गया: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections in Bihar) की सरगर्मियां पूरे जोरों पर हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और उनके सहयोगी दल के लोग प्रदेश में सुशासन और विकास की सरकार होने का दावा करते हैं. पर आजादी के 75 साल बाद भी गया के बेलागंज प्रखंड के कोरमथु पंचायत में विकास की बात करना बेमानी होगी.
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इस पंचायत के कई गांव नदी से घिरे हैं. जहां सरकार और प्रशासन अभी तक एक पुल नहीं बनवा सका. इसके लिए यहां के लोग शासन, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन इनकी सुनवाई कहीं नहीं हुई. थक-हारकर यहां के लोगों ने खुद की मेहनत और मुखिया के सहयोग से एक पुल का निर्माण किया. परन्तु बारिश के चार महीने में वह पुल डूब जाता है. जिससे यहां के लोगों को चार माह जल कैदी बनकर रहना पड़ता है.
बता दें कि कोरमथु पंचायत का चार गांव मोरहर नदी और सहायक नदी से घिरा है. जिससे बारिश के समय में यहां के लोग बाहर नहीं निकल पाते. पुल नहीं होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और बीमार होने पर इलाज के लिए भी जाना मुश्किल हो जाता है. यहां के लोग मोरहर नदी पर कई दशकों से पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन उनकी बात न तो सरकार सुन रही है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि. हालांकि कोरमथु पंचायत के निवर्तमान मुखिया के सहयोग और स्थानीय लोगों की मदद से एक पुलिया बनायी. जो कि बारिश के दिनों में डूब जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि पुल नही बनना जिंदा और मृत व्यक्ति दोनों के लिए अभिशाप है.
कोरमथु पंचायत का चिरमिर्ची विगहा के निवासी साधु शरण यादव ने बताया कि मेरा गांव मोरहर नदी के किनारे है. हर साल बारिश के दिनों में हमलोग एक कैदी जैसे रहते हैं. सरकार के लोगों से बोलते-बोलते थक गए. लेकिन किसी ने आज तक मदद नहीं की. इस बार गांव का बूथ भी नदी के उस पार दो किलोमीटर दूर कर दिया गया है. अगर तेज बारिश होगी तो इस गांव के 700 लोग वोट नहीं दे सकेंगे.
स्थानीय कामदेव दास बताते हैं कि मोरहर नदी पर तीन साल पूर्व एक पुलिया का निर्माण ग्रामीण और मुखिया अनिल कुमार मिलकर किये थे. जिसमें हमलोग श्रमदान किये थे और मुखिया ने आर्थिक मदद किया था. सामान्य दिनों में इस पुल से आवाजाही होती है. बारिश में यह पुल डूब जाती है.
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'बड़ा पुल नहीं रहने के कारण हमलोगों के बच्चे पढ़ाई करने नहीं जाते. कुछ साल पूर्व तेज बारिश के दौरान एक महिला को लेबर पेन हुआ. उन्हें अस्पताल ले जाना था. एक नाद रूपी नाव में हमलोग लेकर जा रहे थे और बीच नदी में नाद टूट गयी. जिससे उस महिला की डूबने से मौत हो गयी. यहां के लोगों ने पुल बनाने के लिए सभी से गुहार लगायी. लेकिन पुल नहीं बना, तो हमलोगों ने खुद से बनाया. जो हमारी जीवन रेखा बना हुआ है.' -चुनचुन दास, स्थानीय
बहरहाल गांव में पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ गयी है. कोरमथु पंचायत का चिरमची विगहा गांव का बूथ नदी के उस पार दो किलोमीटर दूर बनाया गया है. गांव में बूथ नहीं होने से लोग वोट देने के नाम पर चुप्पी साध लेते हैं. ग्रामीणों की मांग है कि गांव में पहले जैसा बूथ बनाया जाए. जिससे बारिश होने पर भी वोट देने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो. सरकार और जिला प्रशासन पुल की सुविधा तो नहीं दे सका. अब वोट देने से वंचित कर रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार जले पर नमक छिड़क रही है.
'हमारे ऊपर पुल बनाने का एक जूनन था. चार महीना हम लोग बाहर नहीं आते-जाते थे और न ही बच्चे पढ़ने जाते थे. चुनाव जीतने के बाद प्रण किया था कि ये रास्ता मैं बनाऊंगा. इसमें हमारी जनता का बड़ा सहयोग मिला. हम चंदा इकट्ठा करके पुल को बनाये हैं. उसकी सराहना हमें मिल रही है. इसके लिए हम हर जगह गये लेकिन कहीं भी सुनवायी नहीं हुई. शारीरिक मेहनत जनता ने किया और धन हमने इक्ट्ठा किया.' -अनिल कुमार, निवर्तमान मुखिया