ETV Bharat / state

'यहां ऑनलाइन फूड ऑर्डर कोई नहीं करता साहब, लॉकडाउन ने बनाया दिवालिया' - रेस्टोरेंट, ढाबा और होटल

मेट्रो सिटी में रेस्टोरेंट का बोलबाला रहता है. मानें यहां, होम डिलीवरी से भी अच्छी इनकम होती है. लेकिन छोटे शहरों का क्या? लॉकडाउन के बाद से ऐसे ही छोटे जिलों के रेस्टोरेंट, ढाबा और होटल मालिक आर्थिक तंगी के बुरे दौर से गुजर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार की ताजा खबर
बिहार की ताजा खबर
author img

By

Published : Sep 2, 2020, 7:32 PM IST

पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) : जिले में रेस्टोरेंट व्यवसाय से जुड़े लोग तंगी के बुरे दौर से गुजर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के चलते लागू हुए लॉकडाउन से सभी दिवालिया होने की स्थिति में आ गए है. कुछ लोगों ने तो समय को भांपकर अपना व्यवसाय बदल लिया, जबकि कुछ लोग अभी भी स्थिति सामान्य होने की आशा में किसी तरह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.

कोरोना संक्रमण ने हर तबके के लोगों को प्रभावित किया है. सभी काम धंधों और व्यवसाय में कोरोना का ग्रहण लग गया है. ऐसे में पूर्वी चंपारण जिला के रेस्टोरेंट व्यवसायियों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए अपना दर्द बयां किया है. भाड़ा पर कमरा लेकर कुछ रेस्टोरेंट चलाने वाले व्यवसायियों के सामने बहुत बड़ी दुविधा है. दुकान की बनावट रेस्टोरेंट की तरह है, उसमें दूसरा व्यवसाय कर पाना भी मुश्किल है. ऊपर से रेस्टोरेंट के स्टाफ भी होटल मालिक के भरोसे बैठा है.

ब्रजेश कुमार झा की रिपोर्ट

'दिवालिया होने की कगार पर'
अन्नपूर्णा होटल के मालिक रामेश्वर साह कहते हैं, 'अब दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया हूं. लॉकडाउन के चलते शुरुआत में काफी कच्चा माल बर्बाद हो गया. उसके बाद स्टाफ की पारिवारिक समस्या को भी देखना पड़ रहा है, आत्मा कचोट रही है कि आगे क्या होगा?'

ठंडे पड़े चूल्हे
ठंडे पड़े चूल्हे

स्थिति सामान्य होने का इंतजार
तंदूर होटल के मालिक अशोक कुमार कहते हैं, 'लॉकडाउन के बाद सरकार ने होम डिलेवरी भोजन सप्लाई का निर्देश जारी किया, जो मोतिहारी जैसे छोटे शहर में यह संभव नहीं है.' उन्होंने बताया कि भविष्य में स्थिति समान्य होने के इंतजार में होटल स्टाफ को कर्ज लेकर खिला रहे हैं. अशोक कुमार ने निराशा की स्थिति में कहा कि अब वे विनाश की स्थिति में जा रहे हैं.

धूल फांक रहे बर्तन
धूल फांक रहे बर्तन

रेस्टोरेंट स्टाफ भी परेशान
होटल के कर्मचारी आदित्य को मालिक के खाली में पैसे दे रहे हैं, जो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. लेकिन मजबूरी में और कर भी क्या सकते हैं. उनका हुनर यही है और लॉकडाउन के चलते कोई और काम उन्हें मिल भी नहीं सकता. आदित्य कहते हैं कि उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि करें भी, तो क्या करें.

भगवान भरोसे सबकुछ
भगवान भरोसे सबकुछ

सरकार से अपेक्षा, भगवान का सहारा
मोतिहारी जैसे छोटे शहरों में होम डिलीवरी का स्कोप नहीं हैं, जिस कारण रेस्टोरेंट के चूल्हा ठंडा पड़ चुका हैं. टेबल-कुर्सियां एक जगह समेट कर रख दी गई हैं. होटल के बर्त्तन धूल फांक रहे हैं. रेस्टोरेंट व्यवसायी हर रोज होटल खोलते हैं और पूजा पाठ कर फिर शटर गिरा घर वापस हो जाते हैं. सरकार से खुद के लिए मदद की गुहार लगा रहे रेस्टोरेंट व्यवसायी भगवान से भी यही फरियाद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस महामारी से छुटकारा दिलाएं.

पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) : जिले में रेस्टोरेंट व्यवसाय से जुड़े लोग तंगी के बुरे दौर से गुजर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के चलते लागू हुए लॉकडाउन से सभी दिवालिया होने की स्थिति में आ गए है. कुछ लोगों ने तो समय को भांपकर अपना व्यवसाय बदल लिया, जबकि कुछ लोग अभी भी स्थिति सामान्य होने की आशा में किसी तरह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.

कोरोना संक्रमण ने हर तबके के लोगों को प्रभावित किया है. सभी काम धंधों और व्यवसाय में कोरोना का ग्रहण लग गया है. ऐसे में पूर्वी चंपारण जिला के रेस्टोरेंट व्यवसायियों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए अपना दर्द बयां किया है. भाड़ा पर कमरा लेकर कुछ रेस्टोरेंट चलाने वाले व्यवसायियों के सामने बहुत बड़ी दुविधा है. दुकान की बनावट रेस्टोरेंट की तरह है, उसमें दूसरा व्यवसाय कर पाना भी मुश्किल है. ऊपर से रेस्टोरेंट के स्टाफ भी होटल मालिक के भरोसे बैठा है.

ब्रजेश कुमार झा की रिपोर्ट

'दिवालिया होने की कगार पर'
अन्नपूर्णा होटल के मालिक रामेश्वर साह कहते हैं, 'अब दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया हूं. लॉकडाउन के चलते शुरुआत में काफी कच्चा माल बर्बाद हो गया. उसके बाद स्टाफ की पारिवारिक समस्या को भी देखना पड़ रहा है, आत्मा कचोट रही है कि आगे क्या होगा?'

ठंडे पड़े चूल्हे
ठंडे पड़े चूल्हे

स्थिति सामान्य होने का इंतजार
तंदूर होटल के मालिक अशोक कुमार कहते हैं, 'लॉकडाउन के बाद सरकार ने होम डिलेवरी भोजन सप्लाई का निर्देश जारी किया, जो मोतिहारी जैसे छोटे शहर में यह संभव नहीं है.' उन्होंने बताया कि भविष्य में स्थिति समान्य होने के इंतजार में होटल स्टाफ को कर्ज लेकर खिला रहे हैं. अशोक कुमार ने निराशा की स्थिति में कहा कि अब वे विनाश की स्थिति में जा रहे हैं.

धूल फांक रहे बर्तन
धूल फांक रहे बर्तन

रेस्टोरेंट स्टाफ भी परेशान
होटल के कर्मचारी आदित्य को मालिक के खाली में पैसे दे रहे हैं, जो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. लेकिन मजबूरी में और कर भी क्या सकते हैं. उनका हुनर यही है और लॉकडाउन के चलते कोई और काम उन्हें मिल भी नहीं सकता. आदित्य कहते हैं कि उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि करें भी, तो क्या करें.

भगवान भरोसे सबकुछ
भगवान भरोसे सबकुछ

सरकार से अपेक्षा, भगवान का सहारा
मोतिहारी जैसे छोटे शहरों में होम डिलीवरी का स्कोप नहीं हैं, जिस कारण रेस्टोरेंट के चूल्हा ठंडा पड़ चुका हैं. टेबल-कुर्सियां एक जगह समेट कर रख दी गई हैं. होटल के बर्त्तन धूल फांक रहे हैं. रेस्टोरेंट व्यवसायी हर रोज होटल खोलते हैं और पूजा पाठ कर फिर शटर गिरा घर वापस हो जाते हैं. सरकार से खुद के लिए मदद की गुहार लगा रहे रेस्टोरेंट व्यवसायी भगवान से भी यही फरियाद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द इस महामारी से छुटकारा दिलाएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.