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BJP के निर्वतमान विधायक टिकट से वंचित, नाराज समर्थकों ने इस्तीफा देने का किया ऐलान - विधानसभा चुनाव की तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में शीट शेयरिंग एनडीए के लिए मुसीबत बन गई है. रक्सौल विधानसभा से वर्तमान बीजेपी विधायक का टिकट काटे जाने से कार्यकर्ताओं में आक्रोश है. इसे लेकर रक्सौल स्थित भाजपा कार्यालय पर एक बैठक हुई.

Raxaul
रक्सौल
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Published : Oct 9, 2020, 2:17 PM IST

रक्सौल( पूर्वी चंपारण): जिले में लगातार बीस सालों से पांच बार रक्सौल विधानसभा से विधायक रह चुके भाजपा के निवर्तमान विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह को एनडीए से संभावित तौर पर टिकट से वंचित कर दिया गया है. एनडीए से उम्मीदवारी के तालमेल को लेकर सिटिंग विधायक रहते हुए भी टिकट कट जाने से नाराज अपने सैकड़ों समर्थको के साथ स्थानीय भाजपा पार्टी कार्यालय में बैठक की. बैठक के दौरान समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन नारे लगाएं. समर्थकों ने विरोध के दौरान कहा स्थानीय विधायक को टिकट यदि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नहीं देता है तो हम लोग सामूहिक रूप से पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा और त्याग पत्र दे देंगे.

भाजपा का संभावित उम्मीदवार
बता दें कि जनता दल यूनाइटेड के पूर्व जिलाध्यक्ष और नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे प्रमोद सिंह को जदयू से इस्तीफा दिलवाकर और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराया गया. इसके बाद रक्सौल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का संभावित उम्मीदवार बनाया गया. इसी दौरान एनडीए से उम्मीदवारी को लेकर हो रहे हेराफेरी के विरोध में शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में विधायक अजय सिंह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कई कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल पर कई गंभीर आरोप लगाने के साथ-साथ मुर्दाबाद के भी नारे लगाए गए. पार्टी के कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के बयान के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जयसवाल और स्थानीय विधायक अजय सिंह के व्यक्तिगत अदावत के कारण टिकट से वंचित किया गया है. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने डॉ. पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रमोद सिंहा के भाजपा से उम्मीदवारी को लेकर पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के बीरगंज के चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक वैध ने हवाला के जरिए आर्थिक फंडिंग की है. इसकी जांच होनी जरूरी है.

raxaul
आक्रोशित समर्थक

30 सालों से रहे पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता
वहीं, अपनी उम्मीदवारी से वंचित होने की संभावना को देखते हुए शुक्रवार को डॉ. अजय सिंह ने बताया कि वह पिछले तीस सालों से पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम करते आ रहे हैं. पार्टी ने उन्हे सात बार चुनाव लड़ने का मौका दिया. लेकिन दो बार हारे फिर 2000 साल से चुनाव में अब तक जीतते आ रहे हैं. ऐसे में उनका कहना है प्रदेश नेतृत्व को टिकट वितरण के दौरान मुझे बुलाकर पूछना चाहिए की किस कारण से मुझे टिकट नहीं दिया जाना चाहिए. टिकट यदि देना ही था तो भाजपा के बहुत सारे पुराने कार्यकर्ता हैं जो अभी भी चुनाव लड़ने में समर्थ और सक्षम हैं. लेकिन रातो रात किसी अन्य पार्टी को बुलाकर और टिकट दे देना और मेरी उम्मीदवारी को खत्म कर देना यह प्रदेश नेतृत्व का निर्णय मेरे समझ से बाहर है. उन्होंने कहा कि मेरे विधायकी कार्यकाल के दौरान मेरे ऊपर अभी तक 107 का भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. ऐसे में कौन सा कारण है क्या है मैं बता नहीं सकता. आगे चुनाव लड़ने की रणनीति के सवाल पर पूछे जाने के बाद उन्होंने बताया की प्रदेश नेतृत्व से टिकट वितरण का कोई अंतिम फैसला अभी तक नहीं आया है.

फैसला आने के बाद होगा निर्णय
वहीं, फैसला आने के बाद जो मेरे समर्थक हैं भाजपा के चार यहां मंडल अध्यक्ष हैं उन सभी के साथ बैठक पर निर्णय लिया जाएगा. जो समर्थकों की मंशा होगी वही मेरा निर्णय होगा. ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा के तरफ से उम्मीदवारी इनकी खत्म हो जाती है. तो एनडीए भितरघात होना में तय है. ऐसे यदि महागठबंधन के तरफ से किसी मजबूत व्यक्तित्व की उम्मीदवारी यहां दी जाती है तो लड़ाइ दिलचस्प हो सकती है. पिछले चुनाव में भाजपा करीब 3 हजार मतों से राजद के उम्मीदवार सुरेश यादव को हराया था. लेकिन इस बार रक्सौल विधानसभा महागठबंधन के तरफ से कांग्रेस के खाते में चले जाने से अभी उम्मीदवारी असमंजस में पड़ी हुई. वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रत्याशी राम बाबू यादव, प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव प्रोफेसर अखिलेश दयाल, पुराने कांग्रेसी परिवार के बहु लवली गुप्ता और डॉक्टर गौतम कुमार कांग्रेसी उम्मीदवारी को लेकर चर्चा में हैं.

रक्सौल( पूर्वी चंपारण): जिले में लगातार बीस सालों से पांच बार रक्सौल विधानसभा से विधायक रह चुके भाजपा के निवर्तमान विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह को एनडीए से संभावित तौर पर टिकट से वंचित कर दिया गया है. एनडीए से उम्मीदवारी के तालमेल को लेकर सिटिंग विधायक रहते हुए भी टिकट कट जाने से नाराज अपने सैकड़ों समर्थको के साथ स्थानीय भाजपा पार्टी कार्यालय में बैठक की. बैठक के दौरान समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन नारे लगाएं. समर्थकों ने विरोध के दौरान कहा स्थानीय विधायक को टिकट यदि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नहीं देता है तो हम लोग सामूहिक रूप से पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा और त्याग पत्र दे देंगे.

भाजपा का संभावित उम्मीदवार
बता दें कि जनता दल यूनाइटेड के पूर्व जिलाध्यक्ष और नीतीश कुमार के काफी करीबी रहे प्रमोद सिंह को जदयू से इस्तीफा दिलवाकर और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराया गया. इसके बाद रक्सौल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा का संभावित उम्मीदवार बनाया गया. इसी दौरान एनडीए से उम्मीदवारी को लेकर हो रहे हेराफेरी के विरोध में शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में विधायक अजय सिंह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कई कार्यकर्ताओं ने प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल पर कई गंभीर आरोप लगाने के साथ-साथ मुर्दाबाद के भी नारे लगाए गए. पार्टी के कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के बयान के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जयसवाल और स्थानीय विधायक अजय सिंह के व्यक्तिगत अदावत के कारण टिकट से वंचित किया गया है. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने डॉ. पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रमोद सिंहा के भाजपा से उम्मीदवारी को लेकर पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के बीरगंज के चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक वैध ने हवाला के जरिए आर्थिक फंडिंग की है. इसकी जांच होनी जरूरी है.

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आक्रोशित समर्थक

30 सालों से रहे पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता
वहीं, अपनी उम्मीदवारी से वंचित होने की संभावना को देखते हुए शुक्रवार को डॉ. अजय सिंह ने बताया कि वह पिछले तीस सालों से पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर काम करते आ रहे हैं. पार्टी ने उन्हे सात बार चुनाव लड़ने का मौका दिया. लेकिन दो बार हारे फिर 2000 साल से चुनाव में अब तक जीतते आ रहे हैं. ऐसे में उनका कहना है प्रदेश नेतृत्व को टिकट वितरण के दौरान मुझे बुलाकर पूछना चाहिए की किस कारण से मुझे टिकट नहीं दिया जाना चाहिए. टिकट यदि देना ही था तो भाजपा के बहुत सारे पुराने कार्यकर्ता हैं जो अभी भी चुनाव लड़ने में समर्थ और सक्षम हैं. लेकिन रातो रात किसी अन्य पार्टी को बुलाकर और टिकट दे देना और मेरी उम्मीदवारी को खत्म कर देना यह प्रदेश नेतृत्व का निर्णय मेरे समझ से बाहर है. उन्होंने कहा कि मेरे विधायकी कार्यकाल के दौरान मेरे ऊपर अभी तक 107 का भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. ऐसे में कौन सा कारण है क्या है मैं बता नहीं सकता. आगे चुनाव लड़ने की रणनीति के सवाल पर पूछे जाने के बाद उन्होंने बताया की प्रदेश नेतृत्व से टिकट वितरण का कोई अंतिम फैसला अभी तक नहीं आया है.

फैसला आने के बाद होगा निर्णय
वहीं, फैसला आने के बाद जो मेरे समर्थक हैं भाजपा के चार यहां मंडल अध्यक्ष हैं उन सभी के साथ बैठक पर निर्णय लिया जाएगा. जो समर्थकों की मंशा होगी वही मेरा निर्णय होगा. ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा के तरफ से उम्मीदवारी इनकी खत्म हो जाती है. तो एनडीए भितरघात होना में तय है. ऐसे यदि महागठबंधन के तरफ से किसी मजबूत व्यक्तित्व की उम्मीदवारी यहां दी जाती है तो लड़ाइ दिलचस्प हो सकती है. पिछले चुनाव में भाजपा करीब 3 हजार मतों से राजद के उम्मीदवार सुरेश यादव को हराया था. लेकिन इस बार रक्सौल विधानसभा महागठबंधन के तरफ से कांग्रेस के खाते में चले जाने से अभी उम्मीदवारी असमंजस में पड़ी हुई. वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रत्याशी राम बाबू यादव, प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव प्रोफेसर अखिलेश दयाल, पुराने कांग्रेसी परिवार के बहु लवली गुप्ता और डॉक्टर गौतम कुमार कांग्रेसी उम्मीदवारी को लेकर चर्चा में हैं.

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