मोतिहारी: नव वर्ष के आगमन के साथ ही लोग मकर संक्रांति की तैयारियों में जुट जाते हैं. जैसे-जैसे मकर संक्रांति का दिन नजदीक आता है. बाजारों में तिलकुट और लाई की दुकानें सजने लगती है. पूर्वी चंपारण जिले के बाजारों में भी मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट और लाई की दुकानें सज गई है.
मकर संक्रांति को लेकर बाजार में काफी चहल-पहल है. जगह-जगह तिलकुट और लाई की दुकानें लगी हुई है. हालांकि इस साल तिलकुट और लाई की कीमतें पिछले साल की तुलना में कम है. बाजार में तिलकुट दुकानों की संख्या बढ़ने से इनकी कीमतें कम हुई है. वहीं, गया के प्रसिद्ध तिलकुट के नाम पर भी दुकानें सजी हुई है. प्रत्येक साल यहां मकर संक्रांति से दो महीना पहले तिलकुट व्यवसायी गया से आकर दुकान लगाते हैं.
"इस साल तिलकुट के बाजार पर कोरोना का प्रभाव पड़ा है. तिलकुट के सभी वैरायटी के दामों में 20 से 25 रुपये की कमी हुई है. इस साल केवल तिलकुट का लागत मुल्य ही निकल पा रहा है. मुनाफा नहीं के बराबर है. लेकिन गया के प्रसिद्ध तिलकुट का स्वाद सभी तक पहुंचे इसके लिए व्यवसायी कम दामों पर ही तिलकुट की बिक्री कर रहे हैं."-नरेंद्र कुमार, तिलकुट व्यवसायी
मकर संक्रांति के पूर्व से तिलकुट की खरीदारी
बता दें कि इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा. जिसको लेकर लोग विशेष रुप से तैयारी कर रहे हैं. हालांकि लोग मकर संक्रांति के पहले से ही तिलकुट और लाई का आनंद उठाने लगते हैं. इस बार भी लोग तिलकुट और लाई की खरीददारी मकर संक्रांति के पहले से ही करना शुरु कर दिया है.
बाजार में तिलकुट की कीमतें हैं
बहरहाल, बाजार में अलग-अलग कीमतों के कई तरह के तिलकुट हैं. गुड़ के बने तिलकुट की डिमांड ज्यादा है. इसके अलावा खोआ और चीनी के तिलकुट की भी मांग है. बाजार में खोआ गुड़ और खोआ चीनी का तिलकुट 540 रुपये प्रति किलो, तिल पापड़ी के अलावा चीनी और गुड़ का तिलकुट 300 रुपये प्रति किलो, काले और उजले तिल का तिलकुट 250 रुपये प्रति किलो और बादाम की पापड़ी वाला तिलकुट 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. जबकि मुढ़ी का लाई 60 रुपये प्रति किलो और चुड़ा का लाई 80 रुपये प्रति किलो है.