पूर्वी चंपारण: पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी में विश्व के सबसे ऊंचे विराट रामायण मंदिर का निर्माण कार्य (Construction of Virat Ramayana temple in Motihari) 3 मई से शुरू होगा. जिले के केसरिया प्रखंड स्थित कैथवलिया में इस मंदिर का निर्माण होना है. निर्माण कार्य की शुरुआत कराने के लिए धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) केसरिया में लगभग 15 दिनों का प्रवास करेंगे.
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दुनिया के सबसे बड़े मंदिर का निर्माण: केसरिया पहुंचे आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि मंदिर निर्माण को लेकर दिल्ली और ओडिशा सहित आधा दर्जन राज्यों से आधुनिक मशीनें मंगाई जा रही है. इन मशीनों की मदद से मंदिर निर्माण में तेजी आएगी. मंदिर का निर्माण कार्य पूर्वी चंपारण जिले के केसरिया चकिया रोड अवस्थित कैथवलिया में शुरू होगा. विराट रामायण मंदिर का निर्माण महावीर मंदिर ट्रस्ट करा रही है, जो लगभग 500 करोड़ का प्रोजेक्ट है. मंदिर निर्माण के लिए 125 एकड़ जमीन की जरुरत है. प्रस्तावित स्थल पर 100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है, जिसके लिए कई लोगों ने स्वेच्छा से जमीन दान की है.
''इस मंदिर की ऊंचाई 270 फीट होगी. ये मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर होगा. वहीं इस मंदिर के परिसर में विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग का निर्माण किया जाएगा. साथ में एक तालाब का भी निर्माण किया जाएगा. जिसकी लंबाई 800 फीट और चौड़ाई 400 फीट होगी, जिसे गंगासागर के नाम से जाना जाएगा. वहीं, इस मंदिर निर्माण को लेकर दिल्ली और उड़ीसा सहित आधा दर्जन राज्यों से आधुनिक मशीनें मंगाई जा रही है, जिससे मंदिर निर्माण में काफी सहयोग मिलेगा. इस मंदिर निर्माण के प्रोजेक्ट को ढाई साल में पूरा कर लेने का लक्ष्य है.''- आचार्य किशोर कुणाल, पूर्व अध्यक्ष, धार्मिक न्यास बोर्ड
मंदिर में होंगे 18 देवता घर और 18 शिखर: बता दें कि कैथवलिया में दुनिया का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर का निर्माण होना है. इस मंदिर का निर्माण पटना के श्री महावीर स्थान न्यास समिति के द्वारा किया जा रहा है. इसका भूमि पूजन आचार्य किशोर कुणाल ने 21 जून 2012 किया था. रामायण मंदिर परिसर की लम्बाई 2800 फीट और चौड़ाई 1500 फीट होगी. मुख्य मंदिर 1240 फीट लंबा, 1150 फीट चौड़ा और 270 फीट ऊंचा होगा. मंदिर में 18 देवता घर और 18 शिखर होंगे. इस मंदिर में भगवान रामजी के साथ-साथ सीता जी, लव-कुश और महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति होगी. अन्य मंदिरों में अन्य हिन्दू देवी देवता प्रतिष्ठित होंगे.
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