गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया में सतत सलिला फल्गु नदी का जल तर्पण के लिए जरूरी है. पूरे साल मोक्षदायिनी फल्गु के पानी तर्पण के लिए विष्णुपद देवघाट के पास बिहार का पहला रबर डैम बनाया जा रहा है. जहां सालों भर 3 फीट ऊपर तक पानी रहेगा. इससे दूरदराज से आए पिंडदानी को तर्पण करने के लिए पानी की दिक्कत नहीं होगी. वहीं गया वासियों के पानी की समस्या भी दूर होने की उम्मीद है.
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रबर डैम का निर्माण
देश-विदेश से गया में आने वाले श्रद्धालु अपने पितरों को मोक्ष दिलाने गया आते हैं. पिंडदान में फल्गु नदी के जल का तर्पण करना जरूरी है. सतत सलिला फल्गु नदी में सालों भर पानी नहीं रहता है. फल्गु नदी में सालो भर पानी मिले और पिंडदानियों को कर्मकांड करने में कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट के पास रबर डैम का निर्माण कराया जा रहा है.
ऑनलाइन हुआ था शिलान्यास
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले 23 सितम्बर 2020 को इसका ऑनलाइन शिलान्यास किया था. अब गया के विष्णुपद देवघाट के पास फल्गु नदी में रबर डैम बनाने का कार्य शुरू हो चुका है. 277 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह रबर डैम राज्य का पहला रबर डैम होगा. जो आकर्षण का केंद्र होगा. हैदराबाद की एनसीसी कम्पनी के द्वारा डैम निर्माण का कार्य शुरू किया गया है.
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पानी का होगा स्टोरेज
रबर डैम के निर्माण होने से जहां फल्गु नदी में सालों भर पानी का स्टोरेज होगा. वहीं गर्मी के दिनों में गया शहर के जलस्तर में भी काफी सुधार होने की आस है.
क्या है रबर डैम तकनीक
रबर बांध का निर्माण छोटी नदियों पर किया जाता है. रबर बांध में स्पिल-वे का निर्माण नहीं किया जाता. कंक्रीट की नींव पर एक रबर ब्लाडर ही बांध व स्पिल-वे दोनों का काम करता है. इस ब्लैडर में हवा, पानी या दोनों का मिश्रण भरा जाता है. इस ब्लेडर को एथेलिन प्रोपाइलिन डाइन मोनोमर रबर से बनाया जाता है. ये ब्लैडर बुलेट प्रूफ होता है. इसको जरूरत के मुताबिक बड़ा या छोटा किया जा सकता है. इसी तकनीक के कारण ही रबर बांध में स्पिल-वे की आवश्यकता नहीं होती है.