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मोतिहारी: मदरसा अंजुमन इस्लामिया में लाखों रुपये का घपला, पूर्व सचिव पर आरोप

मोतिहारी में बच्चों को तालीम देने के लिए स्थापित मदरसा अंजुमन इस्लामिया आजकल काफी चर्चा में है. मदरसा अंजुमन इस्लामिया की निर्वाचित वर्तमान कमिटी ने संस्था के पूर्व सचिव पर लाखों रुपये गबन का आरोप लगाया है. पढ़ें पूरी खबर....

मदरसा
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Published : Oct 19, 2021, 3:11 PM IST

मोतिहारी: मदरसा अंजुमन इस्लामिया (Madrasa Anjuman Islamia) में लाखों रुपये के गबन का मामला उजागर हुआ है. मदरसे की निर्वाचित वर्तमान कमिटी ने संस्था के पूर्व सचिव (Former Secretary) पर लाखों रुपये की गड़बड़ी का आरोप लगाया है. साथ ही पूर्व सचिव द्वारा संस्था के वर्तमान में पदाधिकारियों के खिलाफ गलत मुकदमा करने और उन्हें परेशान करने का भी आरोप लगाया गया है.

ये भी पढ़ेंः केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने बिहार के मदरसा बोर्ड को बताया रोल मॉडल, मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ

पूर्व सचिव की कार्यशैली से आहत मदरसा अंजुमन इस्लामिया के निर्वाचित पदाधिकारियों ने नई कमिटी के सदर प्रो. नसीम अहमद की अध्यक्षता में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर अपनी बातें रखी हैं. मदरसा के सदर प्रो. नसीम अहमद ने बताया कि नगर परिषद के पूर्व उपमुख्य पार्षद मोहिबुल हक संस्था की पिछली कमिटी में सचिव पद पर थे. मोहिबुल हक ने सांसद फंड से बनने वाले भवन की राशि का कोई हिसाब नहीं दिया है. भवन अभी अधूरा ही है.

देखें वीडियो

'मोहिबुल हक ने अंजुमन जैसी शैक्षणिक संस्था को आतंकवाद का पनाहगाह बताते हुए नई कमिटी के अधिकारियों पर गलत मुकदमा करके सबको परेशान कर दिया है'- प्रो. नसीम अहमद, अध्यक्ष,मदरसा अंजूमन इस्लामिया

मौके पर मौजूद मदरसा अंजुमन इस्लामिया के सचिव डॉ. परवेज ने कहा कि पूर्व कमिटी के सचिव सोशल मीडिया के माध्यम से भी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के खिलाफ भी वे गलत टिप्पणी करते हैं. उन्होंने पूर्व सचिव मोहिबूल हक और वर्तमान कमिटी के कार्यकलापों की जांच करने मांग डीएम से की है. ताकि मदरसा अंजुमन इस्लामिया की छवि को बचाया जा सके.

ये भी पढ़ेंः Banka Madarsa Blast: मदरसा ब्लास्ट में नहीं है आतंकी कनेक्शन, देसी बम से हुआ था धमाका- SP

बता दें कि मोतिहारी शहर में मदरसा अंजुमन इस्लामिया की स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी. इसका संचालन अंजुमन इस्लामिया करती है. मदरसा अंजुमन इस्लामिया के संचालन के लिए हर तीन साल पर इसके अधिकारियों का निर्वाचन होता है और पुरानी कमिटी के अधिकारियों को इस्तीफा देना पड़ता है. पुरानी कमिटी का कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त हो जाने के बाद नए अधिकारियों का चुनाव हुआ. इसके बाद नई कमिटी का गठन हुआ और पुरानी कमिटी के सचिव मोहिबुल हक को छोड़कर अन्य सभी अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया.

वहीं, मोहिबुल हक ने इस्तीफा देने से इंकार करते हुए नई कमिटी के अधिकारियों पर तरह-तरह के आरोप लगाकर मुकदमा दायर कर दिया है. जिस कारण नई कमिटी के अधिकारियों की छवि धूमिल हो रही है. उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. परेशान होकर अंजुमन इस्लामिया और मदरसा अंजुमन इस्लामिया के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर अपनी बातें रखीं.

मोतिहारी: मदरसा अंजुमन इस्लामिया (Madrasa Anjuman Islamia) में लाखों रुपये के गबन का मामला उजागर हुआ है. मदरसे की निर्वाचित वर्तमान कमिटी ने संस्था के पूर्व सचिव (Former Secretary) पर लाखों रुपये की गड़बड़ी का आरोप लगाया है. साथ ही पूर्व सचिव द्वारा संस्था के वर्तमान में पदाधिकारियों के खिलाफ गलत मुकदमा करने और उन्हें परेशान करने का भी आरोप लगाया गया है.

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पूर्व सचिव की कार्यशैली से आहत मदरसा अंजुमन इस्लामिया के निर्वाचित पदाधिकारियों ने नई कमिटी के सदर प्रो. नसीम अहमद की अध्यक्षता में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर अपनी बातें रखी हैं. मदरसा के सदर प्रो. नसीम अहमद ने बताया कि नगर परिषद के पूर्व उपमुख्य पार्षद मोहिबुल हक संस्था की पिछली कमिटी में सचिव पद पर थे. मोहिबुल हक ने सांसद फंड से बनने वाले भवन की राशि का कोई हिसाब नहीं दिया है. भवन अभी अधूरा ही है.

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'मोहिबुल हक ने अंजुमन जैसी शैक्षणिक संस्था को आतंकवाद का पनाहगाह बताते हुए नई कमिटी के अधिकारियों पर गलत मुकदमा करके सबको परेशान कर दिया है'- प्रो. नसीम अहमद, अध्यक्ष,मदरसा अंजूमन इस्लामिया

मौके पर मौजूद मदरसा अंजुमन इस्लामिया के सचिव डॉ. परवेज ने कहा कि पूर्व कमिटी के सचिव सोशल मीडिया के माध्यम से भी छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के खिलाफ भी वे गलत टिप्पणी करते हैं. उन्होंने पूर्व सचिव मोहिबूल हक और वर्तमान कमिटी के कार्यकलापों की जांच करने मांग डीएम से की है. ताकि मदरसा अंजुमन इस्लामिया की छवि को बचाया जा सके.

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बता दें कि मोतिहारी शहर में मदरसा अंजुमन इस्लामिया की स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी. इसका संचालन अंजुमन इस्लामिया करती है. मदरसा अंजुमन इस्लामिया के संचालन के लिए हर तीन साल पर इसके अधिकारियों का निर्वाचन होता है और पुरानी कमिटी के अधिकारियों को इस्तीफा देना पड़ता है. पुरानी कमिटी का कार्यकाल दिसंबर 2020 में समाप्त हो जाने के बाद नए अधिकारियों का चुनाव हुआ. इसके बाद नई कमिटी का गठन हुआ और पुरानी कमिटी के सचिव मोहिबुल हक को छोड़कर अन्य सभी अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया.

वहीं, मोहिबुल हक ने इस्तीफा देने से इंकार करते हुए नई कमिटी के अधिकारियों पर तरह-तरह के आरोप लगाकर मुकदमा दायर कर दिया है. जिस कारण नई कमिटी के अधिकारियों की छवि धूमिल हो रही है. उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. परेशान होकर अंजुमन इस्लामिया और मदरसा अंजुमन इस्लामिया के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर अपनी बातें रखीं.

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