मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में मछली उत्पादन की बेहतर संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद को तीन साल का प्रोजेक्ट दिया है. जिस प्रोजेक्ट के तहत कोलकाता के बैरकपुर स्थित केंद्रीय अनतर्स्थलीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान को जिले के पांच झीलों में मछली पालकों के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया. साथ ही रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए काम करने की जिम्मेवारी भी मिली.
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कार्यशाला का आयोजन
तीन साल के प्रोजेक्ट के समापन को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में प्रोजेक्ट की सफलता पर सीआईएफआरआई के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. हसन ने खुशी जाहिर की. इसके साथ ही बताया कि एनएफडीबी और मछली पालकों ने अपनी उपलब्धियों को एक-दूसरे से साझा कर कमियों पर चर्चा की है.
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जिले के युवकों में मछली पालन में बढ़ी रुचि
सीआईएफआरआई, बैरकपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक गणेश चंद्र ने बताया कि एनएफडीबी के वित्तीय मदद से मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्य पालकों को तीन साल तक प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने बताया कि जिले के पांच झीलों के लिए सामुदायिक सहभागिता आधारित प्रशिक्षण में मछली उत्पादकों को बीज उपलब्ध कराया गया था. जिससे मछली पालकों का उत्पादन और उनकी आमदनी दोनों में बढ़ोतरी हुई है. जिले के मछली पालकों को आमदनी का एक आधार बनाकर दे दिया गया है. गणेश चंद्र ने बताया कि जिले के बहुत से युवकों ने मछली पालन में रुचि दिखाते हुए प्रशिक्षण भी लिया है.
पांच झीलों का हुआ विकास
एनएफडीबी ने केंद्र सरकार के वित्तीय मदद से जिले के पांच झीलों रुलही, सिरसा, कररिया, मझरिया और कोठिया को चिन्हित कर उसमें मत्स्य पालकों के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन कराया. जिसका परिणाम काफी उत्साहवर्धक रहा. मछली पालकों के उत्पादन और आमदनी दोनों में बढ़ोतरी हुई है. युवकों को रोजगार के नए अवसर मिले. मछली पालकों को वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन की ट्रेनिंग दी गई है. जिससे वह खुद मछली उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.