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बाढ़ रिटर्न: पूर्वी चंपारण जिले में चौथी बार आई बाढ़, लोगों को हो रही खासी परेशानियां

पटना में चुनाव आयोग चुनावी बिगुल फूंक रही है और इधर पूर्वी चंपारण जिले में बाढ़ का तांडव फिर से शुरु हो गया है. जिले के कई प्रखंड चौथी बार बाढ़ की चपेट में हैं. जिले की बंजरिया प्रखंड की दस पंचायत बाढ़ के पानी में घिरी हैं. सड़कें पानी में डूबी हुई है और दूर-दूर तक केवल पानी-हीं-पानी दिखाई दे रहा है.

East Champaran
पूर्वी चंपारण जिले में चौथी बार आई बाढ़
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Published : Sep 30, 2020, 5:53 AM IST

पूर्वी चंपारण(मोतिहारी): लगभग 3 महीने पहले आई बाढ़ का पानी ठीक से सुखा भी नहीं था. एक बार फिर पूर्वी चंपारण जिले में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. जिले के कई प्रखंड चौथी बार बाढ़ की चपेट में हैं, लेकिन सुगौली और बंजरिया में बाढ़ से स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है. बंजरिया प्रखंड की 10 पंचायत बाढ़ के पानी में घिरी है. वहीं, प्रखंड कार्यालय भी बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है. लोगों के आने-जाने का साधन सिर्फ नाव है, ऐसे में प्रदेश में होने वाले चुनाव का जिक्र करने पर बंजरिया प्रखंड के बाढ़ पीड़ित पहले बाढ़ से खुद को बचाने की बात कह रहे है. लोगों का कहना है कि पहले खुद की सुरक्षा बाढ़ से कर लें, फिर उसके बाद चुनाव के बारे में सोचेंगे.

देंखे रिपोर्ट.

बाढ़ और सड़क की सुविधा इस बार बनेगा चुनावी मुद्दा

ग्रामीण शहनवाज आलम ने बताया कि इस क्षेत्र में चौथी बार बाढ़ आयी है. उन्होंने बताया कि आने-जाने का साधन केवल नाव है. उन्होंने कहा कि जबतक सड़क को उंचा करके पुल-पुलिया नहीं बनाया जाएगा, तब तक क्षेत्र के लोग इसी तरह परेशान होते रहेंगे. वहीं, इस बार चुनाव में बाढ़ को मुद्दा बनाने की बात पर शहनवाज ने कहा कि चुनाव में यह मुद्दा तो बनेगा, लेकिन चुनाव के पहले और बाद में भी उन लोगों की सड़क और बाढ़ से निजात की मांग रही है.

नही मिली बाढ़ राहत की राशी

वहीं, ग्रामीण बागड़ देवान ने बताया कि इस साल बार-बार आ रही बाढ़ से उनके परिवार के सामने भूखमरी की समस्या खड़ी हो गई है. उन्होंने बताया कि इसी साल जुलाई में आई बाढ़ में कोई राहत का पैसा अब तक नहीं मिला था और एक बार फिर से बाढ़ आ गयी है.

बाढ़ से परिवार को बचायें या फिर चुनाव को देखेंगे

मो. आदिल राणा ने बताया कि सामने बाढ़ है उसके बाद चुनाव है. पहले बाढ़ से अपने परिवार को बचा लें, चुनाव का जिसका काम है वह अपना चुनाव देखेंगे. उन्होंने कहा कि खरीफ की फसल पहले आई बाढ़ में बर्बाद हो गई है. वहीं, अब रबी की फसल की भी आस खत्म हो गई है. मो. आदिल ने कहा कि इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या से स्थायी निदान के लिए सरकार को कार्य करना चाहिए, जिसे सरकार नहीं करती है.

बंजरिया प्रखंड की 10 पंचायत बाढ़ में डूबी

बता दें कि जिले के बंजरिया प्रखंड में इस साल जुलाई महीने से अब तक 4 बार बाढ़ आ चुकी है. इस क्षेत्र में हालात यह है कि 10 पंचायत एक बार फिर बाढ़ के पानी में घिर गई हैं. लोगों को दस से पंद्रह किलोमीटर नाव से सफर करके अपने घर तक जाना पड़ रहा है, लेकिन सरकारी स्तर पर मोटर बोट की व्यवस्था तक नहीं की गई है, जिसकारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, इसी बीच चुनावी डुगडुगी भी बज गई है, ऐसे में बाढ़ से परेशान लोग पहले खुद को सुरक्षित रखने में लगे हैं, उसके बाद चुनाव के बारे में सोंचने की बात बाढ़ पीड़ित कह रहे हैं.

पूर्वी चंपारण(मोतिहारी): लगभग 3 महीने पहले आई बाढ़ का पानी ठीक से सुखा भी नहीं था. एक बार फिर पूर्वी चंपारण जिले में बाढ़ ने दस्तक दे दी है. जिले के कई प्रखंड चौथी बार बाढ़ की चपेट में हैं, लेकिन सुगौली और बंजरिया में बाढ़ से स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है. बंजरिया प्रखंड की 10 पंचायत बाढ़ के पानी में घिरी है. वहीं, प्रखंड कार्यालय भी बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है. लोगों के आने-जाने का साधन सिर्फ नाव है, ऐसे में प्रदेश में होने वाले चुनाव का जिक्र करने पर बंजरिया प्रखंड के बाढ़ पीड़ित पहले बाढ़ से खुद को बचाने की बात कह रहे है. लोगों का कहना है कि पहले खुद की सुरक्षा बाढ़ से कर लें, फिर उसके बाद चुनाव के बारे में सोचेंगे.

देंखे रिपोर्ट.

बाढ़ और सड़क की सुविधा इस बार बनेगा चुनावी मुद्दा

ग्रामीण शहनवाज आलम ने बताया कि इस क्षेत्र में चौथी बार बाढ़ आयी है. उन्होंने बताया कि आने-जाने का साधन केवल नाव है. उन्होंने कहा कि जबतक सड़क को उंचा करके पुल-पुलिया नहीं बनाया जाएगा, तब तक क्षेत्र के लोग इसी तरह परेशान होते रहेंगे. वहीं, इस बार चुनाव में बाढ़ को मुद्दा बनाने की बात पर शहनवाज ने कहा कि चुनाव में यह मुद्दा तो बनेगा, लेकिन चुनाव के पहले और बाद में भी उन लोगों की सड़क और बाढ़ से निजात की मांग रही है.

नही मिली बाढ़ राहत की राशी

वहीं, ग्रामीण बागड़ देवान ने बताया कि इस साल बार-बार आ रही बाढ़ से उनके परिवार के सामने भूखमरी की समस्या खड़ी हो गई है. उन्होंने बताया कि इसी साल जुलाई में आई बाढ़ में कोई राहत का पैसा अब तक नहीं मिला था और एक बार फिर से बाढ़ आ गयी है.

बाढ़ से परिवार को बचायें या फिर चुनाव को देखेंगे

मो. आदिल राणा ने बताया कि सामने बाढ़ है उसके बाद चुनाव है. पहले बाढ़ से अपने परिवार को बचा लें, चुनाव का जिसका काम है वह अपना चुनाव देखेंगे. उन्होंने कहा कि खरीफ की फसल पहले आई बाढ़ में बर्बाद हो गई है. वहीं, अब रबी की फसल की भी आस खत्म हो गई है. मो. आदिल ने कहा कि इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या से स्थायी निदान के लिए सरकार को कार्य करना चाहिए, जिसे सरकार नहीं करती है.

बंजरिया प्रखंड की 10 पंचायत बाढ़ में डूबी

बता दें कि जिले के बंजरिया प्रखंड में इस साल जुलाई महीने से अब तक 4 बार बाढ़ आ चुकी है. इस क्षेत्र में हालात यह है कि 10 पंचायत एक बार फिर बाढ़ के पानी में घिर गई हैं. लोगों को दस से पंद्रह किलोमीटर नाव से सफर करके अपने घर तक जाना पड़ रहा है, लेकिन सरकारी स्तर पर मोटर बोट की व्यवस्था तक नहीं की गई है, जिसकारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, इसी बीच चुनावी डुगडुगी भी बज गई है, ऐसे में बाढ़ से परेशान लोग पहले खुद को सुरक्षित रखने में लगे हैं, उसके बाद चुनाव के बारे में सोंचने की बात बाढ़ पीड़ित कह रहे हैं.

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