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मोतिहारी जिला प्रशासन का कारनामा: थाने में गाड़ी ही नहीं और हो गई नीलामी, अब दर-दर भटक रहा खरीदार

मोतिहारी में जिला प्रशासन की लापरवाही (Negligence of District Administration in Motihari) सामने आई है. जहां, मद्य निषेध अधिनियम के तहत पकड़े गए एक वाहन को विभाग ने नीलाम कर दिया. लेकिन, वाहन का कोई ट्रेस ही नहीं है. गाड़ी खरीदने वाला शख्स अब गाड़ी के लिए इधर से उधर अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रहा है.

बोलेरो की हो गई निलामी और थाना से गाड़ी है लापता
बोलेरो की हो गई निलामी और थाना से गाड़ी है लापता
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Published : Feb 9, 2022, 11:09 PM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन का कारनामा आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है. मद्य निषेध अधिनियम (Prohibition Act) के तहत पकड़े गए एक ऐसे वाहन को विभाग ने नीलाम कर दिया जिस वाहन का कोई ट्रेस ही नहीं (Auctioned Car was not Found in Motihari) है. जिला प्रशासन के सार्वजनिक नीलामी प्रक्रिया में एक लाख की सबसे उंची बोली लगाने वाला शख्स गाड़ी को लेने जब संबंधित थाना पहुंचा तो थाना से गाड़ी गायब मिला. नीलामी प्रक्रिया से गाड़ी खरीदने वाला शख्स अब गाड़ी के लिए इस कार्यालय से उस कार्यालय दौड़ लगा रहा है.

ये भी पढ़ें- VIDEO: पूजा के नाम पर अय्याशी.. स्टेज पर पैग बना खुलेआम छलकाया जाम.. बार-बालाओं के ठुमके पर रातभर हिलते रहे

जिला प्रशासन ने जिस गाड़ी की नीलामी की है. उस गाड़ी के मालिक ने अपने वाहन को चार साल पहले ही कोर्ट से रिलीज करा लिया है. मिली जानकारी के अनुसार, जिला के मद्य निषेध विभाग और परिवहन विभाग के अधिकारियों के लापरवाही का खामियाजा डुमरियाघाट थाना क्षेत्र स्थित रामपुर खजुरिया गिरि टोला के रहने वाले अनुज कुमार गिरी को भुगतना पड़ रहा है. आश्चर्य इस बात की है कि गाड़ी का भौतिक सत्यापन किए बिना हीं एमवीआई ने एक बोलेरो का मूल्यांकन कर दिया. उसके बाद, मद्य निषेध विभाग ने सार्वजनिक विज्ञापन निकालकर बोलेरो को एक लाख में नीलाम कर दिया.

सबसे उंची बोली लगाकर अजय कुमार गिरी ने गाड़ी ले ली. सरकारी कोष में एक लाख 25 हजार रुपया जमा करने के बाद सर्टिफिकेट लेकर अजय गिरी जब डुमरियाघाट थाना पहुंचे तब थानेदार ने थाना में गाड़ी होने से इंकार कर दिया. अजय गिरी पिछले दो माह से विभिन्न कार्यालयों और थाना का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं. सभी संबंधित अधिकारियों को गाड़ी मुक्त करने का आवेदन दिया है. अजय कुमार गिरी ने बताया कि 23 दिसंबर को मद्य निषेध विभाग के जिला कार्यालय में आयोजित गाड़ियों के ऑक्शन में शामिल होकर डुमरियाघाट थाना कांड संख्या- 86/17 में जब्त एक बोलेरो संख्या- बीआर06पी 7989 की उच्चतम बोली लगा उस गाड़ी का अधिकार पत्र अपने नाम किया है.

उसने ऑक्शन में बोली गयी उच्चतम नीलामी राशि एक लाख रुपया 25 दिसंबर को विभागीय कार्यालय में जमा करा दिया है. साथ ही विभाग से बोलेरो गाड़ी को थाना से विमुक्त कराने के लिए प्रमाण पत्र ले लिया. इधर गाड़ी को विमुक्त कराने जब वह डुमरियाघाट थाना पहुंचा तो थानेदार ने बताया कि उक्त गाड़ी थाने में ही नही है. थानाध्यक्ष ने बताया कि बोलेरो संख्या- बी आर 06 पी 7989 उच्चतम न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2017 में ही मुक्त हो गया है. अब सवाल उठता है कि, जब गाड़ी 2017 में मुक्त हो चुका है तो उस गाड़ी का भौतिक सत्यापन कर उसका मूल्यांकन एमवीआई ने कैसे कर दिया और उस गाड़ी की नीलामी कैसे हो गई. इस सवाल का जबाब देने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा है.

ये भी पढ़ें- मोतिहारी में हुआ भीषण सड़क हादसा: एक चिकित्सक की मौत, 5 जख्मी

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जिला प्रशासन ने जिस गाड़ी की नीलामी की है. उस गाड़ी के मालिक ने अपने वाहन को चार साल पहले ही कोर्ट से रिलीज करा लिया है. मिली जानकारी के अनुसार, जिला के मद्य निषेध विभाग और परिवहन विभाग के अधिकारियों के लापरवाही का खामियाजा डुमरियाघाट थाना क्षेत्र स्थित रामपुर खजुरिया गिरि टोला के रहने वाले अनुज कुमार गिरी को भुगतना पड़ रहा है. आश्चर्य इस बात की है कि गाड़ी का भौतिक सत्यापन किए बिना हीं एमवीआई ने एक बोलेरो का मूल्यांकन कर दिया. उसके बाद, मद्य निषेध विभाग ने सार्वजनिक विज्ञापन निकालकर बोलेरो को एक लाख में नीलाम कर दिया.

सबसे उंची बोली लगाकर अजय कुमार गिरी ने गाड़ी ले ली. सरकारी कोष में एक लाख 25 हजार रुपया जमा करने के बाद सर्टिफिकेट लेकर अजय गिरी जब डुमरियाघाट थाना पहुंचे तब थानेदार ने थाना में गाड़ी होने से इंकार कर दिया. अजय गिरी पिछले दो माह से विभिन्न कार्यालयों और थाना का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके हैं. सभी संबंधित अधिकारियों को गाड़ी मुक्त करने का आवेदन दिया है. अजय कुमार गिरी ने बताया कि 23 दिसंबर को मद्य निषेध विभाग के जिला कार्यालय में आयोजित गाड़ियों के ऑक्शन में शामिल होकर डुमरियाघाट थाना कांड संख्या- 86/17 में जब्त एक बोलेरो संख्या- बीआर06पी 7989 की उच्चतम बोली लगा उस गाड़ी का अधिकार पत्र अपने नाम किया है.

उसने ऑक्शन में बोली गयी उच्चतम नीलामी राशि एक लाख रुपया 25 दिसंबर को विभागीय कार्यालय में जमा करा दिया है. साथ ही विभाग से बोलेरो गाड़ी को थाना से विमुक्त कराने के लिए प्रमाण पत्र ले लिया. इधर गाड़ी को विमुक्त कराने जब वह डुमरियाघाट थाना पहुंचा तो थानेदार ने बताया कि उक्त गाड़ी थाने में ही नही है. थानाध्यक्ष ने बताया कि बोलेरो संख्या- बी आर 06 पी 7989 उच्चतम न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2017 में ही मुक्त हो गया है. अब सवाल उठता है कि, जब गाड़ी 2017 में मुक्त हो चुका है तो उस गाड़ी का भौतिक सत्यापन कर उसका मूल्यांकन एमवीआई ने कैसे कर दिया और उस गाड़ी की नीलामी कैसे हो गई. इस सवाल का जबाब देने के लिए कोई सामने नहीं आ रहा है.

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