप्ति हो. ठीक उसी तरह इस घाट का महत्व है. दक्षिणी बिहार के लोगों की इच्छा होती है कि मरने के बाद उनका दाह संस्कार मोक्षदायिनी फल्गु नदी के तट पर स्थित विष्णु मसान पर हो, ताकि उन्हें मोक्ष मिले.

Intro:मोक्षधाम गया जी मे विष्णुपद मंदिर के निकट श्मशान घाट है। इस श्मशान घाट को विष्णु मसान कहा जाता है जबकि पूरे देश मे भगवान शंकर के रूप मसान बाबा के नाम श्मशान घाट जाना जाता है। मोक्षदायिनी फल्गू नदी के तट पर स्थित श्मशान घाट का महता काशी के श्मशान घाट से कम नही है। इस श्मशान घाट का निर्माण भगवान विष्णु के तथास्तु कहने पर हुआ है।


Body:मोक्षदायिनी फल्गू नदी के तट पर स्थित विष्णु मसान का जुड़ाव भगवान विष्णु और गयासुर से है। इसके पीछे कथा है ब्रह्मा जी यज्ञ करने के लिए गयासुर का शरीर मांगे,गयासुर ने सहर्ष अपना शरीर यज्ञ के लिए दे दिया। देवताओं उसके शरीर पर यज्ञ करने लगे ,यज्ञ के दौरान देवतागण गयासुर के छाती पर धर्मशीला रखकर मारना चाहते थे लेकिन वो नही मरा। भगवान विष्णु खुद प्रकट होकर उस शिला को दबाते है उसे पहले गयासुर से अंतिम इच्छा पूछते हैं गयासुर कहता है मैं इस शिला में समाहित हो जाऊं और आपका चरण इस शिला पर विराजमान रहे। जो इस शिला पर आकर पिंडदान करेगा उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। भगवान विष्णु कहा तथास्तु उसके बाद फिर एक शर्त रखता है गयासुर , गयासुर कहता है मुझे हर रोज एक पिंड और एक मुंड चाहिए,अगर मुझे विष्णुपद में पिंड नही पड़ा और मसान घाट पर मुंड नही दिया गया तो इस नगर का अस्तित्व मिट जाएगा। भगवान विष्णु तथास्तु कहकर चलेंगे। उसके बाद से हर रोज गया के विष्णुपद में पिंडदान दिया जाने लगा हैं और विष्णुपद के बगल में विष्णु मसान में मुंड यानी एक शवदाह किया जाने लगा।

श्मशान घाट पर स्थित विष्णु मसान घाट पर भगवान शंकर के रूप मसान बाबा का मंदिर हैं। इस मंदिर में मसान बाबा , काल भैरव और अन्य देवी देवता है। पूरे देश मे श्मशान घाट स्थित मसान बाबा पर तुलसी और दूध नही चढ़ता है लेकिन यहां मसान बाबा के साथ भगवान विष्णु का नाम जुड़ा हुआ है इसलिए यहां दूध और तुलसी का भोग लगता हैं। मसान बाबा पूरे देश एक मात्र ऐसा मंदिर हैं जिसे विष्णु मसान कहा जाता है। इस मंदिर में अन्य मसान बाबा के मंदिर जैसा नारियल, बकरा, मुर्गा, अंडा का बलि दिया जाता है। यहां भैरव बाबा को शराब चढ़ाने का परंपरा हैं। इस मंदिर में शनिवार को अपार भीड़ लगता है। गया के लोगो मे इस मंदिर के प्रति आस्था है।

मोक्षदायिनी फल्गू के रूप में खुद भगवान विष्णु अवतरित हुए थे उसी फल्गू के तट पर और विष्णुपद के निकट श्मशान घाट का महत्व बहुत ज्यादा है। जैसे लोग को एक इच्छा होती है मरणोपरांत मेरा दाहसंस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाए जिसे मुझे बैकुंठ प्राप्त होगा। उसी तरह इस घाट का महत्व है बिहार के दक्षिण भाग के लोगो का इच्छा होता हैं मरने के बाद मेरा दाह संस्कार मोक्षदायिनी फल्गू नदी के तट पर विष्णु मसान पर हो , जिससे मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो।


Conclusion:पितृपक्ष स्पेशल
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