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मोतिहारीः दूसरों के घरों को रोशन करने वाले कुम्हारों का पुस्तैनी धंधा से हो रहा है मोहभंग - कुम्हारों का पुस्तैनी धंधा से हो रहा है, मोहभंग

अपने जीवन को मिट्टी के पुस्तैनी काम के हवाले कर चुके कुम्हार सरकार से आग्रह कर रहे है कि उनके इस धंधे को बचाए रखने का उपाय करें, क्योंकि मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सहयोग करेंगे.

पुस्तैनी धंधा से हो रहा है, मोहभंग
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Published : Oct 25, 2019, 9:32 AM IST

Updated : Oct 25, 2019, 9:52 AM IST

मोतिहारीः दीपावली के मौके पर दूसरों के घर को रौशन करने वालों की बदहाली से अंजान लोग चाईनीज समानों को खरीदने में व्यस्त है. लेकिन दिन रात की कड़ी मेहनत से कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उनके बनाये दीपक अब बाजारों में चाईनीज समानों के सामने टिक नहीं रहे हैं. दीया और अन्य मिट्टी के सामान की बिक्री कम हो जाने से उनको अपनी लागत निकालना मुश्किल हो गया है.

कुम्हारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं
महंगे हो चुके मिट्टी और जलावन ने कुम्हारों के सामने सबसे बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. महंगे मिट्टी और जलावन के कारण मिट्टी के दीपक और अन्य सामानों पर लागत ज्यादा आ रही है. बाजार में मिल रहे चाईनीज दीपक और इलेक्ट्रिक समानों के सामने लोग मिट्टी के दीपक को तरजीह नहीं दे रहे हैं. वहीं कुम्हारों को अपना खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है. जिस कारण कुम्हार अपने आने वाले पीढ़ी को इस धंधे से दूर रख रहे है.

देखें रिपोर्ट.

मिट्टी के बर्त्तन वातावरण को बचाने में करेंगे सहयोग
अपने जीवन को मिट्टी के पुस्तैनी काम के हवाले कर चुके कुम्हार सरकार से आग्रह कर रहे है कि उनके इस धंधे को बचाए रखने का उपाय करें, क्योंकि मिट्टी के बर्त्तन और अन्य सामान वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सहयोग करेंगे.

मोतिहारीः दीपावली के मौके पर दूसरों के घर को रौशन करने वालों की बदहाली से अंजान लोग चाईनीज समानों को खरीदने में व्यस्त है. लेकिन दिन रात की कड़ी मेहनत से कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उनके बनाये दीपक अब बाजारों में चाईनीज समानों के सामने टिक नहीं रहे हैं. दीया और अन्य मिट्टी के सामान की बिक्री कम हो जाने से उनको अपनी लागत निकालना मुश्किल हो गया है.

कुम्हारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं
महंगे हो चुके मिट्टी और जलावन ने कुम्हारों के सामने सबसे बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. महंगे मिट्टी और जलावन के कारण मिट्टी के दीपक और अन्य सामानों पर लागत ज्यादा आ रही है. बाजार में मिल रहे चाईनीज दीपक और इलेक्ट्रिक समानों के सामने लोग मिट्टी के दीपक को तरजीह नहीं दे रहे हैं. वहीं कुम्हारों को अपना खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है. जिस कारण कुम्हार अपने आने वाले पीढ़ी को इस धंधे से दूर रख रहे है.

देखें रिपोर्ट.

मिट्टी के बर्त्तन वातावरण को बचाने में करेंगे सहयोग
अपने जीवन को मिट्टी के पुस्तैनी काम के हवाले कर चुके कुम्हार सरकार से आग्रह कर रहे है कि उनके इस धंधे को बचाए रखने का उपाय करें, क्योंकि मिट्टी के बर्त्तन और अन्य सामान वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में सहयोग करेंगे.

Intro:मोतिहारी।दीपावली के मौके पर दुसरों के घर को रौशन करने वालों की बदहाली से अंजान लोग चाईनीज समानों को खरीदने में व्यस्त हैं।लेकिन दिन रात की कड़ी मेहनत से कच्ची मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।उनके बनाये दीपक अब बाजारों में चाईनीज समानों के सामने टिक नहीं रहे है।दीया और अन्य मिट्टी के सामान की बिक्री कम हो जाने से उनको अपना लागत निकालना मुश्किल हो गया है।लिहाजा,कुम्हारों का अपने पुस्तैनी धंधा से मोह भंग हो गया है।
बाईट....महेंद्र पंडित.....कुम्हार...(गंजी पहने)


Body:वीओ....1....महंगे हो चुके मिट्टी और जलावन ने कुम्हारों के सामने सबसे बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।महंगे मिट्टी और जलावन के कारण मिट्टी के दीपक और अन्य सामानों पर लागत ज्यादा आ रही हैं।बाजार में मिल रहे चाईनीज दीपक और इलेक्ट्रिक समानों के सामने लोग मिट्टी के दीपक को तरजीह नहीं दे रहे हैं।लिहाजा,कुम्हारों को अपना खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है।जिस कारण कुम्हार अपने आने वाले पीढ़ी को इस धंधे से दूर रख रहे हैं।
बाईट....राजेंद्र पंडित ........कुम्हार.....(लाल जर्सी)


Conclusion:वीओ....2....अपने जीवन को मिट्टी के पुस्तैनी काम के हवाले कर चुके कुम्हार सरकार से आग्रह कर रहे है कि उनके इस धंधे को बचाए रखने का उपाय करें।क्योंकि मिट्टी के बर्त्तन और अन्य सामान वातावरण को प्रदुषित होने से बचाने में सहयोग करेंगे।
बाईट.....गोपाल पंडित...कुम्हार
वीओएफ....बहरहाल,सरकार एक तरफ ईको फ्रेंडली सामानों की बिक्री और उसके उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है।वहीं दूसरी और मिट्टी को आकार देकर ईको फ्रेंडली सामान बनाने वाले कुम्हारों की जिंदगी बदहाली के अंधेरे खाई में समाती जा रही है।ऐसे में जरुरत है इन कुम्हारों के हुनर को सम्मान देने की।ताकि इनके घर भी रौशन हो सके और प्लास्टिक से प्रदुषित हो रहे वातावरण को भी बचाया जा सके।
Last Updated : Oct 25, 2019, 9:52 AM IST
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