पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर देश भर में चर्चा है. लेकिन सबसे ज्यादा जातीय जनगणना को लेकर राजनीति (Bihar Politics) बिहार में हो रही है. एनडीए (NDA) में शामिल जदयू तो जातीय जनगणना के पक्ष में खड़ी है. वहीं भारतीय जनता पार्टी इसका जोरदार विरोध कर रही है. गया पहुंचे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaysawal) ने जातीय जनगणना पर कहा कि इस तरह की जनगणना होने से समाज में विवाद पैदा होगा. विपक्ष बताए, जातीय जनगणना से क्या फायदा है?
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जातीय जनगणना को लेकर बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जा चुका है. प्रस्ताव पारित होने के बाद बीजेपी से लेकर सदन में शामिल सभी पार्टियों ने समर्थन दिया था. अब केंद्र सरकार के विरोध के बाद बीजेपी जातीय जनगणना के पक्ष में नहीं है.
'आम लोगों को जातीय जनगणना के बारे में समझना चाहिए. इस जनगणना से किसी का भला नहीं होनेवाला है. सुप्रीम कोर्ट 50 प्रतिशत आरक्षण का दायरा रख चुकी है. क्या उस दायरा को तोड़ दें. विपक्ष बता दे, जातीय जनगणना से क्या लाभ मिलेगा? इससे सिर्फ समाज में विवाद उत्पन्न होगा. हम नहीं चाहते कि समाज में विवाद पनपे. देश में दो जाति है, अमीर और गरीब की जाति. जनगणना होनी चाहिए तो ये दो जातियों की हो. जिससे गरीबों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचे.' -संजय जायसवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
बिहार विधानसभा के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और पार्टी के कुछ नेता सीएम नीतीश से मिले. जाहिर है, दोनों पार्टी फिलहाल जातीय जनगणना के पक्ष में है. इस कारम राय भी मिल रहे हैं और व्यवहार भी. तेजस्वी यादव ने सदन में मांग किया था कि एक कमेटी बने और पीएम मोदी से मिलकर जातीय जनगणना पर दुबारा सोचें.
इस आलोक में बैठक के बाद सीएम नीतीश ने आश्वस्त किया कि ऐसा किया जाएगा. टीम गठित कर पीएम मोदी से फैसले पर पुनर्विचार करने पर बात होगी. बता दें कि सहमति यह भी बनी है कि देश में जातीय जनगणना ना हो, कोई बात नहीं. बिहार में पक्ष और विपक्ष मिलकर जातीय जनगणना कराना चाहते हैं. इस बारे में भी केंद्र सरकार से सहमति प्राप्त करने की कोशिश होगी.
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