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मगध मेडिकल कॉलेज परिसर में जलाया जा रहा मेडिकल वेस्ट, लोगों का जीना हुआ मुहाल

बायो मेडिकल कूड़ा निष्पादन केंद्र से निकलने वाले दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. आसपास के इलाके में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल की उदासीनता
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Published : Jul 8, 2019, 1:58 PM IST

गया: अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल की लापरवाही सामने आई है. अस्पताल के बायो मेडिकल कूड़ा निष्पादन केंद्र से निकलने वाले धुंआ और दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. मगध क्षेत्र के पांच जिलों के 300 अस्पतालों का कचड़ा यहां जलाया जाता है. अस्पताल परिसर सहित आस-पास के लोग भी इससे काफी प्रभावित हैं.

अस्पताल की अनदेखी
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में करीब एक दशक पहले बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था. बिहार प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्लांट लगाने का परमिशन तब दिया था जब अस्पताल के आसपास आबादी नहीं थी. आज अस्पताल परिसर के चारो ओर घनी आबादी है. आबादी होने के तीन महिने पहले इस प्लांट को चालू किया गया था. स्थानीय लोगों के साथ-साथ अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी भी इस दुर्गंध से परेशान हैं.

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बायो मेडिकल कूड़ा निष्पादन केंद्र से निकलने वाले दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है

दुर्गंध से बच्चे हो रहे बीमार
अस्पताल परिसर के आसपास रहने वाले वार्ड नं 29 के लोगों कहना है कि जब ये मशीन चालू होता है तो रहना मुश्किल हो जाता है. बच्चे उलटी करने लगते हैं. पिछले 10 जून को लोहे का काम करने वाले राजीव विश्वकर्मा के भतीजे की मौत उल्टी करते करते हो गई. आसपास के इलाके में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. इससे तंग आकर कई लोगों ने अपना घर बदल दिया है.

पेश है रिपोर्ट

'लोगों में जानकारी का है अभाव'
हालांकि बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट के इंचार्ज ने बताया कि ये मशीन आम जन-जीवन को कोई हानि नहीं पहुंचता हैं. इस मशीन में मेडिकल वेस्ट जलाया जाता है. इसमें कई तरह के मशीन लगे हुएं हैं जो कचड़ा से निकलने वाले धुएं को रिफाइन्ड करते हैं. लोगों में जानकारी का अभाव है.

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डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक

क्या कहते हैं अस्पताल अधीक्षक
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि यह सरकार का कार्यक्रम है. यह 10 साल पहले बनाया गया था. इधर कुछ महीने पूर्व इसे चालू किया गया है. मगध क्षेत्र के बहुत सारे अस्पताल का वेस्टेज यहां लाकर जलाया जाता है. इससे निकलने वाले धुंआ से अस्पताल परिसर के लोगों को भी परेशानी हो रही है. इसकी शिकायत लेकर लोग मेरे पास आए थे. इसकी जानकारी मैंने सीनियर अधिकारियों को दे दी है.

वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट में बेड के हिसाब से रेट तय
इस अस्पताल में गया सहित मगध क्षेत्र के 300 अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट 1200 वोल्ट से जलाया जाता है. इससे निकलने वाले हानिकारक रसायन गैस पानी के माध्यम से निकल जाते हैं. पानी को रिफाइन कर पेड़ पौधे के पटवन के लिए उपयोग किया जाता है. बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट में बेड के हिसाब से रेट तय है. मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल 300 बेड का है. यहां लगभग एक माह में 85 हजार का बिल बनता है.

गया: अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल की लापरवाही सामने आई है. अस्पताल के बायो मेडिकल कूड़ा निष्पादन केंद्र से निकलने वाले धुंआ और दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. मगध क्षेत्र के पांच जिलों के 300 अस्पतालों का कचड़ा यहां जलाया जाता है. अस्पताल परिसर सहित आस-पास के लोग भी इससे काफी प्रभावित हैं.

अस्पताल की अनदेखी
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में करीब एक दशक पहले बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था. बिहार प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्लांट लगाने का परमिशन तब दिया था जब अस्पताल के आसपास आबादी नहीं थी. आज अस्पताल परिसर के चारो ओर घनी आबादी है. आबादी होने के तीन महिने पहले इस प्लांट को चालू किया गया था. स्थानीय लोगों के साथ-साथ अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी भी इस दुर्गंध से परेशान हैं.

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बायो मेडिकल कूड़ा निष्पादन केंद्र से निकलने वाले दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है

दुर्गंध से बच्चे हो रहे बीमार
अस्पताल परिसर के आसपास रहने वाले वार्ड नं 29 के लोगों कहना है कि जब ये मशीन चालू होता है तो रहना मुश्किल हो जाता है. बच्चे उलटी करने लगते हैं. पिछले 10 जून को लोहे का काम करने वाले राजीव विश्वकर्मा के भतीजे की मौत उल्टी करते करते हो गई. आसपास के इलाके में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं. इससे तंग आकर कई लोगों ने अपना घर बदल दिया है.

पेश है रिपोर्ट

'लोगों में जानकारी का है अभाव'
हालांकि बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट के इंचार्ज ने बताया कि ये मशीन आम जन-जीवन को कोई हानि नहीं पहुंचता हैं. इस मशीन में मेडिकल वेस्ट जलाया जाता है. इसमें कई तरह के मशीन लगे हुएं हैं जो कचड़ा से निकलने वाले धुएं को रिफाइन्ड करते हैं. लोगों में जानकारी का अभाव है.

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डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक

क्या कहते हैं अस्पताल अधीक्षक
अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि यह सरकार का कार्यक्रम है. यह 10 साल पहले बनाया गया था. इधर कुछ महीने पूर्व इसे चालू किया गया है. मगध क्षेत्र के बहुत सारे अस्पताल का वेस्टेज यहां लाकर जलाया जाता है. इससे निकलने वाले धुंआ से अस्पताल परिसर के लोगों को भी परेशानी हो रही है. इसकी शिकायत लेकर लोग मेरे पास आए थे. इसकी जानकारी मैंने सीनियर अधिकारियों को दे दी है.

वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट में बेड के हिसाब से रेट तय
इस अस्पताल में गया सहित मगध क्षेत्र के 300 अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट 1200 वोल्ट से जलाया जाता है. इससे निकलने वाले हानिकारक रसायन गैस पानी के माध्यम से निकल जाते हैं. पानी को रिफाइन कर पेड़ पौधे के पटवन के लिए उपयोग किया जाता है. बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट में बेड के हिसाब से रेट तय है. मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल 300 बेड का है. यहां लगभग एक माह में 85 हजार का बिल बनता है.

Intro:अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आखिरी छोड़ पर स्थित बायो मेडिकल कूड़ा निष्पादन केंद्र से निकलने वाला धुंआ और दुर्गंध से लोगो का जीना मुहाल हो गया है। मगध क्षेत्र के पांच जिलों के तीन सौ अस्पतालो का कचड़ा को जलाया जाता है। अस्पताल परिसर के सहित एक किलोमीटर के दायरे के मुहल्ले वासी भी इसके धुंआ और कचड़ा से प्रभावित है।


Body:मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में करीब एक दशक पहले बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया था। बिहार प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्लांट लगाने का परिमशन तब दिया था जब आसपास आबादी नही थी। आज अस्पताल परिसर के चारो घनी आबादी बसी हैं। आबादी बसने के बाद तीन माह पहले इस प्लांट का चालू किया गया था। अस्पताल के आसपास के आबादी के साथ अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी भी इसके दुर्गंध से परेशान है। अस्पताल अधीक्षक कहते हैं ये सरकार की योजना है मुझे शिकायत मिला है मै आगे फॉरवर्ड कर दिया हूँ।

मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट में गया सहित मगध क्षेत्र के 300 अस्पतालो का मेडिकल वेस्ट कचड़ा को लाकर 1200 वोल्ट से जलाया जाता है। उसमें से निकलने वाला धुंआ और गैस को पानी से गुजारा जाता है जिससे हानिकारक रसायन गैस पानी के माध्यम से निकल जाते हैं। पानी को रिफाइन कर पेड़ पौधे के पटवन के लिए उपयोग किया जाता है। बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट में बेड के हिसाब से रेट तय है मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल 300 बेड का है। यहां लगभग एक माह में 85 हजार का बिल बनता है।

बायो मेडिकल वेस्ट एंड ट्रीटमेंट प्लांट के इंचार्ज ने बताया ये मशीन आम जन जीवन को कोई हानि नही पहुँचता हैं। इस मशीन में मेडिकल के वेस्ट कचड़ा को जलाते है। इसमें कई तरह के मशीन लगा हुआ जो कचड़ा से निकलने धुंआ को रिफाइन कर निकाला जाता है। लोगो में जानकारी का अभाव है इस कचड़ा को नगर निगम के कचड़ा के साथ शामिल करने से बीमारी फैल जाएगा।

अस्पताल परिसर सहित से आसपास के लोग वार्ड नं 29 कलेर के निवासी का कहना है जब ये मशीन चालू होता हैं तो रहना मुश्किल हो जाता है। बच्चे उलटी करने लगते है। कुछ दिन पूर्व 10 जून को लोहे का काम करनेवाले राजीव विश्वकर्मा के भतीजा का उल्टी करते करते मौत हो गया। आसपास के इलाके बच्चे इससे बीमार पड़ रहे हैं । इतना ही नहीं कई किरदार ने भी यहां से घर बदल दिया।




Conclusion:मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि या सरकार का कार्यक्रम है और यह 10 साल पहले बनाया गया था। इधर कुछ महीने पूर्व इसको चालू किया गया है ।मगध क्षेत्र के बहुत सारे अस्पताल का वेस्टेज कचरा यहां लाकर चलाया जाता है ।इससे निकलने वाले धुंआ से अस्पताल परिसर में भी लोगों को परेशानी है और आसपास के मोहल्ले के लोगों को भी काफी दिक्कत हो रहा है। लोग इसके शिकायत लेकर मेरे पास आए थे मैं ऊपर के अधिकारियों को शिकायत फॉरवर्ड कर दिया हूं।
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