मोतिहारी: कोरोना संक्रमण को लेकर हुए लंबे लॉकडाउन के कारण सभी गतिविधियां प्रभावित हुई. स्कूल कॉलेज तक बंद कर दिए गए. जिस कारण कई बच्चे डिप्रेशन के शिकार होने लगे और बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन की बातें सामने आने लगी.
सौम्या के सपनों को लगे पंख
वहीं मोतिहारी की एक छात्रा सौम्या ने लॉकडाउन की छुट्टियों का सदुपयोग किया और इस लंबी छुट्टी में सौम्या के बचपन के सपनों को पंख लग गए. सौम्या ने मधुबनी पेंटिंग में हाथ आजमाया. सौम्या की मेहनत और लगनशीलता रंग लाई. मधुबनी पेंटिंग के बारीकियों को बिना किसी ट्रेनिंग के उसने ऑनलाइन सीखकर उकेरना शुरु किया और आज उसके हाथों के बने मधुबनी पेंटिंग पर से लोगों की नजरें नहीं हटती है. जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने भी उसके हाथ की कलाकारी को देखकर उसे शुभकामनाएं दी है.
मधुबनी पेंटिंग है हमारी पुरानी संस्कृति
सौम्या बताती है कि मधुबनी पेंटिंग हमारी पुरानी संस्कृति है. जिसे लोग भुलते जा रहे है. उसको उभारने के लिए उसने प्रयास शुरु किया. उसने बताया कि मधुबनी पेंटिंग के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं लिया है. चित्रकला और पेंटिंग की थोड़ी बहुत ट्रेनिंग ली है. लेकिन ऑनलाइन मधुबनी पेंटिंग सीख कर बनाना शुरु किया और मास्क, चादर, शॉल समेत कई चीजों पर मधुबनी पेंटिंग की है.
सौम्या ने किया लॉकडाउन के छुट्टियों का उपयोग
सौम्या के भाई प्रणय ने बताया कि लॉकडाउन की छुट्टियों का उपयोग सौम्या ने अपने सपने को पूरा करने में किया है. मधुबनी पेंटिंग बिहार की पहचान है और सौम्या ने मधुबनी पेंटिंग करना शुरू किया है. जिसमें धीरे-धीरे उसे सफलता मिलती गई.
सौम्या ने मधुबनी पेंटिंग की नहीं ली है ट्रेनिंग
सौम्या के पिता ने बताया कि सौम्या ने मधुबनी पेंटिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. बावजूद इसके उसने अपनी लगनशीलता से मधुबनी पेंटिंग ऑनलाइन सीखा है.