ETV Bharat / state

...जानिए छठ पर्व में मिट्टी के हाथी का महत्त्व, कम कीमत पाकर भी खुश रहते हैं कुम्हार - मिट्टी के बर्तनों का महत्व

छठ के महापर्व पर शुद्धता के रूप में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार कम कीमत पाकर भी खुश रहते हैं. इस महापर्व में होने वाले खर्च को देखते हुए व्रतियों से कम पैसा मिलने पर भी ये लोग ऐतराज नहीं करते हैं.

fhvnmjfhnmj
fchnj
author img

By

Published : Nov 20, 2020, 12:21 PM IST

मोतिहारी: सूर्योपासना के महापर्व छठ में पवित्रता के लिहाज से मिट्टी से बने समानों का उपयोग किया जाता है. इस पर्व में मिट्टी के बने हाथी, घड़ा, तौला, दीया, कुरेसर, ढ़कन की भी जरुरत होती है. जिसे गन्ना के बने कोशी के बीच में रखकर पूजा किया जाता है.

मिलता है उचित दाम
छठ पर्व में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के सामान बनाने वाला कुम्हार कम कीमत पाकर भी खुश रहते हैं. इस महापर्व में होने वाले खर्च को देखते हुए व्रतियों से कम पैसा मिलने पर भी ये लोग ऐतराज नहीं करते हैं. इसके भी कई कारण हैं. छठ के नाम पर बने मिट्टी के चीजों की बिक्री न होने पर इन सामानों को बेचने के लिए एक साल तक फिर इंतजार करना पड़ता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: पटनाः गंगा स्नान करने के दौरान गिरी वृद्धा, SDRF जवान ने बचाई जान

..अब तो मजबूरी है
मिट्टी का काम करने वाले मदन पंडित और रामप्रवेश पंडित बताते हैं कि मिट्टी महंगे हो चुके हैं. मिट्टी और जलावन के कारण छठ सामग्री को बनाने की लागत भी निकाल पाना मुश्किल हो गया है. लेकिन पुश्तैनी पेशा होने के कारण वे लोग इसे बनाते हैं. सरकारी सुविधाओ से महरुम ये लोग पेट की आग बुझाने के लिए सपरिवार इसमें लगे रहते हैं.

मिट्टी के बर्तन बनाती हुई कुम्हार.
मिट्टी के बर्तन.

कम पैसे पाकर भी हैं संतुष्ट
बहरहाल शासन-प्रशासन से उपेक्षित मिट्टी के काम करने वालों ने इन लोगों से अपेक्षा करना ही छोड़ दिया है. वे अपने पुश्तैनी काम को अपनी जिद्द के बदौलत रोटी कमाने का साधन बनाये हुए हैं. इसके बावजूद भी इस छठ के मौके पर मिट्टी के समानों के बदले कम पैसे पाकर भी संतुष्ट रहने वाले ये लोग यहीं समझते हैं कि छठी मईया कभी-न-कभी इनके ऊपर भी कृपा करेंगी.

मोतिहारी: सूर्योपासना के महापर्व छठ में पवित्रता के लिहाज से मिट्टी से बने समानों का उपयोग किया जाता है. इस पर्व में मिट्टी के बने हाथी, घड़ा, तौला, दीया, कुरेसर, ढ़कन की भी जरुरत होती है. जिसे गन्ना के बने कोशी के बीच में रखकर पूजा किया जाता है.

मिलता है उचित दाम
छठ पर्व में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के सामान बनाने वाला कुम्हार कम कीमत पाकर भी खुश रहते हैं. इस महापर्व में होने वाले खर्च को देखते हुए व्रतियों से कम पैसा मिलने पर भी ये लोग ऐतराज नहीं करते हैं. इसके भी कई कारण हैं. छठ के नाम पर बने मिट्टी के चीजों की बिक्री न होने पर इन सामानों को बेचने के लिए एक साल तक फिर इंतजार करना पड़ता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: पटनाः गंगा स्नान करने के दौरान गिरी वृद्धा, SDRF जवान ने बचाई जान

..अब तो मजबूरी है
मिट्टी का काम करने वाले मदन पंडित और रामप्रवेश पंडित बताते हैं कि मिट्टी महंगे हो चुके हैं. मिट्टी और जलावन के कारण छठ सामग्री को बनाने की लागत भी निकाल पाना मुश्किल हो गया है. लेकिन पुश्तैनी पेशा होने के कारण वे लोग इसे बनाते हैं. सरकारी सुविधाओ से महरुम ये लोग पेट की आग बुझाने के लिए सपरिवार इसमें लगे रहते हैं.

मिट्टी के बर्तन बनाती हुई कुम्हार.
मिट्टी के बर्तन.

कम पैसे पाकर भी हैं संतुष्ट
बहरहाल शासन-प्रशासन से उपेक्षित मिट्टी के काम करने वालों ने इन लोगों से अपेक्षा करना ही छोड़ दिया है. वे अपने पुश्तैनी काम को अपनी जिद्द के बदौलत रोटी कमाने का साधन बनाये हुए हैं. इसके बावजूद भी इस छठ के मौके पर मिट्टी के समानों के बदले कम पैसे पाकर भी संतुष्ट रहने वाले ये लोग यहीं समझते हैं कि छठी मईया कभी-न-कभी इनके ऊपर भी कृपा करेंगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.