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गया: मगध मेडिकल कॉलेज की खिड़कियों में शीशा तक नहीं, गर्मी से परेशान हैं मरीज - Summer Weather

गया में स्थित मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल जर्जर स्थिति में है. यहां सर्जिकल वार्ड के खिड़की में शीशा तक नहीं है. गर्मी में मरीज परेशान हैं.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल
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Published : May 3, 2019, 5:32 PM IST

गया: दक्षिण मगध क्षेत्र के सबसे बड़ा मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इस अस्पताल के बहुमंजिला भवन के सर्जिकल वार्ड में खिड़की में शीशा तक नहीं है. इससे भीषण गर्मी में मरीजों के साथ परिजन भी बेहाल हैं.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल प्रशासन हर मौसम में प्लास्टिक के खिड़की को ढ़क देते हैं. लेकिन मरीजों को इस भयंकर गर्मी से थोड़ी भी राहत नहीं मिलती है. मरीजों का गर्मी के मौसम में हाल-बेहाल है.

गर्मी से कोई राहत नहीं
अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों का कहना है कि खिड़की में शीशा नहीं है. प्लास्टिक लगा दिया गया है. इससे बहुत गर्मी लगती है. तीन दिन पहले तो प्लास्टिक भी नहीं था. इससे सीधे गर्म हवाएं आती थी. गर्मी से बचने के लिए बेड से उठ कर इधक-उधर घूमने को मजबूर हो जाते हैं.

मरीज और अस्पताल अधीक्षक का बयान

चुनाव बाद होगा ठीक
वहीं, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक ने बताया सर्जिकल वार्ड सहित कई वार्डो में खिड़की में शीशा टूट गया है. मरीज शिकायत कर रहे थे. वैकल्पिक व्यवस्था तौर पर खिड़की में प्लास्टिक लगाया गया है. एक कंपनी को इसका टेंडर दिया गया है. चुनाव के वजह से कंपनी खिड़की में शीशा नही लगा रहा है. इसे चुनाव बाद ठीक कर दिया जाएगा.

गया: दक्षिण मगध क्षेत्र के सबसे बड़ा मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. इस अस्पताल के बहुमंजिला भवन के सर्जिकल वार्ड में खिड़की में शीशा तक नहीं है. इससे भीषण गर्मी में मरीजों के साथ परिजन भी बेहाल हैं.

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अस्पताल प्रशासन हर मौसम में प्लास्टिक के खिड़की को ढ़क देते हैं. लेकिन मरीजों को इस भयंकर गर्मी से थोड़ी भी राहत नहीं मिलती है. मरीजों का गर्मी के मौसम में हाल-बेहाल है.

गर्मी से कोई राहत नहीं
अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों का कहना है कि खिड़की में शीशा नहीं है. प्लास्टिक लगा दिया गया है. इससे बहुत गर्मी लगती है. तीन दिन पहले तो प्लास्टिक भी नहीं था. इससे सीधे गर्म हवाएं आती थी. गर्मी से बचने के लिए बेड से उठ कर इधक-उधर घूमने को मजबूर हो जाते हैं.

मरीज और अस्पताल अधीक्षक का बयान

चुनाव बाद होगा ठीक
वहीं, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक ने बताया सर्जिकल वार्ड सहित कई वार्डो में खिड़की में शीशा टूट गया है. मरीज शिकायत कर रहे थे. वैकल्पिक व्यवस्था तौर पर खिड़की में प्लास्टिक लगाया गया है. एक कंपनी को इसका टेंडर दिया गया है. चुनाव के वजह से कंपनी खिड़की में शीशा नही लगा रहा है. इसे चुनाव बाद ठीक कर दिया जाएगा.

Intro:BH_GAYA_SUJ
GAYA_MAGADH_MEDICAL_COLLEGE_HOSPITAL_PLASTIC_KE BHORSE_ASPTAAL

दक्षिण मगध क्षेत्र के सबसे बड़ा मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजो के लिए बुनियादी सुविधाओं का पूर्ण अभाव है। मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड के बहुमंजिला भवन के खिड़की में शीशा नही है, इस भीषण गर्मी में मरीज के साथ परिजन भी बेहाल हैं।


Body:मरीजो के साथ सरकार की तंत्र और व्यवस्था कितना संवेदनशील है, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जिकल वार्ड को देखने से पता चलता है। वार्ड के सभी तल्ला के खिड़की का शीशा टूट चुका है। अस्पताल प्रशासन ने हर मौसम में प्लास्टिक के सहारे खिड़की ढ़क देता है। इस भीषण गर्मी में मरीज अस्पताल प्रशासन के इस काम से परेशान हैं। आलम ये है मरीज बेड से उठकर इधर उधर घूमते हैं।

औरंगाबाद से आये मरीज के परिजन ने बताया गर्मी में बुरा हाल है। गर्मी में अस्पताल प्रशासन ने खिड़की में प्लास्टिक लगा दिया है। जिससे बाहर से ना हवा जाती है ना ही अंदर से बाहर हवा जाता है। गर्मी ऐसी सिथति से हमलोग बेहाल हैं। मरीज के साथ परिजन भी बीमार पड़ रहे हैं।

चार दिन से वार्ड भर्ती मरीज ने बताया खिड़की में शीशा नही है प्लास्टिक लगा दिया गया। जिससे बहुत परेशानी हो रहा है। तीन दिन पहले प्लास्टिक नही था तो दिन में लू वाली हवा आती थी। अब प्लास्टिक लगाया गया जिससे दिन रात एक समान गर्मी लगती है। अभी पानी चढ़ रहा है इसलिए बेड पर है नही तो अस्पताल में गर्मी के वजह से इधर उधर घूमते रहते हैं।

अस्पताल प्रशासन खिड़की में शीशा लगाने के बजाए प्लास्टिक लगाकर खुद में वाहवाही दे रहा है। मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक ने बताया सर्जिकल वार्ड सहित कई वार्डो में खिड़की में शीशा टूट गया है। मरीज शिकायत कर रहे थे। वैकल्पिक व्यवस्था तौर पर खिड़की में प्लास्टिक लगाया गया है। एक कंपनी को इसका टेंडर दिया गया है। चुनाव के वजह से कंपनी खिड़की में शीशा नही लगा रहा है।


Conclusion:अधीक्षक आचार संहिता का हवाला दे रहे हैं लेकिन ये समस्या कई सालों से बना हुआ है। जाड़े के मौसम मरीज ठंड से ठिठुरते है गर्मी मे गर्म हवा से बेहाल रहते हैं। अस्पताल प्रशासन प्लास्टिक के सहारे मरीजो के कष्ट पर महरम लगा रही है।
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