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Mahashivratri: इस मंदिर में शिवलिंग के रूप में हैं ब्रह्मा-विष्णु और महेश, विघ्नहर्ता के रूप में होती है पूजा

बिहार के गया में महाशिवरात्रि (Mahashivaratri in Gaya) के मौके पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. यहा एक अनोखा मंदिर है जहां भक्तो के जल अर्पण करने से उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं. इस मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश शिवलिंग रूप में विराजमान हैं. लोग उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में पूजते हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

गया का प्रसिद्ध दुखहरनी मंदिर
गया का प्रसिद्ध दुखहरनी मंदिर
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Published : Feb 18, 2023, 10:32 AM IST

गया का प्रसिद्ध दुखहरनी मंदिर

गया: बिहार के गया में प्रसिद्ध दुखहरणी मंदिर (Dukhharni Temple in Gaya) है, जहां माता दुखहरनी की प्रतिमा स्थापित है. वहीं इसी मंदिर में शिवलिंग के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान है. मंदिर का इतिहास हिंदी संवत के वर्ष 972 से मिलता है, यानी कि यह मंदिर पौराणिक काल से है और इसका जीर्णोद्धार हिंदी संवत 972 में कराया गया था, जो मंदिर की दीवारों में भी अंकित है. इस मंदिर में यह तीनों शिवलिंग काफी विशाल हैं. तीनों शिवलिंग बेशकीमती बताए जाते हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में कहीं भी शिवलिंग देखने को नहीं मिलता है लेकिन गया में यह लगभग 500 साल के इतिहास के रूप में स्थापित है.

पढ़ें-Mahashivratri: धनरुआ के बुढ़वा महादेव.. 5 फीट का शिवलिंग.. सभी इच्छा होती है पूरी

विघ्नहर्ता के रूप में पूजते हैं भक्त: तीनों शिवलिंग भक्तों के विघ्नों को दूर करती है इसलिए इसकी विघ्नहर्ता के रूप में भक्त पूजा करने आते हैं. यहां हर तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं. तीनों स्वरूप में विराजमान महादेव के दर्शन करने देशभर से लोग आते हैं. गयाजी में आने वाले तीर्थयात्री भी दुखहरनी मंदिर पहुंचते हैं और दुखहरनी माता के अलावा ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में स्थापित शिवलिंग के दर्शन जरूर करते हैं. यहां महामृत्युंजय जाप भी लोग कराने आते हैं, ताकि अत्यंत ही मुश्किल बाधा भी दूर हो सके. फिलहाल दुखहरनी मंदिर में माता और शिवलिंग रूप में स्थापित भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं और अपने कष्टों से छुटकारा पाते हैं.


500 साल पुराना मिलता है इतिहास: इस संबंध में पुजारी चंद्र भूषण मिश्र बताते हैं कि यहां शिवलिंग रूप में जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं, वे 500 साल से भी ज्यादा पुराना है. दुखहरनी मंदिर जीर्णोद्धार के समय इसका पता लगा था. जीर्णोद्धार के समय का जो बोर्ड लगा हुआ है, उसमें हिंदी संवत 972 लिखा हुआ है. पुजारी बताते हैं, कि देश में ऐसा कहीं नहीं है, जहां शिवलिंग के रूप में तीनों विराजमान हों. देश में ऐसे कई स्थान हैं, जहां मूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं लेकिन शिवलिंग के रूप में सिर्फ गया में ही ऐसा है. बताया जाता है कि दुखहरनी मंदिर हिंदुस्तान में एक ही है. यहां श्रद्धा से लोग पूजा करने आते हैं. दुर्गा सप्तशती में भी दुखहरनी माता का वर्णन है. वहीं दुखहरनी माता के दर्शन और शिवलिंग की पूजा से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. हर कष्ट भक्तों के दूर हो जाते हैं. जहां माता रहती है, वहां ब्रह्मा विष्णु महेश भी रहते हैं.

"यहां शिवलिंग रूप में जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं, वे 500 साल से भी ज्यादा पुराना है. दुखहरनी मंदिर जीर्णोद्धार के समय इसका पता लगा था. जीर्णोद्धार के समय का जो बोर्ड लगा हुआ है, उसमें हिंदी संवत 972 लिखा हुआ है. देश में ऐसा कहीं नहीं है, जहां शिवलिंग के रूप में तीनों विराजमान हों. देश में ऐसे कई स्थान हैं, जहां मूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं लेकिन शिवलिंग के रूप में सिर्फ गया में ही ऐसा है." -चंद्र भूषण मिश्र, पुजारी, दुखहरनी मंदिर

गया का प्रसिद्ध दुखहरनी मंदिर

गया: बिहार के गया में प्रसिद्ध दुखहरणी मंदिर (Dukhharni Temple in Gaya) है, जहां माता दुखहरनी की प्रतिमा स्थापित है. वहीं इसी मंदिर में शिवलिंग के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान है. मंदिर का इतिहास हिंदी संवत के वर्ष 972 से मिलता है, यानी कि यह मंदिर पौराणिक काल से है और इसका जीर्णोद्धार हिंदी संवत 972 में कराया गया था, जो मंदिर की दीवारों में भी अंकित है. इस मंदिर में यह तीनों शिवलिंग काफी विशाल हैं. तीनों शिवलिंग बेशकीमती बताए जाते हैं. ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में कहीं भी शिवलिंग देखने को नहीं मिलता है लेकिन गया में यह लगभग 500 साल के इतिहास के रूप में स्थापित है.

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विघ्नहर्ता के रूप में पूजते हैं भक्त: तीनों शिवलिंग भक्तों के विघ्नों को दूर करती है इसलिए इसकी विघ्नहर्ता के रूप में भक्त पूजा करने आते हैं. यहां हर तरह के विघ्न दूर हो जाते हैं. तीनों स्वरूप में विराजमान महादेव के दर्शन करने देशभर से लोग आते हैं. गयाजी में आने वाले तीर्थयात्री भी दुखहरनी मंदिर पहुंचते हैं और दुखहरनी माता के अलावा ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में स्थापित शिवलिंग के दर्शन जरूर करते हैं. यहां महामृत्युंजय जाप भी लोग कराने आते हैं, ताकि अत्यंत ही मुश्किल बाधा भी दूर हो सके. फिलहाल दुखहरनी मंदिर में माता और शिवलिंग रूप में स्थापित भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं और अपने कष्टों से छुटकारा पाते हैं.


500 साल पुराना मिलता है इतिहास: इस संबंध में पुजारी चंद्र भूषण मिश्र बताते हैं कि यहां शिवलिंग रूप में जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं, वे 500 साल से भी ज्यादा पुराना है. दुखहरनी मंदिर जीर्णोद्धार के समय इसका पता लगा था. जीर्णोद्धार के समय का जो बोर्ड लगा हुआ है, उसमें हिंदी संवत 972 लिखा हुआ है. पुजारी बताते हैं, कि देश में ऐसा कहीं नहीं है, जहां शिवलिंग के रूप में तीनों विराजमान हों. देश में ऐसे कई स्थान हैं, जहां मूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं लेकिन शिवलिंग के रूप में सिर्फ गया में ही ऐसा है. बताया जाता है कि दुखहरनी मंदिर हिंदुस्तान में एक ही है. यहां श्रद्धा से लोग पूजा करने आते हैं. दुर्गा सप्तशती में भी दुखहरनी माता का वर्णन है. वहीं दुखहरनी माता के दर्शन और शिवलिंग की पूजा से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. हर कष्ट भक्तों के दूर हो जाते हैं. जहां माता रहती है, वहां ब्रह्मा विष्णु महेश भी रहते हैं.

"यहां शिवलिंग रूप में जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं, वे 500 साल से भी ज्यादा पुराना है. दुखहरनी मंदिर जीर्णोद्धार के समय इसका पता लगा था. जीर्णोद्धार के समय का जो बोर्ड लगा हुआ है, उसमें हिंदी संवत 972 लिखा हुआ है. देश में ऐसा कहीं नहीं है, जहां शिवलिंग के रूप में तीनों विराजमान हों. देश में ऐसे कई स्थान हैं, जहां मूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान हैं लेकिन शिवलिंग के रूप में सिर्फ गया में ही ऐसा है." -चंद्र भूषण मिश्र, पुजारी, दुखहरनी मंदिर

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