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सेंट्रल लाइब्रेरी और राज लाइब्रेरी की दुर्दशा देख नाराज हुए कुलपति, 2 से शोकॉज, 6 का वेतन काटा

एलएनएमयू के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने राज लाइब्रेरी और सेंट्रल लाइब्रेरी कानिरीक्षण किया. दोनों लाइब्रेरी की गयनीय हालत देख वे काफी नाराज हुए. ड्यूटी से गायब कर्मियों का उन्होंने वेतन काटा और दो को शो कॉज किया है.

लाइब्रेरी का निरीक्षण करते वीसी
लाइब्रेरी का निरीक्षण करते वीसी
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Published : Jan 2, 2021, 10:22 PM IST

दरभंगाः ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने शनिवार को विश्वविद्यालय की राज लाइब्रेरी और सेंट्रल लाइब्रेरी का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान दोनों ही पुस्तकालयों की बदहाली को देखकर कुलपति काफी नाराज हो गए. निरीक्षण के दौरान ड्यूटी से गायब छह कर्मियों का उन्होंने वेतन काट लिया. इसके अलावा दो कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगी गयी है. कुलपति ने दोनों ही पुस्तकालयों की व्यवस्था अविलंब सुधारने का निर्देश दिया है.

लाइब्रेरी का निरीक्षण करते वीसी
लाइब्रेरी का निरीक्षण करते वीसी

रखी गई किताबों की हालत हो गई हैं खराब

निरीक्षण के दौरान मीडिया से बात करते हुए कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि राज लाइब्रेरी ऐतिहासिक पुस्तकालय है. इसमें दुनिया भर की कई दुर्लभ किताबें और पांडुलिपियां रखी हैं. लेकिन इस लाइब्रेरी के रखरखाव की स्थिति अच्छी नहीं है. यहां किताबों की स्थिति काफी खराब है. इसके अलावा भवन की छत से भी लीकेज हो रहा है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी में भी व्यवस्था अच्छी नहीं है. उन्होंने वहां के कर्मियों को हिदायत दी है कि व्यवस्था जल्द सुधारी जाए. कुलपति ने कहा कि दुर्लभ पांडुलिपियों के रखरखाव में काफी खर्च होते हैं. इसके लिए वे आगे बातचीत कर योजना तैयार करेंगे.

देखें रिपोर्ट

19वीं शताब्दी में हुई थी स्थापना

बता दें कि राज लाइब्रेरी की स्थापना 19वीं शताब्दी में दरभंगा राज की ओर से की गई थी. इसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की निजी लाइब्रेरी से नीलाम की गई पुस्तकें और सैकड़ों दुर्लभ पांडुलिपियां रखी गई हैं. इसमें ब्रिटिश भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के ब्रिटिश उपनिवेशों से संबंधित संसदीय कार्यवाही से 'हंसाड पार्लियामेंट' नामक दुर्लभ डॉक्यूमेंट भी रखे हुए हैं. राज लाइब्रेरी को बाद में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में दे दिया गया था. उसके बाद से इस लाइब्रेरी की स्थिति खराब होती चली गई.

दरभंगाः ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने शनिवार को विश्वविद्यालय की राज लाइब्रेरी और सेंट्रल लाइब्रेरी का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान दोनों ही पुस्तकालयों की बदहाली को देखकर कुलपति काफी नाराज हो गए. निरीक्षण के दौरान ड्यूटी से गायब छह कर्मियों का उन्होंने वेतन काट लिया. इसके अलावा दो कर्मियों से स्पष्टीकरण मांगी गयी है. कुलपति ने दोनों ही पुस्तकालयों की व्यवस्था अविलंब सुधारने का निर्देश दिया है.

लाइब्रेरी का निरीक्षण करते वीसी
लाइब्रेरी का निरीक्षण करते वीसी

रखी गई किताबों की हालत हो गई हैं खराब

निरीक्षण के दौरान मीडिया से बात करते हुए कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि राज लाइब्रेरी ऐतिहासिक पुस्तकालय है. इसमें दुनिया भर की कई दुर्लभ किताबें और पांडुलिपियां रखी हैं. लेकिन इस लाइब्रेरी के रखरखाव की स्थिति अच्छी नहीं है. यहां किताबों की स्थिति काफी खराब है. इसके अलावा भवन की छत से भी लीकेज हो रहा है. उन्होंने कहा कि सेंट्रल लाइब्रेरी में भी व्यवस्था अच्छी नहीं है. उन्होंने वहां के कर्मियों को हिदायत दी है कि व्यवस्था जल्द सुधारी जाए. कुलपति ने कहा कि दुर्लभ पांडुलिपियों के रखरखाव में काफी खर्च होते हैं. इसके लिए वे आगे बातचीत कर योजना तैयार करेंगे.

देखें रिपोर्ट

19वीं शताब्दी में हुई थी स्थापना

बता दें कि राज लाइब्रेरी की स्थापना 19वीं शताब्दी में दरभंगा राज की ओर से की गई थी. इसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की निजी लाइब्रेरी से नीलाम की गई पुस्तकें और सैकड़ों दुर्लभ पांडुलिपियां रखी गई हैं. इसमें ब्रिटिश भारत और भारतीय उपमहाद्वीप के ब्रिटिश उपनिवेशों से संबंधित संसदीय कार्यवाही से 'हंसाड पार्लियामेंट' नामक दुर्लभ डॉक्यूमेंट भी रखे हुए हैं. राज लाइब्रेरी को बाद में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में दे दिया गया था. उसके बाद से इस लाइब्रेरी की स्थिति खराब होती चली गई.

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