मोतिहारी: मॉनसून की बारिश ( Rain in Bihar ) के कारण मोतिहारी ( Motihari ) शहर डूब गया है. शहरवासी जलजमाव से त्रस्त हैं. नगर निगम की उदासीनता को देखते हुए शहर के लोग परेशान और आक्रोशित हैं. इधर, नगर निगम के मेयर की कुर्सी को लेकर जारी खींचातान में निगम के अधिकारी और पार्षद व्यस्त हैं.
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शहर की सभी नालियां जाम है और सड़कों पर लगभग तीन से चार फीट पानी बह रहा है. शहरी क्षेत्र के मोहल्लों के लोगों के घरों में पानी प्रवेश कर चुका है. घरों से पानी निकालने के लिए लोग खुद के खर्चे से पंपसेट का उपयोग कर रहे हैं. शहर का शायद हीं कोई मोहल्ला होगा, जहां के लोग सुकून की जिंदगी जी रहे हों.
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समाहरणालय के पास कचहरी चौक के जाम नाले से पानी निकालने के लिए सड़क को तोड़ना पड़ा है. शहर के लोगों का कहना है कि नाला के उड़ाही के काम में लगी एजेंसी को हर माह निगम पेमेंट करती है, लेकिन नाला का उड़ाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होता है. यही कारण है कि हल्की बारिश में भी शहर डूब जाता है.
पानी-पानी हो चुके शहर के लिए अतिवृष्टि को कारण बताते हुए नगर निगम के आयुक्त सुनील कुमार ने पल्ला झाड़ने की कोशिश की. कचहरी चौक पर सड़क तोड़कर कराए गए जलनिकासी के कार्य को नगर आयुक्त अपनी उपलब्धि बता रहे हैं, लेकिन बारिश के पानी में डूबे पूरे शहर से जल निकासी को लेकर नगर आयुक्त जवाब नहीं दे पाए.
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"जलजमाव से शहर के लोग परेशान हैं. लेकिन नगर आयुक्त को इससे कोई मतलब नहीं है. मेयर के अनुसार शहर के नाला उड़ाही के लिए एजेंसी को प्रति महीना 30 लाख रुपया दिया जाता है. शहर में जलजमाव के लिए नगर आयुक्त दोषी हैं."- अंजू देवी, मेयर
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बता दें कि शहर के नालियों की सफाई प्राईवेट एजेंसी के जिम्मे है. नालियों की सफाई के लिए प्राईवेट एजेंसी को नगर निगम हर महीना 30 लाख रुपये पेमेंट करती है. लेकिन पिछले दो वर्षों से शहर की नालियों की उड़ाही नहीं हुई है. यही वजह है कि सभी छोटी नालियों से लेकर बड़े नाले तक सब जाम हैं.
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शहरवासियों की नींद तब उड़ जाती है, जब शहर में थोड़ी देर भी बारिश हो जाए. इलाके जलमग्न हो जाते हैं. नालियों का पानी सड़कों पर आ जाता है, जिससे होकर लोग आने-जाने को मजबूर होते हैं. लेकिन शहरवासियों की नर्क हुई जिंदगी से निगम के अधिकारी और पार्षदों को कोई लेना देना नहीं है. सभी अपनी-अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं.