मोतिहारी: अपने स्थापना काल से ही चर्चाओं में रहा मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi Central University) एक बार फिर सुर्खियों में है. सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में पिछले एक साल में 16 नए केंद्रों की शुरुआत (MGCUB Opened Sixteen Centers) कर दी गई. विश्वविद्यालय में स्थापित 16 केंद्रों में से 14 केंद्रों के स्थापना की मंजूरी एकेडमिक कौंसिल अथवा एक्जीक्यूटिव कौंसिल से नहीं ली गई है. क्योंकि विगत 12 सितंबर 2020 के बाद से एक्जीक्यूटिव कौंसिल की बैठक हीं नहीं हुई है, इसके बगैर अनुमोदन के 14 केंद्रों की स्थापना कर दी गई है.
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इस मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि नए केंद्र और उनके कार्यालयों के बोर्ड गोदाम से लेकर किचन और छोटे-छोटे कमरों में लगा दिए गए हैं. जहां संसाधन के नाम पर कुछ भी नहीं है. विश्वविद्यालय में खोले गए सिर्फ विज्ञान, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी स्कूल के तहत साइबर सुरक्षा केंद्र और बीआर अंबेडकर शोध केंद्र को ही वैधानिक निकाय से मंजूरी मिली हुई है.
साइबर सिक्योरिटी, गांधी, अंबेडकर, योगा और कौशल विकास समेत 16 पाठ्यक्रमों के केंद्र स्थापित किए गए है. इनमें से पांच नए केंद्र का उद्घाटन विगत 26 अक्टूबर को वीसी संजीव शर्मा ने किया था. जिसमें पंडित मदन मोहन मालवीय वाणिज्य एवं प्रबंध विज्ञान संकाय के अंतर्गत एम विश्वेश्वरैया उद्यमिता एवं कौशल विकास केन्द्र, मानविकी और भाषा संकाय से संबद्ध काशी प्रसाद जायसवाल हिन्दू अध्ययन केंद्र , शिक्षा संकाय से संबद्ध- छत्रपति शिवाजी लोक नीति शिक्षा केन्द्र, भौतिकी विज्ञान स्कूल के अन्तर्गत- महर्षि कणाद अन्तः अनुशासनात्मक शोध केन्द्र और सामाजिक विज्ञान संकाय के अंतर्गत- डॉ बीआर अम्बेडकर शोध केन्द्र शामिल है.
इन केंद्रों को ढूंढने पर केवल छोटा कमरा और उसके उपर लगा बोर्ड मिलेगा. जिसमें फर्निचर भी नहीं है. एक फैकेल्टी रसोई घर में खोल दिया गया है जबकि दूसरा फैकेल्टी स्टोर रुम में खोला गया है. वहीं कुछ ऐसे फैकेल्टिज हैं, जिन्हें ढूंढने पर उसका एक अदद बोर्ड मिलना भी मुश्किल है. जबकि एमजीसीयूबी के ऑफिशियल बेवसाइट पर इन केंद्रों के बारे में जानकारी उपलब्ध है.
विगत 12 दिसंबर 2020 को संगणकीय विज्ञान, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी स्कूल के तहत साइबर सुरक्षा केंद्र की स्थापना हुई. उसके बाद इस साल 2021 के जनवरी, फरवरी और अक्टूबर में कुल 15 केंद्रों का उद्घाटन हुआ. जिन केंद्रों में से केवल दो केंद्र को ही मान्यता मिली हुई है. बनकट स्थित विश्वविद्यालय के बगल में एक गोदाम को चार लाख रुपये प्रति महीना के भाड़ा पर लेकर कई केंद्र खोले गए हैं.
इस संबंध में MGCUB के चांसलर प्रो. महेश शर्मा ने बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक्ट का उलंघ्न हो रहा है. उन्होंने बताया कि एक चांसलर होने के नाते मैंने राष्ट्रपति को इन सारी बातों से अवगत करा दिया है. राष्ट्रपति के पास से इस मामले को एचआरडी भेज दिया गया है. प्रो. महेश शर्मा ने बताया कि यूनिवर्सिटी कोर्ट जब बैठेगी, तब मामले में सुनवाई की जाएगी. उचित समय पर सारी स्थितियां सुधरेगी और राष्ट्रपति के कार्रवाई का इंतजार है.
कुलपति संजीव शर्मा ने पिछले एक साल में विभिन्न तिथियों को कुल 16 केंद्रों का उद्घाटन किया. वहीं सभी केंद्रों के लिए समन्वयक भी नामित कर दिए गए हैं. लेकिन इन केंद्रों के समन्वयक इस मामले में बात करने को तैयार नहीं हैं. कुलपति संजीव शर्मा मिलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं. वहीं एक्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य प्रो. किरण घई सिन्हा से इस मुद्दे पर मोबाइल पर बात हुई, तो उन्होंने बताया कि 12 सितंबर 2020 को एक्सक्यूटिव कौंसिल की बैठक हुई थी. उसके बाद कोरोना संक्रमण के कारण एक्जीक्यूटिव कौंसिल की बैठक ही नहीं हुई है.
प्रो. किरण घई ने कहा कि एमजीसीयूबी में मनमाने तरीके से काम हो रहा है. एक्जीक्यूटिव कौंसिल की बैठक के बिना अपने मन से फैकेल्टिज खोले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुलपति संजीव शर्मा का इस साल 2 फरवरी को कार्यकाल समाप्त हो गया है. वह नए कुलपति की नियुक्ति तक कुलपति के प्रभार में हैं. इस दौरान एक्जीक्यूटिव कौंसिल और एकेडमिक कौंसिल से बिना मंजूरी लिए फैकल्टी की स्थापना करना मनमानी ही है. वहीं एक अन्य एक्जीक्यूटिव कौंसिल के सदस्य व जेएनयू के प्रोफेसर राजेश श्रीकृष्णा खरोट ने बताया कि उन्होंने अभी तक औपचारिक तरीके से एक भी मीटिंग अटेंड नहीं किया है. बैठक का क्या कार्यपद्धति है, इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने बताया कि जो नियम है, उसे फॉलो करना चाहिए.
दरअसल, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के एकेडमिक कौंसिल और एक्जीक्यूटिव कौंसिल की मंजूरी के साथ हीं केंद्र स्थापित किया जा सकता है. उसके बाद उनके कानून में संशोधन और अध्यादेश जारी होता है. फिर नए केंद्र के लिए नए संकाय पदों को मंजूरी देने की अनुमति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से संपर्क करने की आवश्यकता होती है. लेकिन सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बने एक्ट को ताक पर रखकर MGCUB में पिछले एक साल में मनमानी चलती रही.
बता दें कि काफी संघर्ष के बाद वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने पार्लियामेंट एक्ट-2014 के तहत मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्व विद्यालय की मंजूरी मिली. केंद्रीय विश्वविद्यालय की शुरुआत वर्ष 2016 में किराए के चार परिसरों में शुरू हुई. लेकिन स्थापना काल से ही महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय का विवादों से गहरा नाता रहा है. पूर्व के कुलपति अरविंद अग्रवाल पर अपने एकेडमिक रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप लगा था. जिसके कारण उन्होंने कार्यकाल पूरा करने के पूर्व ही इस्तिफा दे दिया था. उसके बाद अरविंद अग्रवाल के बचे हुए कार्यकाल के लिए वर्ष 2019 में कुलपति नियुक्त किया गया. लेकिन कुलपति संजीव शर्मा ने कार्यवाहक कुलपति के रूप में वैधानिक निकाय से बिना मंजूरी लिए विभिन्न फैकेल्टी की शुरुआत की है. कुलपति ने गोदाम, किचन और छोटे-छोटे कमरों में बिना उपस्कर के ही फैकेल्टी की स्थापना कर दी है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है.
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