मोतिहारी: भारत के सबसे बड़े लीची उत्पादक परिक्षेत्र मेहसी में वर्ष 2020 का लीची का फसल चक्र शुरू हो गया है. शाखों में मंजर से दाना निकलना भी शुरू हो गया है. मंजर के साथ ही लीची के डाली पर लाल रंग के कीट का बड़े पैमाने पर आक्रमण देख किसानों के साथ ही व्यापारियों के भी होश उड़ गए हैं. इन कीटों के हमले से इस साल फिर लीची के उत्पादन पर प्रभाव पड़ने की संभावना है.
फरवरी महीने से कीट का प्रभाव
इस वर्ष फरवरी महीना से ही लीची के मंजर पर कीटों का हमला शुरू हो गया था. लाल रंग के कीट ने अभी तक लीची फलने वाले करीब 30 प्रतिशत डंठलों को चट कर दिया है. लेकिन कृषि विभाग अथवा लीची अनुसंधान केंद्र ने बगीचों में लाल रंग के कीट से बचाव के लिए अब तक कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है. जिस कारण लीची उत्पादन करने वाले किसानों के अलावा लीची के बगीचे को खरीदने वाले व्यापारी भी परेशान हैं.
100 करोड़ का होता है कारोबार
बतादें कि मेहसी परिक्षेत्र में करीब साढ़े ग्यारह हजार हेक्टर में लीची का बागान है. यहां के बगीचे से उत्पादित लीची का लगभग 100 करोड़ का कारोबार होता है. लेकिन लीची के फल के दाना पर लाल रंग के कीट के प्रकोप से लीची के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता दिख रहा है.