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युवाओं को रोजगार देने की खातिर 'कैनाल मैन' फिर चीर रहे पहाड़ों का सीना, मछली पालन से रोकेंगे पलायन

मन जज्बे से भरा हो और दूसरों की भलाई करने का माद्दा हो तो कुछ भी असंभव नहीं. जो कहते हैं कि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता' उन्हें गया के लौंगी भुइयां (Canal Man Laungi Bhuiyan) से सीखना चाहिए, 30 साल अकेले ही उन्होंने पहाड़ का सीना चीरकर नहर निकाल दिया. अब एक बार फिर लौंगी भुइयां कुछ ऐसा ही करने जा रहे हैं.

Canal Man Laungi Bhuiyan
Canal Man Laungi Bhuiyan
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Published : Dec 15, 2021, 6:03 AM IST

गया: बिहार के गया से 90 किलोमीटर दूर बांकेबाजार प्रखंड की लुटुआ पंचायत कोठीलवा गांव के रहने वाले लौंगी भुइयां एक बार फिर चर्चा में हैं. कैनाल मैन के नाम से मशहूर लौंगी भुइयां (Canal Man Laungi Bhuiyan) अब अपने इलाके के युवाओं को मछली पालन के जरिए रोजगार (Laungi Bhuiyan On Employment ) देने का सपना संजोए हुए हैं. वो चाहते हैं कि इसी के जरिए इलाके में पलायन रुके और खेतों की उपज बढ़े. इसके लिए लौंगी भुइयां एक डैम बना रहे हैं. इसी डैम से एक नहर भी निकाल रहे हैं जो 5 गांवों के खेतों की सिंचाई करेगी.

ये भी पढ़ें- बिहार के 'द कैनाल मैन' जुटे इस मिशन में, जानिए क्या है लक्ष्य

कैनाल मैन लौंगी भुइयां पहाड़ों से आने वाले पानी को रोकने के लिए डैम बना रहे हैं. इसी जलाशय से एक नहर भी निकाल रहे हैं जो 5 गांवों के खेतों को सींचने का काम करेगी. लौंगी भुइयां का सपना है कि गांव के युवा बाहर जाकर मेहनत मजदूरी न करके घर रहकर ही अपने परिवार की परवरिश करें. इससे बाहर जाकर कमाने का झंझट भी दूर हो जाएगा.

देखें रिपोर्ट.

"अब मैं अपने गांव में पानी लाने के लिए काम कर रहा हूं. गांव में पानी लाने के लिए कोई स्वार्थ नहीं है. बस गांव में खेती हो और लोग मुझे जो मेहनताना दें, वह मेरे लिए काफी है. मैंने बड़े-बड़े पहाड़ नहीं तोड़े हैं, लेकिन तीन किलोमीटर तक नहर बनाने में जितने पत्थर तोड़े हैं, वे पहाड़ से कम नहीं थे. दो तालाबों में पानी आ गया है. जिस इलाके में पहले जंगल था, वहां आज धान की खेती हो रही है."- लौंगी भुइयां, बिहार के कैनाल मैन

लौंगी भुइयां का जीवन अभाव में ही गुजर रहा है. ऐसे मुश्किल दौर में भी उन्होंने न तो अपने बारे में सोचा और न ही परिवार की परवाह की. लौंगी भुइयां ने हमेशा समाज कल्याण को ही सर्वोपरी रखा. इसी का नतीजा है कि आज लौंगी भुइयां को दुनिया जानती है. लौंगी भुइयां अब एक नाम नहीं 'मेहनतकश इंसान' का प्रतीक बन चुके हैं. एक भगीरथ थे जो अपनी तपस्या से गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतार लाए. कलयुग में कुछ ऐसा ही काम लौंगी भुइयां कर रहे हैं. आज इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि इनके इलाके की बंजर जमीन हरियाली की चादर में लिपटी हुई है.

'गांव वाले इनकी मदद नहीं कर रहे हैं. कई बार मदद के लिए कहा गया लेकिन कोई आगे नहीं आ रहा है. ये अकेले ही नहर और डैम बनाने के काम में जुटे हुए हैं.'- रामजतन, स्थानीय ग्रामीण

बरसात के मौसम में पहाड़ों के पानी को रोककर लौंगी मांझी उसमें मछलीपालन को बढ़ावा देना चाहते हैं. वो अकेले ही डैम के पानी को खेतों में नहर के जरिए पहुंचाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. पहाड़ों से होकर गुजरने वाली नहर का पूरा खाका इनके दिमांग में प्रिंट है. लौंगी भुइयां का ये प्रोजेक्ट पूरा होता है तो इनकी बनाई गई नहर से 5 गांवों के पानी की जरूरतें पूरी हो सकेगी.

'लौंगी भुइयां के काम को मैंने बचपन से देखा है. अब उनके काम को पहचान मिली है. आज भी लुटुआ में पानी लाने के लिए वह दिन-रात लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने वादा किया था कि गांव में सड़क, स्कूल और अस्पताल बनाया जाएगा. एक साल में आज तक गांव में सड़क तक नहीं बनी है.'- मुकेश कुमार, लुटुआ पंचायत निवासी

जिस समस्या से गांव के लोग लड़ रहे हैं उसका हल कैनाल मैन लौंगी भुइयां के कुदाल और फावड़े में है. जो काम सरकार को करना चाहिए, उस काम को अकेले लौंगी भुइयां कर रहे हैं, लेकिन इस बार भी उनके साथ ना तो सरकार खड़ी है और ना ही गांव वाले इनकी मदद को आगे आ रहे हैं.

'हम लौंगी भुइयां को 2003 से देख रहे हैं, हर दिन उनको नहर खोदते ही देखा. अब एक बार फिर लौंगी भुइयां नहर खोद रहे हैं. लुटुआ पंचायत तक ये नहर आएगी. पहाड़ों के पानी को रोककर उसमें मछली पालन करने की कोशिश में जुटे हैं. इससे यहां मछली पालन होगा. स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा. लौंगी भुइयां का दोनों प्रयास एक साथ जारी है'- उमेश कुमार, प्राथमिक टीचर, लुटुआ पंचायत

सरकार पहले भी लौंगी भुइयां की मेहनत का नतीजा देख चुकी है. 30 साल में 5 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर उन्होंने अपना इरादा बता दिया था. बात-बात पर सरकारी मदद का मुंह ताकने वाले लोगों के लिए लौंगी मांझी की मेहनत मिसाल हैं. नेक काम के लिए बस कदम बढ़ाना होता है, यहीं लौंगी मांझी के जीवन की सीख है. कैनाल मैन इस ओर अब बहुत आगे निकल चुके हैं. एक बार फिर लोगों को और सरकार को कैनाल मैन की सोच के साथ खड़ा होना होगा और उनके सपने को साकार करना होगा.

बता दें कि शेरघाटी इमामगंज रोड से लूटुआ तक जाने के लिए पक्का रास्ता है. लूटुआ से जटही गांव तक जाने के लिए कच्ची सड़क है. जटही गांव के महादलित टोला में लौंगी भुइयां का कच्चा घर है. अभी तक इन्हें सरकारी योजना से पक्का घर नहीं मिला है. एक स्टील कंपनी ने घर बनाने की शुरुआत की थी, लेकिन अब काम बंद है. लौंगी भुइयां के काम की तारीफ आनंद महिंद्रा से लेकर हर तबके के लोगों ने की थी. आनंद महिंद्रा ने एक ट्रैक्टर दिया था. लौंगी भुइयां ने सरकार से नहर का पक्कीकरण कराने और ट्रैक्टर का ट्रेलर देने की मांग की है.

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गया: बिहार के गया से 90 किलोमीटर दूर बांकेबाजार प्रखंड की लुटुआ पंचायत कोठीलवा गांव के रहने वाले लौंगी भुइयां एक बार फिर चर्चा में हैं. कैनाल मैन के नाम से मशहूर लौंगी भुइयां (Canal Man Laungi Bhuiyan) अब अपने इलाके के युवाओं को मछली पालन के जरिए रोजगार (Laungi Bhuiyan On Employment ) देने का सपना संजोए हुए हैं. वो चाहते हैं कि इसी के जरिए इलाके में पलायन रुके और खेतों की उपज बढ़े. इसके लिए लौंगी भुइयां एक डैम बना रहे हैं. इसी डैम से एक नहर भी निकाल रहे हैं जो 5 गांवों के खेतों की सिंचाई करेगी.

ये भी पढ़ें- बिहार के 'द कैनाल मैन' जुटे इस मिशन में, जानिए क्या है लक्ष्य

कैनाल मैन लौंगी भुइयां पहाड़ों से आने वाले पानी को रोकने के लिए डैम बना रहे हैं. इसी जलाशय से एक नहर भी निकाल रहे हैं जो 5 गांवों के खेतों को सींचने का काम करेगी. लौंगी भुइयां का सपना है कि गांव के युवा बाहर जाकर मेहनत मजदूरी न करके घर रहकर ही अपने परिवार की परवरिश करें. इससे बाहर जाकर कमाने का झंझट भी दूर हो जाएगा.

देखें रिपोर्ट.

"अब मैं अपने गांव में पानी लाने के लिए काम कर रहा हूं. गांव में पानी लाने के लिए कोई स्वार्थ नहीं है. बस गांव में खेती हो और लोग मुझे जो मेहनताना दें, वह मेरे लिए काफी है. मैंने बड़े-बड़े पहाड़ नहीं तोड़े हैं, लेकिन तीन किलोमीटर तक नहर बनाने में जितने पत्थर तोड़े हैं, वे पहाड़ से कम नहीं थे. दो तालाबों में पानी आ गया है. जिस इलाके में पहले जंगल था, वहां आज धान की खेती हो रही है."- लौंगी भुइयां, बिहार के कैनाल मैन

लौंगी भुइयां का जीवन अभाव में ही गुजर रहा है. ऐसे मुश्किल दौर में भी उन्होंने न तो अपने बारे में सोचा और न ही परिवार की परवाह की. लौंगी भुइयां ने हमेशा समाज कल्याण को ही सर्वोपरी रखा. इसी का नतीजा है कि आज लौंगी भुइयां को दुनिया जानती है. लौंगी भुइयां अब एक नाम नहीं 'मेहनतकश इंसान' का प्रतीक बन चुके हैं. एक भगीरथ थे जो अपनी तपस्या से गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतार लाए. कलयुग में कुछ ऐसा ही काम लौंगी भुइयां कर रहे हैं. आज इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि इनके इलाके की बंजर जमीन हरियाली की चादर में लिपटी हुई है.

'गांव वाले इनकी मदद नहीं कर रहे हैं. कई बार मदद के लिए कहा गया लेकिन कोई आगे नहीं आ रहा है. ये अकेले ही नहर और डैम बनाने के काम में जुटे हुए हैं.'- रामजतन, स्थानीय ग्रामीण

बरसात के मौसम में पहाड़ों के पानी को रोककर लौंगी मांझी उसमें मछलीपालन को बढ़ावा देना चाहते हैं. वो अकेले ही डैम के पानी को खेतों में नहर के जरिए पहुंचाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. पहाड़ों से होकर गुजरने वाली नहर का पूरा खाका इनके दिमांग में प्रिंट है. लौंगी भुइयां का ये प्रोजेक्ट पूरा होता है तो इनकी बनाई गई नहर से 5 गांवों के पानी की जरूरतें पूरी हो सकेगी.

'लौंगी भुइयां के काम को मैंने बचपन से देखा है. अब उनके काम को पहचान मिली है. आज भी लुटुआ में पानी लाने के लिए वह दिन-रात लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने वादा किया था कि गांव में सड़क, स्कूल और अस्पताल बनाया जाएगा. एक साल में आज तक गांव में सड़क तक नहीं बनी है.'- मुकेश कुमार, लुटुआ पंचायत निवासी

जिस समस्या से गांव के लोग लड़ रहे हैं उसका हल कैनाल मैन लौंगी भुइयां के कुदाल और फावड़े में है. जो काम सरकार को करना चाहिए, उस काम को अकेले लौंगी भुइयां कर रहे हैं, लेकिन इस बार भी उनके साथ ना तो सरकार खड़ी है और ना ही गांव वाले इनकी मदद को आगे आ रहे हैं.

'हम लौंगी भुइयां को 2003 से देख रहे हैं, हर दिन उनको नहर खोदते ही देखा. अब एक बार फिर लौंगी भुइयां नहर खोद रहे हैं. लुटुआ पंचायत तक ये नहर आएगी. पहाड़ों के पानी को रोककर उसमें मछली पालन करने की कोशिश में जुटे हैं. इससे यहां मछली पालन होगा. स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा. लौंगी भुइयां का दोनों प्रयास एक साथ जारी है'- उमेश कुमार, प्राथमिक टीचर, लुटुआ पंचायत

सरकार पहले भी लौंगी भुइयां की मेहनत का नतीजा देख चुकी है. 30 साल में 5 किलोमीटर लंबी नहर बनाकर उन्होंने अपना इरादा बता दिया था. बात-बात पर सरकारी मदद का मुंह ताकने वाले लोगों के लिए लौंगी मांझी की मेहनत मिसाल हैं. नेक काम के लिए बस कदम बढ़ाना होता है, यहीं लौंगी मांझी के जीवन की सीख है. कैनाल मैन इस ओर अब बहुत आगे निकल चुके हैं. एक बार फिर लोगों को और सरकार को कैनाल मैन की सोच के साथ खड़ा होना होगा और उनके सपने को साकार करना होगा.

बता दें कि शेरघाटी इमामगंज रोड से लूटुआ तक जाने के लिए पक्का रास्ता है. लूटुआ से जटही गांव तक जाने के लिए कच्ची सड़क है. जटही गांव के महादलित टोला में लौंगी भुइयां का कच्चा घर है. अभी तक इन्हें सरकारी योजना से पक्का घर नहीं मिला है. एक स्टील कंपनी ने घर बनाने की शुरुआत की थी, लेकिन अब काम बंद है. लौंगी भुइयां के काम की तारीफ आनंद महिंद्रा से लेकर हर तबके के लोगों ने की थी. आनंद महिंद्रा ने एक ट्रैक्टर दिया था. लौंगी भुइयां ने सरकार से नहर का पक्कीकरण कराने और ट्रैक्टर का ट्रेलर देने की मांग की है.

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