मोतिहारीः दीपावली के मौके पर दूसरों के घर को रौशन करने वालों की बदहाली से अंजान लोग चाईनीज समानों को खरीदने में व्यस्त है. लेकिन दिन रात की कड़ी मेहनत से कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उनके बनाये दीपक अब बाजारों में चाईनीज समानों के सामने टिक नहीं रहे हैं. दीया और अन्य मिट्टी के सामान की बिक्री कम हो जाने से उनको अपनी लागत निकालना मुश्किल हो गया है.
कुम्हारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं
महंगे हो चुके मिट्टी और जलावन ने कुम्हारों के सामने सबसे बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. महंगे मिट्टी और जलावन के कारण मिट्टी के दीपक और अन्य सामानों पर लागत ज्यादा आ रही है. बाजार में मिल रहे चाईनीज दीपक और इलेक्ट्रिक समानों के सामने लोग मिट्टी के दीपक को तरजीह नहीं दे रहे हैं. वहीं कुम्हारों को अपना खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है. जिस कारण कुम्हार अपने आने वाले पीढ़ी को इस धंधे से दूर रख रहे है.
मिट्टी के बर्त्तन वातावरण को बचाने में करेंगे सहयोग
अपने जीवन को मिट्टी के पुस्तैनी काम के हवाले कर चुके कुम्हार सरकार से आग्रह कर रहे है कि उनके इस धंधे को बचाए रखने का उपाय करें, क्योंकि मिट्टी के बर्त्तन और अन्य सामान वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सहयोग करेंगे.