गया: मगध क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल है. इस अस्पताल में लोग कम खर्चे में अपने बीमारी का इलाज करवाने आते है. पर सरकारी अस्पताल की कुव्यवस्था का ब्लैकमेलिंग कर दलाल निजी अस्पतालों में मरीज को भेज देते है. दलालों की ब्लैकमेलिंग का आलम है कि बीते दो मार्च को एक महिला की मौत निजी नर्सिंग होम में हो जाती है. महिला की बेहतर इलाज के लिए मगध मेडिकल अस्पताल से निजी नर्सिंग होम लाया गया था. जहां कुछ घंटों में मरीज ने दम तोड़ दिया.
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दलालों का बोलबाला
दरअसल, सरकारी अस्पताल और निजी नर्सिंग होम का डार्लिंग वाला संबंध पुराना है. गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर सभी प्राथमिक व सामुदायिक अस्पताल में दलालों का भरमार है. सुदूर क्षेत्र में छोटी से छोटी बीमारी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हाथ खड़ा कर देते है. मजबूरन मरीज को झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है या निजी नर्सिंग होम में इलाज करवाना पड़ता है.
झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाया आरोप
पिछले माह भुसुंडा में एक महिला की मौत निजी नर्सिंग होम में हो गया था. परिजनों का आरोप था कि इलाज में लापरवाही के कारण मरीज की मौत हो गयी थी. वहीं, इस मरीज को गांव के झोलाछाप डॉक्टर ने नर्सिंग होम के बारे में बताया था. इस तरह की घटना जिले में आम हो गयी है, इस पर आजतक जिला प्रशासन या जिला स्वास्थ्य विभाग ने किसी तरह का कोई कार्रवाई नहीं की है.
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फर्जी नर्सिंग होम की शिकायत नहीं मिली
सिविल सर्जन डॉक्टर केके राय ने बताया कि दो मार्च की घटना की सूचना पर किसी ने शिकायत दर्ज नहीं करवाया था. मैं खुद से रुचि लेकर संबंधित निजी नर्सिंग होम के बारे में जानकारी लिया. वह अस्पताल मेरे मानक पर खड़ा उतरता है. इसलिए उस पर स्वतः मैं संज्ञान लेकर कारवाई नहीं कर सकता हूं. फर्जी नर्सिंग होम के बारे में अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है. जांच में कोई कमिया पाया जाता है तो प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी.
निजी एंबुलेंस पर है रोक
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर हरिश्चंद्र हरि ने बताया कि मगध मेडिकल अस्पताल कोरोना काल में सात जिलों के मरीजों का इलाज किया. तब लोगों ने इसी पर भरोसा जताया. आज भी लोगों को धैर्य रखकर सरकारी अस्पताल पर भरोसा रखना चाहिए, उन्हें जो सुविधाएं मुहैया नहीं करायी जाती है उसकी शिकायत करें. अस्पताल में दलालों को रोकने के लिए निजी एम्बुलेंस का एंट्री बंद है. साथ ही बाहरी किसी अस्पताल या लैब का प्रचार प्रसार प्रतिबंध है. अगर कोई मरीज को झांसा देकर निजी अस्पताल में ले जाता है ये पहले परिजनों को सोचना चाहिए और अस्पताल प्रबंधन को भी बताना चाहिए.