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गयाः मोक्षनगरी में लॉक डाउन की वजह से नहीं आ रहे हैं शव, प्रथा को लेकर पंडा समुदाय चिंतित

लॉक डाउन की वजह से एक से दो शव ही मिल रहे हैं. जिससे लोगों की आमदनी भी खत्म हो गई है. साथ ही गया जी में हर दिन एक पिंड और मुंड पड़ने की मान्यता को जीवित रखने के लिए पंडा समुदाय के साथ डोम राजा भी चिंतित है.

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Published : Apr 15, 2020, 8:16 PM IST

गयाः कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉक डाउन का असर विश्व प्रसिद्ध मोक्षधाम पर भी पड़ रहा है. विष्णुपद मंदिर के बगल में स्थित श्मशान घाट पर लॉक डाउन की वजह से शव नहीं आ रहे हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार गया जी में हर दिन एक पिंड और मुंड पड़ना चाहिए. इस मान्यता को जीवित रखने के लिए पंडा समुदाय के साथ डोम राजा भी चिंतित हैं.

गयासुर की कथा
दरअसल मोक्षनगरी गया जी में स्थित श्मशान घाट को लेकर मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने के लिए गयासुर का शरीर मांगा तो गयासुर ने सहर्ष अपना शरीर यज्ञ के लिए दे दिया. देवता उसके शरीर पर यज्ञ करने लगे. यज्ञ के दौरान देवतागण गयासुर की छाती पर धर्मशीला रखकर उसे मारना चाहते थे. लेकिन वो नहीं मरा. जिसके बाद भगवान विष्णु के अंतिम इच्छा पूछने पर गयासुर ने कहा कि इस शिला में मैं समाहित हो जाऊं और आपका चरण इस शिला पर विराजमान रहे. जो इस शिला पर आकर पिंडदान करेगा उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी. इसके साथ उसने हर रोज एक पिंड और एक मुंड मिलने की शर्त भी रखी और ऐसा नहीं होने पर नगर का अस्तित्व मिट जाने की बात कही.

देखें रिपोर्ट

नहीं आ रहे शव
बताया जाता है कि गयासुर के शर्त के अनुसार हर रोज गया के विष्णुपद में पिंडदान दिया जाने लगा और मसान में मुंड यानी एक शवदाह किया जाने लगा. श्मशान घाट के डोमराजा ने माखन राम ने बताया ये परंपरा हाजरों साल से चली आ रही है. लेकिन लॉक डाउन की वजह से एक से दो शव ही मिल रहे हैं. जिससे उनकी आमदनी भी खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि शव नहीं मिलने की स्तिथि में पुतला जलाया जाएगा.

गयाः कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉक डाउन का असर विश्व प्रसिद्ध मोक्षधाम पर भी पड़ रहा है. विष्णुपद मंदिर के बगल में स्थित श्मशान घाट पर लॉक डाउन की वजह से शव नहीं आ रहे हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार गया जी में हर दिन एक पिंड और मुंड पड़ना चाहिए. इस मान्यता को जीवित रखने के लिए पंडा समुदाय के साथ डोम राजा भी चिंतित हैं.

गयासुर की कथा
दरअसल मोक्षनगरी गया जी में स्थित श्मशान घाट को लेकर मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने के लिए गयासुर का शरीर मांगा तो गयासुर ने सहर्ष अपना शरीर यज्ञ के लिए दे दिया. देवता उसके शरीर पर यज्ञ करने लगे. यज्ञ के दौरान देवतागण गयासुर की छाती पर धर्मशीला रखकर उसे मारना चाहते थे. लेकिन वो नहीं मरा. जिसके बाद भगवान विष्णु के अंतिम इच्छा पूछने पर गयासुर ने कहा कि इस शिला में मैं समाहित हो जाऊं और आपका चरण इस शिला पर विराजमान रहे. जो इस शिला पर आकर पिंडदान करेगा उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी. इसके साथ उसने हर रोज एक पिंड और एक मुंड मिलने की शर्त भी रखी और ऐसा नहीं होने पर नगर का अस्तित्व मिट जाने की बात कही.

देखें रिपोर्ट

नहीं आ रहे शव
बताया जाता है कि गयासुर के शर्त के अनुसार हर रोज गया के विष्णुपद में पिंडदान दिया जाने लगा और मसान में मुंड यानी एक शवदाह किया जाने लगा. श्मशान घाट के डोमराजा ने माखन राम ने बताया ये परंपरा हाजरों साल से चली आ रही है. लेकिन लॉक डाउन की वजह से एक से दो शव ही मिल रहे हैं. जिससे उनकी आमदनी भी खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि शव नहीं मिलने की स्तिथि में पुतला जलाया जाएगा.

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