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अब तक नहीं हटा लालबकेया तटबंध की मरम्मती पर रोक, बाढ़ का खतरा मंडराया

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Published : Jun 24, 2020, 8:50 PM IST

नेपाल के अधिकारियों के साथ हुए समझौते के अनुसार लालबकेया तटबंध पर मरम्मत का कार्य चल रहा था. लेकिन नेपाल के अधिकारियों ने 500 सौ मीटर की लंबाई के क्षेत्र को अपनी भूमि बताकर काम रुकवा दिया है. समय रहते तटबंधों की मरम्मत नहीं हो पाई तो बिहार के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है.

Nepal oppose
Nepal oppose

मोतिहारी : नेपाल सरकार के बदले रुख से तटबंध के किनारे बसे हुए भारतीय परिक्षेत्र के बलुआ गुआबारी के स्थानीय लोग परेशान हैं. तटबंध के दूसरी तरफ नेपाली परिक्षेत्र के बंजरहा गांव के लोगों के साथ-साथ नेपाल के सीमा प्रहरी भी अपने तेवर खूब दिखा रहे हैं. जिससे भारतीय परिक्षेत्र के लोगों में भी आक्रोश देखा जा रहा है.

इंडो-नेपाल संबंध में आई खटास के बाद दोनों देशों के बीच तटबंधीय इलाके में तनाव लगातार जारी है. लोगों का कहना है कि नेपाल सरकार बारिश के मौसम में बांधों की मरम्मती कार्यों में बेवजह अड़चन डाल रहा है.

लालबकेया नदी
लालबकेया नदी

अधिकारी रोजाना कर रहे तटबंध का निरीक्षण
पूर्वी चंपारण जिले के लालबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध के बचे हुए हिस्से के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा दी है. यहां निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है. नेपाल इसे अपना क्षेत्र मानता है. लेकिन सिकरहना अनुमंडल स्थित बलुआ गुआबारी तटबंध पर यथास्थिति बहाल रखने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों का दौरा लगातार जारी है. मॉनसून की बारिश शुरू है. मॉनसून अभी अपने शबाब पर नहीं पहुंचा है. बावजूद इसके स्थानीय अनुमंडल स्तरीय अधिकारी रोजाना रुटीन निरीक्षण में तटबंध पर पहुंच रहे हैं.

रुटीन निरीक्षण करते अधिकारी
रुटीन निरीक्षण करते अधिकारी

समझौते के अनुसार चल रहा था तटबंध पर काम
इसके अलावा सिंचाई विभाग के अधिकारी भी इस तटबंध पर नजर बनाये हुए हैं. परेशानी ये है कि तटबंध के मरम्मति और निर्माण का काम नेपाल के विरोध के बाद नहीं हो पा रहा है. सिंचाई विभाग के इंजीनियर बब्बन सिंह ने बताया कि नेपाल के अधिकारियों के साथ हुए समझौते के अनुसार ही तटबंध के मरम्मत का कार्य चल रहा था. लेकिन नेपाल के अधिकारियों ने 500 सौ मीटर के लंबाई के क्षेत्र को अपनी भूमि बताकर काम रुकवा दिया है. उन्होंने बताया कि नेपाल के अधिकारियों ने सर्वे टीम के पैमाईश के बाद काम शुरु करने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया है.

रुका हुआ तटबंध पर काम
रुका हुआ तटबंध पर काम

'बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है नेपाल'
नेपाल के लोगों के बदले रुख से तटबंध के किनारे बसे हुए भारतीय लोग काफी परेशान हैं. गुआबारी के पूर्व मुखिया अतिकुर्र रहमान कहते हैं- जब से उन्होंने होश संभाला है, नेपाल के लोगों का ऐसा बदला हुआ स्वभाव नहीं देखा है. उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार तटबंध के मरम्मति पर बेवजह विवाद खड़ा कर रही है. बलुआ गांव के रहने वाले रमेश राम ने कहा कि नेपाली प्रशासन और ग्रामीण बांध नहीं बनने दे रहे हैं. जब भी बांध के मरम्मति और निर्माण का काम होता है, नेपाली अधिकारी और ग्रामीण मारपीट पर उतारु हो जाते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'नेपाल भारतीय भूमि को अपना जमीन बता रहा है'
ग्रमीण मो. अब्दुल बारिक ने बताया कि नेपाल के अधिकारी और नेपाली लोग बांध को लेकर हमेशा विवाद करते हैं. लेकिन इस साल तटबंध को नेपाली जमीन में बताकर मरम्मति के काम को रुकवा दिया है. वहीं, नथुनी पासवान ने बताया कि नेपाल के लोगों का कहना है कि बांध बन जाने से बाढ़ का पानी नेपाल को डूबा देगा. इसी बात पर भारत के जरिए बनाये जा रहे तटबंध के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ेंः बुद्ध की धरती पर विदेशी भू-माफियाओं की बुरी नजर, बौद्ध मठ को बेच दी सरकारी जमीन

500 मीटर लंबाई तक तटबंध निर्माण पर नेपाल का विरोध
बता दें कि बरसात के दिनों में लालबकेया नदी के कहर से लोगों को बचाने के लिए नदी के पश्चिमी तटबंध पर भारत सरकार ने बांध बना दिया है. लालबकेया नदी पर बने 4.11 किलोमीटर लंबे बांध के मरम्मति और निर्माण का काम हर साल होता है. इस साल कुल तटबंध के 3.1 किलोमीटर से 3.6 किलोमीटर के बांध के मरम्मति और निर्माण पर नेपाल ने अपना विरोध जताया है. लगभग 500 मीटर लम्बे तटबंध को अपनी भूमि बताकर नेपाल ने काम रुकवा दिया है.

डीएम ने दी है केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचना
लालबकेया नदी पर बना तटबंध गुआबारी के रेलवे लाईन ऑफिस घाट से बलुआ के सामने तक बना हुआ है. रेलवे लाईन से पिलर संख्या 347 तक बांध की कुल लंबाई 4.11 किलोमीटर है. लेकिन भारत नेपाल सीमा को दर्शाने वाले पीलर संख्या 346 और 347 के बीच 500 मीटर के लंबाई में तटबंध पर नेपाल ने अपना दावा करते हुए काम बाधित कर दिया है. लिहाजा, तटबंध का काम दोबारा नहीं शुरु हो सका है. पूर्वी चंपारण जिलाधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, नेपाल में भारत के महावाणिज्य दूतावास और बिहार सरकार को इस संबंध में पत्र भेजा है. लेकिन दोनों देशों के बीच मामला सुलझता नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि इस मसले पर अधिकारिक स्तर पर कोई बातचीत अब तक नहीं हुई है.

जानकारी देते जल संसाधन मंत्री संजय झा

कई इलाकों में बढ़ सकता बाढ़ का खतरा- संजय झा
नेपाल की इस हिमाकत पर बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी कहा कि पड़ोसी देश नेपाल के जरिए जारी विरोध के कारण तटबंधों के मरम्मत कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, काम रोक देना पड़ा है. इससे अभी कोई दिक्कत तो नहीं है, लेकिन समय रहते तटबंधों की मरम्मत नहीं हो पाई तो बिहार के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि नेपाल सरकार ने बीते दिनों बेतिया के एफएलएक्स बांध पर रोके गए काम की अनुमति दे दी है. इसके साथ ही वाल्मीकिनगर गंडक बराज के एफएलएक्स बांध पर मंगलवार से काम शरू हो गया. लॉकडाउन में नेपाल की तरफ से इस बांध के काम पर रोक लगा दी गई थी. अब देखना ये है कि लालबकेया नदी पर बने तटबंध के कार्य का विरोध कब खत्म होता है. या इस बार बिहार के लोगों को बाढ़ का जबरदस्त खतरा झेलने के लिए तैयार होना पड़ेगा.

मोतिहारी : नेपाल सरकार के बदले रुख से तटबंध के किनारे बसे हुए भारतीय परिक्षेत्र के बलुआ गुआबारी के स्थानीय लोग परेशान हैं. तटबंध के दूसरी तरफ नेपाली परिक्षेत्र के बंजरहा गांव के लोगों के साथ-साथ नेपाल के सीमा प्रहरी भी अपने तेवर खूब दिखा रहे हैं. जिससे भारतीय परिक्षेत्र के लोगों में भी आक्रोश देखा जा रहा है.

इंडो-नेपाल संबंध में आई खटास के बाद दोनों देशों के बीच तटबंधीय इलाके में तनाव लगातार जारी है. लोगों का कहना है कि नेपाल सरकार बारिश के मौसम में बांधों की मरम्मती कार्यों में बेवजह अड़चन डाल रहा है.

लालबकेया नदी
लालबकेया नदी

अधिकारी रोजाना कर रहे तटबंध का निरीक्षण
पूर्वी चंपारण जिले के लालबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध के बचे हुए हिस्से के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा दी है. यहां निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है. नेपाल इसे अपना क्षेत्र मानता है. लेकिन सिकरहना अनुमंडल स्थित बलुआ गुआबारी तटबंध पर यथास्थिति बहाल रखने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों का दौरा लगातार जारी है. मॉनसून की बारिश शुरू है. मॉनसून अभी अपने शबाब पर नहीं पहुंचा है. बावजूद इसके स्थानीय अनुमंडल स्तरीय अधिकारी रोजाना रुटीन निरीक्षण में तटबंध पर पहुंच रहे हैं.

रुटीन निरीक्षण करते अधिकारी
रुटीन निरीक्षण करते अधिकारी

समझौते के अनुसार चल रहा था तटबंध पर काम
इसके अलावा सिंचाई विभाग के अधिकारी भी इस तटबंध पर नजर बनाये हुए हैं. परेशानी ये है कि तटबंध के मरम्मति और निर्माण का काम नेपाल के विरोध के बाद नहीं हो पा रहा है. सिंचाई विभाग के इंजीनियर बब्बन सिंह ने बताया कि नेपाल के अधिकारियों के साथ हुए समझौते के अनुसार ही तटबंध के मरम्मत का कार्य चल रहा था. लेकिन नेपाल के अधिकारियों ने 500 सौ मीटर के लंबाई के क्षेत्र को अपनी भूमि बताकर काम रुकवा दिया है. उन्होंने बताया कि नेपाल के अधिकारियों ने सर्वे टीम के पैमाईश के बाद काम शुरु करने की बात कहकर विवाद खड़ा कर दिया है.

रुका हुआ तटबंध पर काम
रुका हुआ तटबंध पर काम

'बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है नेपाल'
नेपाल के लोगों के बदले रुख से तटबंध के किनारे बसे हुए भारतीय लोग काफी परेशान हैं. गुआबारी के पूर्व मुखिया अतिकुर्र रहमान कहते हैं- जब से उन्होंने होश संभाला है, नेपाल के लोगों का ऐसा बदला हुआ स्वभाव नहीं देखा है. उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार तटबंध के मरम्मति पर बेवजह विवाद खड़ा कर रही है. बलुआ गांव के रहने वाले रमेश राम ने कहा कि नेपाली प्रशासन और ग्रामीण बांध नहीं बनने दे रहे हैं. जब भी बांध के मरम्मति और निर्माण का काम होता है, नेपाली अधिकारी और ग्रामीण मारपीट पर उतारु हो जाते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'नेपाल भारतीय भूमि को अपना जमीन बता रहा है'
ग्रमीण मो. अब्दुल बारिक ने बताया कि नेपाल के अधिकारी और नेपाली लोग बांध को लेकर हमेशा विवाद करते हैं. लेकिन इस साल तटबंध को नेपाली जमीन में बताकर मरम्मति के काम को रुकवा दिया है. वहीं, नथुनी पासवान ने बताया कि नेपाल के लोगों का कहना है कि बांध बन जाने से बाढ़ का पानी नेपाल को डूबा देगा. इसी बात पर भारत के जरिए बनाये जा रहे तटबंध के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ेंः बुद्ध की धरती पर विदेशी भू-माफियाओं की बुरी नजर, बौद्ध मठ को बेच दी सरकारी जमीन

500 मीटर लंबाई तक तटबंध निर्माण पर नेपाल का विरोध
बता दें कि बरसात के दिनों में लालबकेया नदी के कहर से लोगों को बचाने के लिए नदी के पश्चिमी तटबंध पर भारत सरकार ने बांध बना दिया है. लालबकेया नदी पर बने 4.11 किलोमीटर लंबे बांध के मरम्मति और निर्माण का काम हर साल होता है. इस साल कुल तटबंध के 3.1 किलोमीटर से 3.6 किलोमीटर के बांध के मरम्मति और निर्माण पर नेपाल ने अपना विरोध जताया है. लगभग 500 मीटर लम्बे तटबंध को अपनी भूमि बताकर नेपाल ने काम रुकवा दिया है.

डीएम ने दी है केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचना
लालबकेया नदी पर बना तटबंध गुआबारी के रेलवे लाईन ऑफिस घाट से बलुआ के सामने तक बना हुआ है. रेलवे लाईन से पिलर संख्या 347 तक बांध की कुल लंबाई 4.11 किलोमीटर है. लेकिन भारत नेपाल सीमा को दर्शाने वाले पीलर संख्या 346 और 347 के बीच 500 मीटर के लंबाई में तटबंध पर नेपाल ने अपना दावा करते हुए काम बाधित कर दिया है. लिहाजा, तटबंध का काम दोबारा नहीं शुरु हो सका है. पूर्वी चंपारण जिलाधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, नेपाल में भारत के महावाणिज्य दूतावास और बिहार सरकार को इस संबंध में पत्र भेजा है. लेकिन दोनों देशों के बीच मामला सुलझता नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि इस मसले पर अधिकारिक स्तर पर कोई बातचीत अब तक नहीं हुई है.

जानकारी देते जल संसाधन मंत्री संजय झा

कई इलाकों में बढ़ सकता बाढ़ का खतरा- संजय झा
नेपाल की इस हिमाकत पर बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी कहा कि पड़ोसी देश नेपाल के जरिए जारी विरोध के कारण तटबंधों के मरम्मत कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, काम रोक देना पड़ा है. इससे अभी कोई दिक्कत तो नहीं है, लेकिन समय रहते तटबंधों की मरम्मत नहीं हो पाई तो बिहार के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है. हालांकि नेपाल सरकार ने बीते दिनों बेतिया के एफएलएक्स बांध पर रोके गए काम की अनुमति दे दी है. इसके साथ ही वाल्मीकिनगर गंडक बराज के एफएलएक्स बांध पर मंगलवार से काम शरू हो गया. लॉकडाउन में नेपाल की तरफ से इस बांध के काम पर रोक लगा दी गई थी. अब देखना ये है कि लालबकेया नदी पर बने तटबंध के कार्य का विरोध कब खत्म होता है. या इस बार बिहार के लोगों को बाढ़ का जबरदस्त खतरा झेलने के लिए तैयार होना पड़ेगा.

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