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मोतिहारी : NCDHR की रिपोर्ट "बिहार में SC/ST एक्ट के 99.2% मामले कोर्ट में लंबित" - motihari local news

राज्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान जहां दलितों और आदिवासियों के विरुद्ध अत्याचार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. वहीं दलितों और आदिवासियों के विरुद्ध हुए अत्याचार के मामले काफी संख्या में लंबित हैं. जिस संबंध में एनसीडीएचआर ने एक पुस्तक प्रकाशित की है.

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क्वेस्ट फॉर जस्टिस नाम से हुआ पुस्तक प्रकाशित
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Published : Dec 28, 2020, 2:32 PM IST

मोतिहारी: राज्य में एससी/एसटी एक्ट के पिछले 10 वर्षों के कार्यान्वयन की रिपोर्ट राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान ने प्रकाशित किया है. एनसीडीएचआर की रिपोर्ट को "क्वेस्ट फॉर जस्टिस" नाम से एक पुस्तक के रुप में प्रकाशित की है. जिसमें बताया गया है कि राज्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान जहां दलितों और आदिवासियों के विरुद्ध अत्याचार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, वहीं दलितों और आदिवासियों के विरुद्ध हुए अत्याचार के मामले काफी संख्या में लंबित हैं.

"क्वेस्ट फॉर जस्टिस नाम से हुआ पुस्तक प्रकाशित"
अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार अधिनियम के मामले से संबंधित पुस्तक "क्वेस्ट फॉर जस्टिस" को एनसीडीएचआर ने मोतिहारी स्थित अंबेदकर भवन में जारी किया गया. पुस्तक जारी करने के मौके पर पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्यनारायण राम ने बताया कि "क्वेस्ट फॉर जस्टिस" किताब में एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचार के मामले को संग्रहित किया गया है. उन्होंने बताया कि राज्य में जहां एससी/एसटी पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं. वहीं एससी/एसटी के मामले में कन्विक्शन रेट काफी कम है. पूर्व जज सत्यनारायण राम ने एससी/एसटी मामले में दलित और आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए स्पीडी ट्रायल कराने की मांग सरकार से की है.

"कोर्ट में लंबित एससी/एसटी के काफी मामले"
प्रकाशित पुस्तक के अनुसार राज्य में पिछले 10 बर्षों के दौरान दलितों के विरुद्ध अत्याचार में औसतन 25.2% और आदिवासियों के मामले में 20.3% की बढ़ोतरी हुई है. जबकि दलितों के विरुद्ध अत्याचार के 99.2% और आदिवासी अत्याचार के 97.8% प्रतिशत मामले कोर्ट में लंबित है.

मोतिहारी: राज्य में एससी/एसटी एक्ट के पिछले 10 वर्षों के कार्यान्वयन की रिपोर्ट राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान ने प्रकाशित किया है. एनसीडीएचआर की रिपोर्ट को "क्वेस्ट फॉर जस्टिस" नाम से एक पुस्तक के रुप में प्रकाशित की है. जिसमें बताया गया है कि राज्य में पिछले 10 वर्षों के दौरान जहां दलितों और आदिवासियों के विरुद्ध अत्याचार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, वहीं दलितों और आदिवासियों के विरुद्ध हुए अत्याचार के मामले काफी संख्या में लंबित हैं.

"क्वेस्ट फॉर जस्टिस नाम से हुआ पुस्तक प्रकाशित"
अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार अधिनियम के मामले से संबंधित पुस्तक "क्वेस्ट फॉर जस्टिस" को एनसीडीएचआर ने मोतिहारी स्थित अंबेदकर भवन में जारी किया गया. पुस्तक जारी करने के मौके पर पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्यनारायण राम ने बताया कि "क्वेस्ट फॉर जस्टिस" किताब में एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचार के मामले को संग्रहित किया गया है. उन्होंने बताया कि राज्य में जहां एससी/एसटी पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं. वहीं एससी/एसटी के मामले में कन्विक्शन रेट काफी कम है. पूर्व जज सत्यनारायण राम ने एससी/एसटी मामले में दलित और आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए स्पीडी ट्रायल कराने की मांग सरकार से की है.

"कोर्ट में लंबित एससी/एसटी के काफी मामले"
प्रकाशित पुस्तक के अनुसार राज्य में पिछले 10 बर्षों के दौरान दलितों के विरुद्ध अत्याचार में औसतन 25.2% और आदिवासियों के मामले में 20.3% की बढ़ोतरी हुई है. जबकि दलितों के विरुद्ध अत्याचार के 99.2% और आदिवासी अत्याचार के 97.8% प्रतिशत मामले कोर्ट में लंबित है.

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