गयाः मगध क्षेत्र का सबसे बड़े अस्पताल मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक भी एम्बुलेंस नहीं है. इमरजेंसी और इलाजरत मरीज एम्बुलेंस के लिए दर-दर भटकते दिखते हैं. यहां 26 जून को एक भाई अपनी बहन के शव ले जाने के लिए सात घंटे तक इंतजार करता रहा. लेकिन 102 सेवा का एम्बुलेंस नहीं आया. मजबूरन भाई अपनी बहन के शव को खुद उठाकर ले गया. इस मामले में जिलाधिकारी ने जांच का आदेश दिया है.
अस्पताल ने नहीं दिया ऐंबुलेंस
मगध के पांच जिलों के लाखों नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला अस्पताल बिना एम्बुलेंस का है. एम्बुलेंस के बिना मरीज अपने घर जाने और रेफर मरीज के परिजन दूसरे अस्पताल जाने के लिए भटकते रहते हैं. मजबूरन ये लोग निजी एम्बुलेंस और टेम्पू के मनमाने किराये देकर घर या अस्पताल पहुंच पाता हैं. एम्बुलेंस नहीं होने के कारण ही 26 जून को डुमरिया के पथरा गांव का एक युवक अपनी बहन का शव खुद ले गया, इस मामले को संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने जांच बैठाया है.
ठेले पर पड़ी रही लावारिस लाश
डीएम के संज्ञान लेने के बाद भी अस्पताल प्रशासन थोड़ा भी हरकत में नहीं आया. वजीरगंज से इलाज के लिए आए एक 6 दिन के बच्चे की मौत हो गई. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने एम्बुलेंस नहीं दिया. मजबूरन परिजन बच्चे के शव को जमीन पर रखकर अपने परिचित को बाइक लाने का आग्रह कर रहे थे. इतना ही नहीं इलाज के दौरान एक 35 वर्षीय लावारिस व्यक्ति की मौत हो गई. अस्पताल के कर्मचारियों ने शव को ठेले पर रख दिया. काफी देर के बाद वो शव वहां से हटाया गया.
निलंबित किया गया चालक
अस्पताल अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद ने बताया कि मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल का पास खुद का एम्बुलेंस नहीं है. एम्बुलेंस नहीं रहने से काफी परेशानी होती है. हमलोग और परिजन 102 एम्बुलेंस सेवा का प्रयोग करते हैं. 26 जून के मामला को लेकर जिलाधिकारी ने संज्ञान लिया है. मुझे जांच करने को कहा है. तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच चल रही है. एम्बुलेंस सेवा देने वाले एनजीओ ने एम्बुलेंस के ड्राइवर पर कार्रवाई करते हुए उसे निलंबित कर दिया है.