मोतिहारीः पूर्वी चंपारण जिला के ढ़ाका अनुमंडल में जिला प्रशासन ने विवादित क्षेत्र को छोड़कर गुआबारी तटबंध के बाकी हिस्से के मरम्मति और उंचाई बढ़ाने का काम पूरा करा लिया है. मरम्मति कार्य पर नेपाल की आपत्ति के बाद काम बंद कर दिया गया था. लेकिन अब 400 मीटर वाले अपत्ति क्षेत्र को छोड़ कर बाकी हिस्से का काम पूरा हो गया है.
जिला प्रशासन के मुताबिक नेपाल ने लालबकेया नदी के पश्चिमी किनारे पर बने गुआबारी तटबंध के 400 मीटर पर अपनी दावेदारी करते हुए काम रुकवा दिया था. लिहाजा 400 मीटर क्षेत्र में मरम्मति और तटबंध की उंचाई का काम नहीं हो पाया है.
बलुआ गुआबारी गांव के लोग हैं खुश
तटबंध की मरम्मति और उंचाई बढ़ने से बलुआ गुआबारी गांव के लोग खुश हैं. क्योंकि बरसात के समय में लालबकेया और नेपाल के जान नदी का पानी ओवर फ्लो होकर उनके गांव को डूबा देता था. जिसमें कई घर हर साल गिर जाते थे और जान-माल की भी क्षति होती थी.
'अभी भी पूरी तरह नहीं टला है खतरा'
ग्रामीण भिखारी साह बताते हैं कि वे बचपन से इस बांध को देख रहे हैं. लेकिन नेपाल बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है. उन्होंने विवादित क्षेत्र को छोड़कर बाकी हिस्से में कार्य पूरा होने पर कहा कि इसके बावजूद गांव बाढ़ से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हुआ है. क्योंकि नेपाल ने 400 मीटर बांध नहीं बनने दिया है.
'400 मीटर की लंबाई में नेपाल का विरोध'
वहीं, डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि गुआबारी तटबंध के मरम्मति और मजबूति के साथ उसके उंचाई बढ़ाने का कार्य पूरा कर लिया गया है. सिर्फ चार सौ मीटर तटबंध पर कार्य नहीं हो पाया है. जिसका सर्वे होने के बाद बाकी के 400 मीटर क्षेत्र में भी मरम्मति और तटबंध के उंचाई का कार्य किया जाएगा.
तटबंध पर हर साल होता है काम
बरसात के दिनों में लालबकेया नदी के कहर से लोगों को बचाने के लिए नदी के पश्चिमी तटबंध पर भारत सरकार ने बांध बना दिया है. लालबकेया नदी पर बने 4.11 किलोमीटर लंबे बांध के मरम्मति और निर्माण का काम हर साल होता है. लेकिन इस साल कुल तटबंध के 3.1 किलोमीटर से 3.6 किलोमीटर के बांध के मरम्मति और निर्माण पर नेपाल ने अपना विरोध जताया है. लगभग 400 मीटर लम्बे तटबंध को अपनी भूमि बताकर नेपाल ने काम रुकवा दिया है.
4.11 किलोमीटर है बांध की कुल लंबाई
बता दें कि लालबकेया नदी पर बना तटबंध गुआबारी के रेलवे लाईन ऑफिस घाट से बलुआ के सामने तक बना हुआ है. रेलवे लाईन से पिलर संख्या 347 तक बांध की कुल लंबाई 4.11 किलोमीटर है. लेकिन भारत नेपाल सीमा को दर्शाने वाले पीलर संख्या 346 और 347 के बीच 400 मीटर के लंबाई में तटबंध पर नेपाल ने अपना दावा करते हुए काम बाधित कर दिया. लिहाजा, क्षेत्र में तटबंध का काम दोबारा नहीं शुरु हो सका है. जिलाधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, नेपाल में भारत के महावाणिज्य दूतावास और बिहार सरकार को इस संबंध में पहले ही पत्र भेज दिया है.