मोतिहारी: महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ के तत्वावधान में 'व्याख्यान-सह-जागरूकता' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने की. कार्यक्रम में प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी भी मौजूद थे. आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ की प्रधान अधिकारी प्रो. शहाना मजूमदार ने प्रकोष्ठ की कार्यप्रणाली और सदस्यों का परिचय दिया.
"लैंगिग संवेदनशीलता वर्तमान समय में है महत्वपूर्ण"
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कला संकाय की प्रो. सुषमा घिल्डियाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लैंगिग संवेदनशीलता वर्तमान समय में बहुत ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में अध्यनरत विद्यार्थियों और सेवारत शिक्षकों के बीच स्वस्थ संवाद की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शैक्षणिक और कार्यस्थल पर स्वस्थ मानसिकता के साथ ही सीखने की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती है. प्रो. घिल्डियाल ने 'आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ' की आवश्यक जानकारियों को पीपीटी के माध्यम से विस्तृत रुप से प्रस्तुत किया.
"समस्याओं का समाधान संवाद से है संभव"
व्याख्यान-सह-जागरुकता कार्यक्रम के प्रश्नोत्तर सत्र में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने कई सवाल पूछे. वहीं, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि कानून एकमात्र समाधान नहीं है. जबकि, अधिकतम समस्याओं का समाधान संवाद से होता है. विश्वविद्यालय की संरचना और उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कुलपति ने कहा कि हमें 'मनभेद' से बचते हुए विश्वविद्यालय को जीवंत बनाना है. लोगों में मतभेद होते हैं और होने भी चाहिए, लेकिन शिक्षा का अंतिम लक्ष्य सबका साथ है.
विजेताओं को किया गया सम्मानित
इस कार्यक्रम के दौरान प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित "समाज के निर्माण में महिलाओं का योगदान" विषयक भाषण प्रतियोगिता के परिणाम की घोषणा की गई. कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने विजेता प्रतिभागियों को पुस्तक एवं प्रमाणपत्र प्रदान किया.