दरभंगा: नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर देशभर में विपक्षी दल और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इसका विरोध कर रहे हैं. प्रदर्शन और आंदोलन की वजह से एक नई परेशानी खड़ी हो गई है. योजनाओं के सोशल ऑडिट से लेकर चुनावी सर्वे करने वाले लोगों तक पर आफत आ गई है. सर्वे और जांच टीमों को लोग शक की नजर से देखते हैं. गुस्साए लोग टीमों को घेर कर बंधक तक बना लेते हैं. जिसकी वजह से सरकारी और सामाजिक काम में बाधा आ रही है.
सर्वे टीम को घेर कर बंधक बनाया
बता दें कि जिले में 16 से लेकर 23 जनवरी के बीच तीन ऐसी बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें पुलिस और प्रशासन को काफी मशक्कत के बाद सर्वे और जांच टीमों को भीड़ से बचाकर निकालना पड़ा है. जिसमें पहली घटना 16 जनवरी की है. जब गुड़गांव की एक चुनावी सर्वे कंपनी के कर्मियों के साथ लहेरियासराय में लोगों ने दुर्व्यवहार किया. एनआरसी का सर्वे किए जाने की आशंका में सैकड़ों लोगों ने टीम को घेर कर बंधक बना लिया. बाद में पुलिस ने उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित बाहर निकाला.
महिलाओं को भी बनाया गया बंधक
दूसरी घटना 20 जनवरी की है जब केवटी की छतवन पंचायत की हैं. जहां सरकारी योजनाओं का सोशल ऑडिट करने पटना से आई महिलाओं की टीम को लोगों ने घेर लिया. ग्रामीणों ने उन्हें पांच घंटों तक बंधक बनाए रखा. बाद में कई थानों की टीम, बीडीओ-सीओ और एसडीओ वहां पहुंचे. इसके बाद मामले को शांत कर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला. इस घटना के बाद सोशल ऑडिट की पूरी टीम इतनी डर गई कि बगैर काम पूरा किए ही पटना लौट गई.
पुलिस ने टीम को भीड़ से मुक्त कराया
तीसरी घटना 23 जनवरी की है. जब जमालपुर थाना क्षेत्र के झगरुआ गांव में लखनऊ की एक एजेंसी की 17 सदस्यीय टीम सामाजिक सर्वे करने पहुंची. जहां ग्रामीणों ने उन्हें घेर कर बंधक बना लिया. ये टीम अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के लिए एक शोध पर काम कर रही थी. इस टीम में चार महिलाएं भी थी. बाद में बिरौल एसडीपीओ पुलिस बल के साथ गांव में पहुंचे और सर्वे टीम को भीड़ से मुक्त कराया.
अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील
केवटी सीओ अजीत कुमार झा ने बताया कि छतवन पंचायत में सोशल ऑडिट टीम के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा था. इन्हें सुरक्षित निकालने के लिए दो थानों की पुलिस बुलानी पड़ी. इस पूरे प्रकरण पर जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के केवटी प्रखंड अध्यक्ष डॉ. शहजाद अहमद ने लोगों से संयम बरतने की अपील की. उन्होंने कहा कि लोगों को अफवाह में पड़ कर कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए. उन्हें सरकारी कामों में सहयोग करना चाहिए. अगर कहीं गलत होने की शंका हो तो पुलिस और प्रशासन को पहले सूचना दें. वहीं, इस मामले पर एसएसपी बाबू राम ने कहा कि जो कोई भी सर्वे करने या जांच करने जाएं वे पुलिस, प्रशासन या जन प्रतिनिधियों को बता कर जाएं. उन्होंने आम लोगों से भी अपील की, कि उन्हे अगर कोई शंका हो तो वे पुलिस को बताएं. पुलिस पूरे मामले में लोगों की मदद करेगी.