गया: बिहार के गया का सरकारी जिला स्कूल पहचान का मोहताज नहीं (Zila School In Gaya) है. इसकी पहचान देशभर में पहले से ही है. बताया जाता है कि यह बिहार का सबसे पहला स्कूल है जहां से निकलकर कई छात्र राजनीति से लेकर वैज्ञानिक बने. इसके साथ ही कई लोगों ने न्यायपालिका के बड़े ओहदे पर जाकर अपनी सेवा देते हुए देश का नाम रोशन किया है. यह ऐतिहासिक विद्यालय कई दिनों से दुर्दशा का दंश झेल रहा है.
गया जिला स्कूल भवन जर्जर: दरअसल यह मामला गया स्थित जिला स्कूल का है. जहां स्थापना काल के बाद से इस स्कूल की गरिमा काफी रही है. इस स्कूल में दाखिले के लिए कभी सिफारिशों का दौर भी चलता था. यहां से पढ़कर निकलने वाले छात्र काफी प्रतिभावान होते थे और हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते थे. हालांकि इस विद्यालय में छात्रों में पढ़ाई का सिलसिला आज भी जारी है. आज भी यहां के छात्रों द्वारा तैयार किए गए दर्जनों प्रोजेक्ट ने राष्ट्रीय स्तर पर इस स्कूल की गरिमा बढ़ाई है. जिससे मालूम होता है कि यहां की शैक्षणिक प्रक्रिया काफी अच्छी है.
बिहार के पहले उपमुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिंह रहे छात्र: जिले के प्लस टू जिला स्कूल के प्रिंसिपल सुनील दत (Sunil Dutt Principal OF Zila School Gaya) ने जानकारी दी है कि इस स्कूल की ऐतिहासिक पहचान रही है. यह विद्यालय उस समय का है. जब बिहार ,उड़ीसा, झारखंड एक साथ थे. उन्होंने बताया कि विद्यालय के प्रतिभाशाली छात्रों ने देश-विदेश में अपना और विद्यालय का नाम रोशन किया है. यहां से पढ़कर निकले छात्र देश, विदेश में उंचे पद कार्यरत भी है. प्रिंसिपल ने बताया कि डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह बिहार के पहले उपमुख्यमंत्री बने. इसके साथ ही हाईकोर्ट जज अश्विनी कुमार ने भी यहीं से पढ़ाई किया है.
हाईकोर्ट जज अश्विनी कुमार भी रहे हैं छात्र : उच्च न्यायालय के जज अश्विनी कुमार ने हाल ही में अपने विद्यालय पहुंचे थे. वे विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आए हुए थे. उन्होंने विद्यालय में फोन कर जानकारी दी और अपने विद्यालय को देखने की इच्छा जताई. इसके बाद वे विद्यालय में पहुंचे और विद्यालय के पूरे हिस्से में घूमकर देखा. उन्होंने यह भी बताया कि वह यहां पढ़ाई के क्रम में किस स्थान पर बैठते थे. वे यहां आने के बाद काफी भावुक होने के साथ अपने इस विद्यालय से जुड़ी यादें बता रहे थे. इनके अलावा और भी दर्जनों छात्र यहां से पढ़ें हैं. जो बड़े पदों तक जाकर इस विद्यालय का नाम रोशन किया है. फिलहाल इस विद्यालय की हालत बहुत ही जर्जर है. विद्यालय की दिवारों में कई जगह दरारें आ चुकी है. दीवारों से प्लास्टर टूटकर गिर रहे हैं. इसके जीर्णोद्धार की जरूरत है. इस मसले पर विद्यालय प्रशासन की ओर से कई बार संबंधित विभाग को लिखा गया है. हालांकि इस मामले पर जितनी भी सरकारें आई है, किसी को इस विद्यालय के जीर्णोद्धार के बारे में नहीं सोचा है.
डर के साए में पढ़ाई करते हैं छात्र: वहीं, विद्यालय के शिक्षक प्रमोद कुमार ने बताया कि विद्यालय में डर के साए में छात्र रहते हैं. इसी भयावह स्थिति में बच्चे पढ़ाई को मजबूर है. बारिश के दिनों में पूरे क्लास में पानी गिरता है. कई कमरे एकदम से जर्जर हालत में हैं. जिससे कभी भी गिरने का भय बना रहता है. उन्होंने बताया कि इसी कारण यहां पर बड़ी प्रतियोगी परीक्षाएं नहीं कराई जाती है. इसके पहले यहां पर बड़ी प्रतियोगी परीक्षाएं कराई जाती थी.
पढ़ने में आती है मुश्किलें: छात्र सचिन कुमार का कहना है कि विद्यालय में सीमेंट झड़कर गिरते हैं. किसी तरह से यहां पर आकर बच्चे पढ़ाई करते हैं. बारिश में दिन में पानी से पूरा क्लास भरा जाता है. यहां की तस्वीर बदलने की जरूरत है. ताकि इस विद्यालय की ऐतिहासिक गरिमा आने वाले दिनों में भी बनी रहे.
"इस स्कूल की ऐतिहासिक पहचान रही है. यह विद्यालय उस समय का है. जब बिहार ,उड़ीसा, झारखंड एक साथ थे. उन्होंने बताया कि विद्यालय के प्रतिभाशाली छात्रों ने देश-विदेश में अपना और विद्यालय का नाम रोशन किया है. यहां से पढ़कर निकले छात्र देश, विदेश में उंचे पद कार्यरत भी है".- सुनील दत्त, प्रिंसिपल, +2 जिला स्कूल गया