दरभंगा: उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल डीएमसीएच में दिन-प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है. जिसको लेकर मेडिसिन वार्ड में बेडो की संख्या कम होने पर मरीजों का इलाज फर्श पर इलाज किया जा रहा है. बेड नहीं मिलने से मरीज व उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि बरामदे पर इलाज होने के चलते अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों का इधर से आना-जाना लगा रहा है. जिससे फर्श की धूल उड़कर सीधे मरीजों के बेड पर आ जाती है, जिससे मरीजों की और तबीयत बिगड़ने का डर लगा रहता है.
दरअसल, डीएमसीएच के मेडिसिन वार्ड में स्थापना काल से ही बेडों की संख्या कुल 236 है. जिसमें मेल वार्ड में 103 और फीमेल वार्ड में 133 बेड हैं. अचानक मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होने के चलते नीचे में फर्श पर गद्दा और चादर बिछाकर उनका इलाज किया जाता है. वर्तमान में एक दर्जन से अधिक मरीजों का इलाज फर्श पर चल रहा है.
जमीन पर चादर बिछाकर किया जाता है इलाज इलाज
वहीं, अपनी दादी का इलाज कराने पहुंचे शंकर कुमार ने कहा कि कल देर शाम हमारी दादी का तबीयत अचानक खराब हो गया. जिसके बाद हमलोगों ने उनको डीएमसीएच के इमरजेंसी में भर्ती कराया. वहां रात भर उनका ट्रीटमेंट हुआ. जिसके बाद सुबह में मेडिसिन वार्ड भेज दिया गया. यहां आने के बाद पता चला कि कोई बेड खाली नहीं है. जिसके कारण जमीन पर चादर बिछाकर इलाज करवा को मजबूर है
'डीएमसीएच की लचर व्यवस्था को ठीक करें'
वहीं, मरीज के परिजनों ने कहा कि यहां पर आने के बाद डॉक्टर ने जो भी दवा लिखे, उसमें से ज्यादा दवा हमको बाजार से खरीद कर लाना पड़ा. डॉक्टरों को कहने पर उन्होंने जांच लिख दिया है. जिसमें से एक जांच यहां पर हो रहा है और बाकी बचे जांच को बाहर से करवाने के लिए कह रहे है. उन्होंने कहा कि यहां पर कोई व्यवस्था ठीक नहीं है. मैं सरकार से यही कहना चाहता हूं कि 'पहले डीएमसीएच की लचर व्यवस्था को ठीक करें, फिर एम्स के लिए सोचे'.
मरीजों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी हो
वहीं, जब इस संबंध में जब ईटीवी भारत के संवादतादा ने अस्पताल अधीक्षक डॉ राज रंजन प्रसाद से बात की तो, उन्होंने कहा कि मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और हमलोगों के पास 1070 मरीजों को रखने की जगह है. उस संख्या के अनुपात से हमारे यहां जो मरीज आ रहे हैं, उनकी संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है. जिसके चलते हमलोग वार्ड में बेड की आपूर्ति पूरी नहीं कर पा रहे है. साथ ही उन्होंने कहा कि बेड उपलब्ध नहीं होने पर भी हम लोग नीचे में गद्दा, चादर, भोजन और दवाइयां देकर उनका इलाज करवा रहे हैं.