पूर्वी चंपारण: बिहार के मोतिहारी (Motihari) में कोरोना संक्रमण (Corona Infection) को लेकर बंद स्कूलों को ही माफियाओं ने शराब के कारोबार का सुरक्षित अड्डा बना लिया है. राज्य में पूर्ण शराब बंदी (Complete Liquor Ban) होने के बावजूद पूर्वी चंपारण जिले में निजी स्कूल का संचालक भी शराब के कारोबार से जुड़ गया.
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शराब के कारोबार का पर्दाफाश उस समय हुआ जब बंजरिया थाने की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर अशोका इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के गोदाम में छापा मारा. इस कार्रवाई में पुलिस ने बड़ी मात्रा में शराब की खेप पकड़ी है. पुलिस ने स्कूल के संचालक को भी गिरफ्तार कर लिया है.
स्कूल के गोदाम से बरामद शराब के बारे में जानकारी देते हुए एसपी नवीन चंद्र झा ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई हुई है. स्कूल के संचालक अशोक श्रीवास्तव को गिरफ्तार कर लिया गया है. स्कूल के दीवार से सटे गोदाम में शराब की खेप रखी हुई थी. ये गोदाम स्कूल संचालक का ही है. संचालक के साथ शराब के कारोबार से जुड़े अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है.
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दरअसल, पुलिस को अशोका इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के संचालक द्वारा स्कूल की आड़ में शराब का धंधा किए जाने की जानकारी मिली थी. साथ ही स्कूल के गोदाम में बड़ी मात्रा में शराब रखे जाने की सूचना भी पुलिस को मिली थी. सूचना के आधार पर पुलिस ने छापा मारा और स्कूल के गोदाम से 361 कार्टन शराब बरामद किया. पुलिस ने तत्काल स्कूल के संचालक को गिरफ्तार कर लिया. जब्त शराब की कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है.
बता दें कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया जा सके, इसके लिए राज्य सरकार (State Government) ने कई कड़े कानून बनाए हैं. पिछले 5 साल में ढाई से तीन लाख लोग शराबबंदी कानून के तहत जेल जा चुके हैं. शराबबंदी लागू हो सके इसको लेकर पुलिस शराब पीने वाले लोगों की गिरफ्तारियां भी कर रही है. इसके साथ-साथ राज्य के अंदर और अन्य राज्यों के बड़े शराब माफियाओं की भी गिरफ्तारियां की गई है. इसके बाद भी बिहार में शराब के अवैध कारोबार पर लगाम नहीं लग पा रहा है.
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वहीं, बिहार में आए दिन किसी न किसी जिले में अवैध शराब पीने से लोगों को असमय मौत या आंखों की रोशनी गंवानी पड़ रही है. उसके बावजूद भी पूर्ण रूप से बिहार में शराबबंदी लागू नहीं हो पा रहा है. बिहार में शराब की होम डिलीवरी की बात सार्वजनिक तौर पर होती है, तस्कर भी पकड़े जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिर्फ दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई से ही पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया जा सकता है या राज्य सरकार को कुछ और सोचना होगा.