ETV Bharat / state

हाल है बेहाल: खंडहर में तब्दील हुआ सीतामढ़ी का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 5 साल से है बंद

बिहार के सीतामढ़ी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health Center in Sitamarhi) की जर्जर हालत सामने आ गई है. ग्रामिणों को इलाज कराने के लिए 7 किलोमीटर दूर शहर जाना होता है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

सीतामढ़ी का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
सीतामढ़ी का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
author img

By

Published : Oct 6, 2022, 6:03 AM IST

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी में स्वास्थ्य व्यवस्था (Healthcare system in Sitamarhi) पूरी तरह चरमरा गई है, जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर बिहार सरकार ने एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया था जो तकरीबन 5 सालों से बंद पड़ा है और खंडहर में तब्दील हो गया है हालांकि इस को लेकर ग्रामीणों ने कई बार जिले के आला अधिकारियों से शिकायत की, इसके बावजूद भी यह अब तक चालू नहीं हो सका है.


पढ़ें-मसौढ़ी: खंडहर में तब्दील हो रहा है पशु अस्पताल, यहां ढाई साल से मवेशियों का इलाज है बंद


स्वास्थ्य कर्मी है नदारद: जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर भासर गांव में बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. हालांकि इसमें डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी पदस्थापित है, इसके बावजूद कोई स्वास्थ्य कर्मी इलाज करने के लिए स्वास्थ्य केंद्र में नजर नहीं आता है. स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो गया है, इस बाबत जब सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाया साथ ही कोई भी डॉक्टर इस पर बयान देने को तैयार नहीं है.

गांव में रहते हैं दो विधायक: स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में दो-दो विधायक रहने के बावजूद गांव के लोगों को इलाज के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हालांकि इसको लेकर भाजपा के विधायक मिथिलेश कुमार ने भी कई दफे सिविल सर्जन से बात की है. इसके बावजूद यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चालू नहीं हो पाया. इस बारे में जब भाजपा विधायक से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने भी इस मामले में बात करने से इनकार कर दिया.

शहर में जाकर होता है इलाज: ग्रामीणों का कहना है कि देर रात अगर कोई बड़ी समस्या हो जाए तो गांव के लोगों को 7 किलोमीटर शहर में जाकर इलाज करवाना पड़ता है. वहीं खंडहर में तब्दील अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकारी कागजात बिखरे पड़े हैं. डॉक्टरों का आला भी अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. वहीं जिले के कई अस्पताल अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग जस का तस है.

"दो-दो विधायक रहने के बावजूद गांव का अस्पताल जस का तस है, लोगों को इलाज कराने के लिए सीतामढ़ी और डुमरा जाना पड़ता है. निजी जमीन में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था, जिसको लेकर न्यायालय में मामला चल रहा है. कोई स्वास्थ्य कर्मी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए नहीं आता है, जिसकी वजह से अस्पताल खंडहर में तब्दील हो गया है." -बरहम देव ठाकुर, ग्रामीण


पढ़ें-मुजफ्फरपुर: स्वास्थ्य केंद्र बना गाय और भैंस का खटाल, इलाके के लोग इलाज के लिए परेशान

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी में स्वास्थ्य व्यवस्था (Healthcare system in Sitamarhi) पूरी तरह चरमरा गई है, जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर बिहार सरकार ने एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया था जो तकरीबन 5 सालों से बंद पड़ा है और खंडहर में तब्दील हो गया है हालांकि इस को लेकर ग्रामीणों ने कई बार जिले के आला अधिकारियों से शिकायत की, इसके बावजूद भी यह अब तक चालू नहीं हो सका है.


पढ़ें-मसौढ़ी: खंडहर में तब्दील हो रहा है पशु अस्पताल, यहां ढाई साल से मवेशियों का इलाज है बंद


स्वास्थ्य कर्मी है नदारद: जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर भासर गांव में बना अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. हालांकि इसमें डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी पदस्थापित है, इसके बावजूद कोई स्वास्थ्य कर्मी इलाज करने के लिए स्वास्थ्य केंद्र में नजर नहीं आता है. स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो गया है, इस बाबत जब सिविल सर्जन से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाया साथ ही कोई भी डॉक्टर इस पर बयान देने को तैयार नहीं है.

गांव में रहते हैं दो विधायक: स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में दो-दो विधायक रहने के बावजूद गांव के लोगों को इलाज के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हालांकि इसको लेकर भाजपा के विधायक मिथिलेश कुमार ने भी कई दफे सिविल सर्जन से बात की है. इसके बावजूद यह अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चालू नहीं हो पाया. इस बारे में जब भाजपा विधायक से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने भी इस मामले में बात करने से इनकार कर दिया.

शहर में जाकर होता है इलाज: ग्रामीणों का कहना है कि देर रात अगर कोई बड़ी समस्या हो जाए तो गांव के लोगों को 7 किलोमीटर शहर में जाकर इलाज करवाना पड़ता है. वहीं खंडहर में तब्दील अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सरकारी कागजात बिखरे पड़े हैं. डॉक्टरों का आला भी अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. वहीं जिले के कई अस्पताल अपनी बदहाली का रोना रो रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग जस का तस है.

"दो-दो विधायक रहने के बावजूद गांव का अस्पताल जस का तस है, लोगों को इलाज कराने के लिए सीतामढ़ी और डुमरा जाना पड़ता है. निजी जमीन में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कराया गया था, जिसको लेकर न्यायालय में मामला चल रहा है. कोई स्वास्थ्य कर्मी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए नहीं आता है, जिसकी वजह से अस्पताल खंडहर में तब्दील हो गया है." -बरहम देव ठाकुर, ग्रामीण


पढ़ें-मुजफ्फरपुर: स्वास्थ्य केंद्र बना गाय और भैंस का खटाल, इलाके के लोग इलाज के लिए परेशान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.